राजघाट के छठ पूजा का इतिहास लगभग 400 साल पुराना है. राजा मोध नारायण देव ने राजधनवार में बसने के बाद पहली बार राजघाट पर छठ पूजा की थी. उसके पूर्व उनकी राजधानी बिहार के सीउर (नवादा) में हुआ करती थी. सासाराम में स्थित ऐतिहासिक किला मोध नारायण देव का ही हुआ करता था. राजधनवार में रह रहे उनके वर्तमान वंशज अखिलेश्वरी नारायण देव बताते हैं कि 16वीं सदी में जब उनका परिवार सासाराम किले में रह रहा था, उस वक्त शेरशाह शूरी ने बंगाल लूटकर चार हजार बैलगाड़ी और पांच हजार सैनिकों के साथ दिल्ली की तरफ जाने के क्रम में सासाराम में डेरा डाल दिया और सैनिकों के साथ रहने के लिए किले की मांग की. मना करने पर वह युद्ध की चुनौती देते हुए अपने तोपों का मुंह किले की तरफ तान दिया. उस वक्त राजा साहब के पास मात्र 350 सैनिक थे. लेकिन शूरी के सेनापति को अपने पक्ष में कर उन्होंने तोप की दिशा मोड़वा दी और शूरी के सेना की हार हुई. हालांकि शूरी ने दिल्ली फतह के बाद राजा को सासाराम छोड़ने पर मजबूर कर दिया. बाद में मुगलों के कारिंदों के आतंक के बीच सिउर भी छोड़ना पड़ा. तब रातू महाराजा की मदद से ईस्ट इंडिया कंपनी ने उन्हें राजधनवार में बैठाया. निश्चिंत होने के बाद उन्होंने राजा नदी के किनारे यहां किला बनवाया और राजघाट पर छठ पूजा की शुरुआत की. शुरू में तो इस घाट पर सिर्फ राज परिवार तथा कुछ गणमान्य लोग ही छठ करते थे, लेकिन कालांतर में इसे सर्वजनिक तौर पर खोल दिया गया.
खरना से छठ के पारन की रात तक तीन दिवसीय छठ मेले का होता है आयोजन
इधर नब्बे के दशक से नगरवासियों के सामूहिक सहयोग से छठ में राजघाट को सजाने की परंपरा की शुरुआत की गयी. खरना से छठ के पारन की रात तक तीन दिवसीय छठ मेला का आयोजन होता है. इसमें आस्था का जन सैलाब उमड़ पड़ता है. आयोजन की सफलता को लेकर पूजा समिति के संरक्षक अनूप संथालिया, अध्यक्ष जय प्रकाश गुप्ता, पंकज बर्णवाल, बालेश्वर मोदी, दयानंद साहू, अशोक साव, मुन्ना साव, सुधीर अग्रवाल, अरविंद साव, सक्षम सेठ, प्रवीण कुमार, विकेंद्र साव, अनमोल कुमार, नीरज कुमार, राहुल कुमार, सुनील पंडित, महेंद्र वर्मा, शंकर स्वर्णकार, दीपक कुमार सोनी, शंभू रजक, कृष्णा स्वर्णकार आदि लगे हुए हैं.वाच टावर के साथ ही लगाये गये सीसीटीवी कैमरे
मेले में धक्का मुक्की करने और खलल डालने का प्रयास करने वालों पर पर प्रशासन, वॉलेंटियर व समिति के लोग पैनी नजर रखेंगे. इसके लिए वाच टावर बनाये गए हैं, सीसी कैमरे भी लगाए गए हैं और कंट्रोल रूम की भी स्थापना की गयी है. समिति ने श्रद्धालुओं से सात्विक रूप में मेले में आने और बगैर किसी को कष्ट पहुंचाए मेले का आनंद उठाने का अनुरोध किया है.
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