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Giridih News: गिरिडीह में बड़े पैमाने पर चल रहा है ब्लड का अवैध कारोबार

Giridih News: जिले भर में बड़े पैमाने पर ब्लड का अवैध कारोबार चल रहा है. एक ओर जहां इस खेल में कई प्राइवेट नर्सिंग होम की भूमिका संदिग्ध बतायी जा रही है, वहीं दूसरी ओर बिचौलियों के माध्यम से कई लोग ब्लड से ही पैसे की कमाई करने में जुड़े हुए हैं. स्थिति यह है कि इस काली कमाई में दूषित ब्लड बिना टेस्ट के जरूरतमंदों के शरीर में ट्रांसफर कर दिया जा रहा है. इस मामले पर जिला प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग तक चुप्पी साधे हुए हैं.

जिले भर में बड़े पैमाने पर ब्लड का अवैध कारोबार चल रहा है. एक ओर जहां इस खेल में कई प्राइवेट नर्सिंग होम की भूमिका संदिग्ध बतायी जा रही है, वहीं दूसरी ओर बिचौलियों के माध्यम से कई लोग ब्लड से ही पैसे की कमाई करने में जुड़े हुए हैं. स्थिति यह है कि इस काली कमाई में दूषित ब्लड बिना टेस्ट के जरूरतमंदों के शरीर में ट्रांसफर कर दिया जा रहा है. इस मामले पर जिला प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग तक चुप्पी साधे हुए हैं.

क्या है प्रावधान

ब्लड का आदान-प्रदान ब्लड बैंक के ही माध्यम से किया जा सकता है और ब्लड बैंक का संचालन लाइसेंस मिलने के उपरांत ही की जा सकती है. सारी अर्हता पूरी करने के बाद संस्था को राज्य स्तरीय औषधी निदेशालय में ब्लड बैंक खोलने के लिए आवेदन देना होता है. इसके बाद निदेशालय के द्वारा भौतिक सत्यापन करने के उपरांत लाइसेंस जारी कर दी जाती है. बिना लाइसेंस के ब्लड बैंक का संचालन करना जहां अवैध है, वहीं ब्लड का गलत तरीके से आदान-प्रदान करना भी गैर कानूनी है. यदि कोई बिना लाइसेंस के ब्लड का स्टोरेज या आदान-प्रदान करता है तो वह गैर कानूनी श्रेणी में आता है और इसके लिए दंड का प्रावधान है.

ब्लड के अवैध कारोबार में सक्रिय हैं बिचौलिये

ब्लड के अवैध कारोबार में जिले भर में बिचौलिये सक्रिय हैं. प्राइवेट नर्सिंग होम के साथ-साथ सरकारी अस्पताल समेत ब्लड बैंक के आसपास भी बिचौलिये सक्रिय हैं. ये बिचौलिये वैसे जरूरतमंदों का सूची अपने पास रखते हैं जो अत्यंत ही गरीब हैं और जिन्हें पैसे की जरूरत होती है. जब किसी व्यक्ति को ब्लड की आवश्यकता होती है तो इन बिचौलियों के माध्यम से ही उन्हें ब्लड की आपूर्ति की जाती है. इन बिचौलियों का नंबर अधिकांश अस्पतालों में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के पास भी होता है. साथ ही ऐसे बिचौलिए अस्पतालों के आसपास काफी सक्रिय हैं जिनकी नजर जरूरतमंदों पर टिकी होती है.

पैसे के लिए 10-10 दिन में बेची जाती है ब्लड

एक ओर जहां जिले में काफी संख्या में ब्लड के कारोबार में शामिल बिचौलिये सक्रिय हैं, वहीं दूसरी ओर जरूरतमंद और आर्थिक रूप से कमजोर लोग भी अस्पताल व ब्लड बैंक के आसपास मंडराते रहते हैं. मिली जानकारी के अनुसार कई लोग इतने गरीब हैं कि वे पैसे हासिल करने के लिए दस-दस दिन में ब्लड दान कर देते हैं. जबकि तीन माह के अंदर रक्तदान करने की चिकित्सकों द्वारा मनाही है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले दिनों गिरिडीह सदर अस्पताल परिसर में स्थित ब्लड बैंक में इस तरह के कुछ मामलों का खुलासा भी हुआ है. बताया गया कि दस-दस दिन और बीस-बीस दिन में भी लोग पैसे के लिए जरूरतमंदों को ब्लड बेचते हैं और बदले में दो हजार से लेकर पांच हजार तक की वसूली करते हैं. इस रकम पर बिचौलियों का भी हिस्सा निर्धारित है.

जिले भर में मात्र तीन लाइसेंसी रक्त अधिकोष

जिले में मात्र तीन स्वास्थ्य केंद्रों को ब्लड बैंक का लाइसेंस प्राप्त है. इन ब्लड बैंकों में ही ब्लड दान किया जा सकता है या जरूरतमंद लोग यहां से ब्लड हासिल कर सकते हैं. गिरिडीह सदर अस्पताल परिसर के अलावे चैताडीह में स्थित मातृ शिशु सेवा सदन और एक बगोदर में ब्लड बैंक संचालित है.

कहां से आ रहा है प्राइवेट नर्सिंग होम के पास ब्लड

गिरिडीह जिले के कई प्राइवेट नर्सिंग होम में सर्जरी होती है. सर्जरी के दौरान कई मरीजों के मामले में ब्लड की जरूरत होती है. इनलोगों को प्राइवेट नर्सिंग होम में आसानी से ब्लड भी मिल जा रहा है. गौरतलब बात तो यह है कि इन अस्पतालों के पास रक्त स्टोरेज करने या ब्लड का ट्रांसफ्यूजन करने का अधिकार तक नहीं है. इसके लिए ब्लड बैंक के लाइसेंस की जरूरत है. सूत्रों ने बताया कि गिरिडीह मुख्यालय के साथ-साथ जमुआ, राजधनवार, डुमरी, बिरनी, गावां समेत कई इलाके ऐसे हैं जहां के प्राइवेट नर्सिंग होम में यह गोरखधंधा बेखौफ चल रहा है. सूत्रों का कहना है कि कई प्राइवेट नर्सिंग होम चार हजार से लेकर दस हजार तक रुपये की वसूली करते हैं. इसमें रक्तदाताओं के साथ-साथ बिचौलियों का भी कमीशन निर्धारित है. इसके अलावे कई प्राइवेट नर्सिंग होम के पास बिचौलियों की सूची भी है. जैसे ही ब्लड की जरूरत होती है, मोबाइल के माध्यम से इन बिचौलियों से संपर्क किया जाता है. गौरतलब बात तो यह है कि इस तरह के ब्लड आदान-प्रदान में ब्लड की जांच तक नहीं होती है. जबकि एचआईवी, हेपेटाइटिस, मलेरिया, एलिसा टेस्ट होना जरूरी है. जानकार लोगों का कहना है कि यहां कई अस्पतालों के द्वारा बीमारी फैलायी जा रही है. रुपये कमाने के लिए एक ओर जहां प्रावधानों की अनदेखी की जा रही है, वहीं दूसरी ओर मरीजों के जीवन और मौत से खिलवाड़ भी किया जा रहा है.

ब्लड बैंक से नि:शुल्क दिया जाता है जरूरतमंदों को ब्लड : सचिव

गिरिडीह रक्त अधिकोष केंद्र के सचिव अरविंद कुमार का कहना है कि लाइसेंसी ब्लड बैंक से जरूरमंदों को नि:शुल्क ब्लड दी जाती है. ब्लड या ब्लड जांच के नाम पर यदि कोई व्यक्ति या बिचौलिया रकम की मांग करता है तो इसकी सूचना ब्लड बैंक को अविलंब देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अब रक्तदान में भी सख्ती अपनायी गयी है. सिस्टम को ऑनलाइन किया गया है. जिन्हें रक्तदान करना है, उनका आधार कार्ड जमा लेने को अनिवार्य कर दिया गया है. इसके जरिये ऑनलाइन करने की व्यवस्था की गयी है जिससे दानकर्ताओं को ट्रैक भी किया जाता है. यदि कोई व्यक्ति 90 दिन से पहले रक्तदान करता है तो वह पकड़ना आसान हो गया है.

शिकायत मिली नहीं है, मिलने पर कार्रवाई होगी : सिविल सर्जन

इधर जब सारी स्थितियों से और ब्लड के गोरखधंधा से गिरिडीह के सिविल सर्जन डॉ एसपी मिश्रा को अवगत कराया गया तो उन्होंने कहा कि अभी तक इस तरह की कोई शिकायत दर्ज नहीं करायी गयी है. अगर जिले में इस तरह के मामले में चल रहे हैं औ शिकायत मिलती है तो निश्चित रूप से दोषी लोगों के विरूद्ध कार्रवाई की जायेगी. कहा कि यदि कोई प्राइवेट नर्सिंग होम या कोई भी अस्पताल बिना लाइसेंस के ब्लड का स्टोरेज या आदान-प्रदान करता है तो वह गैरकानूनी है. उन्होंने ऐसे लोगों को चेतावनी दी है कि वे इस तरह के गोरखधंधा को अविलंब बंद कर दें, अन्यथा पकड़े जाने पर कठोर और विधि सम्मत कार्रवाई की जायेगी.

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