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खेल के मैदान से नीति आयोग तक गिरिडीह की बेटियों की दखल

बेटियों की भागीदारी बढ़ती गयी, वैसे ही उन्हें उनका हक भी मिलने लगा. आज द्रौपदी मुर्मू देश की पहली नागरिक हैं. इनके अलावे आज महिलाएं राजनीति से लेकर खेलकूद, बॉलीवुड, पुलिस-प्रशासन जैसे हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी निभा रही हैं.

गिरिडीह, मृणाल कुमार : एक दौर था जब महिलाओं के लिए दहलीज सोशल टैबू (निषेधात्मक) की तरह थी. उससे आगे बढ़ने का मतलब मर्यादा का उल्लंघन था. आज वह समंदर से आसमान तक और पूरब से पश्चिम तक अपनी कामयाबी का परचम लहरा रही हैं. बाहर जाकर पढ़ाई करनी तो दूर ग्रामीण क्षेत्र की बेटियों की कम उम्र में ही शादी कर दी जाती थी.

जैसे-जैसे हर क्षेत्र में बेटियों की भागीदारी बढ़ती गयी, वैसे ही उन्हें उनका हक भी मिलने लगा. आज द्रौपदी मुर्मू देश की पहली नागरिक हैं. इनके अलावे आज महिलाएं राजनीति से लेकर खेलकूद, बॉलीवुड, पुलिस-प्रशासन जैसे हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी निभा रही हैं. गिरिडीह जिले की भी कई बेटियां आज अपने संकल्प व संघर्ष की बदौलत इस मुकाम तक पहुंच गयी है कि आये दिन वह सुर्खियों में रहती हैं.

गिरिडीह की इन बेटियों की खूब हो रही है चर्चा

श्रेयांशी का चला बल्ला तो होने लगी तारीफ

सदर प्रखंड की अकदोनीखुर्द पंचायत के बनियाडीह की दो बेटियों ने खेल के जरिये समाज में नया बदलाव लाया है. क्रिकेट में श्रेयांशी व स्नेहा यदुवंशी ने गांव से निकलकर बेहद कम उम्र में राज्य स्तर पर धाक जमायी है. बनियाडीह के विजय कुमार की बेटी श्रेयांशी पांच साल पहले जब क्रिकेट का किट लेकर निकलती थी तो लोगों को बेटी को क्रिकेट की छूट देने पर कुछ अजीब-सा लगता था, पर श्रेयांशी का बल्ला खेल मैदानों में चला, तो चारों तरफ तारीफ होने लगी.

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श्रेयांशी ने क्रिकेट की शुरुआत सीसीएल डीएवी स्कूल से की. स्कूल से नेशनल लेवल पर बेहतर प्रदर्शन कर सुर्खियां बटोरीं. इसके बाद अंतर जिला अंडर 19 क्रिकेट में चयन हुआ, तो तीन साल पहले जमशेदपुर में गिरिडीह की ओर से सर्वाधिक रन बनाते हुए विकेट भी लिये. इसी साल अंडर-19 में श्रेयांशी ने चाईबासा के खिलाफ 157 रनों की पारी खेल झारखंड राज्य के चयनकर्ताओं को भी सोचने पर विवश कर दिया.

स्नेहा को अंडर 15 में राज्य टीम में मिली जगह

श्रेयांशी को क्रिकेट में आगे बढ़ता देख, कई लड़कियों ने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया. बनियाडीह निवासी संजीव कुमार की पुत्री स्नेहा यदुवंशी ने अंतर जिला क्रिकेट में बेहतर खेल के आधार पर राज्य के अंडर 15 टीम में जगह बनायी. स्नेहा गेंदबाजी के साथ-साथ बल्लेबाजी भी करती है. चयन के बाद हाल ही में स्नेहा ने ग्वालियर में कई राज्य की टीमों के खिलाफ मैच खेले व विकेट भी लिये.

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युवतियों को आत्मनिर्भर बना रही है प्रतीक्षा

सदर प्रखंड के बदडीहा की रहने वाली प्रतीक्षा शर्मा इन दिनों न सिर्फ महिलाओं, बल्कि शिक्षित बेरोजगार युवतियों को स्वावलंबी बनाने के मकसद से प्रशिक्षित कर रही है. प्रतीक्षा बैंक ऑफ इंडिया के आरसेटी में बतौर ट्रेनर कई युवतियों को आत्मनिर्भर बना चुकी है.

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अब प्रतीक्षा शर्मा अपनी बदौलत न सिर्फ गिरिडीह, बल्कि देवघर, बोकारो और धनबाद जिले में भी जाकर महिलाओं को अगरबत्ती, आर्टिफिशियल ज्वेलरी बनाने का प्रशिक्षण दे रही है. आज उसके द्वारा प्रशिक्षित करीब 250 से अधिक युवतियां स्वरोजगार कर परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं.

नीति आयोग की डिस्ट्रिक्ट को-ऑर्डिनेटर हैं अंजलि

तीन-चार साल पहले गिरिडीह जिले में बाल विवाह, बाल तस्करी, बाल मजदूरी से संबंधित कई मामले सामने आया करते थे. जिले के गावां और तिसरी इलाके से सर्वाधिक बाल तस्करी व बाल विवाह के मामले सामने आते थे. हालांकि जिला प्रशासन उस वक्त भी लगातार ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करता था.

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वर्ष 2021 में जब गिरिडीह जिले में नीति आयोग की टीम काम करने लगी और गिरिडीह जिला के डिस्ट्रिक्ट को-ऑर्डिनेटर के रूप में अंजलि कुमारी की प्रतिनियुक्ति हुई, तो सबसे पहले अंजली ने पूरे जिले का भ्रमण कर गांव-गांव जाकर लोगों से बाल विवाह, बाल तस्करी और बाल विवाह से संबंधित जानकारियां हासिल कीं. इसके बाद अंजली ने जिन-जिन क्षेत्रों में सर्वाधिक मामले पाये, वहां जिला प्रशासन, पुलिस-प्रशासन और अलग-अलग संस्थाओं के सहयोग से जागरूकता अभियान चलाना शुरू किया.

अंजली ने बताया कि पिछले तीन माह में प्रशासन के सहयोग से कई बाल विवाह रोके गये हैं और कई बाल तस्करों को भी गिरफ्तार कर जेला भेजा गया है. यही नहीं, कई बाल मजदूर भी मुक्त कराये गये हैं. जागरूकता के अभाव में पहले लोग इन सब चीजों की जानकारी तक किसी को नहीं देते थे, पर अब हालत बदली है.

जैसे-जेसे ग्रामीणों का प्रशासन और विभिन्न संस्थाओं पर भरोसा बढ़ा तो लोग अब खुद इन मामलों की सूचना देते हैं. इससे कार्रवाई में सहूलियत होती है. लगातार की जा रही कार्रवाई के कारण बाल विवाह, बाल तस्करी और बाल मजदूरी करवाने वाले गिरोह के सदस्यों में भी खौफ उत्पन्न हुआ है.

बाल अधिकार के लिए काम करने पर चंपा को मिला डायना अवार्ड

गावां प्रखंड स्थित जमडार की चंपा कुमारी को बाल अधिकार के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए ब्रिटेन के प्रतिष्ठित डायना अवार्ड से सम्मानित किया गया. चंपा ने सुदूर पर्वतीय क्षेत्र के बच्चे बच्चियों को शिक्षा के लिए प्रेरित किया.

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इन क्षेत्रों में बाल मजदूरी धड़ल्ले से चल रही थी. बच्चे ढिबरा चुनने व होटल ढाबों में काम कते थे. चंपा ने बच्चों के अभिभावकों को प्रेरित कर उनका नामांकन विद्यालयों में करवाया. क्षेत्र में बाल विवाह का भी प्रचलन था. चंपा के प्रयास से कई विवाह को भी रोका गया. उसके कार्यों को देखते हुए उसे इस अवार्ड से सम्मानित किया गया.

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