सरिया (गिरिडीह), लक्ष्मीनारायण पांडेय: बंगाली कोठियों के लिए जाना जानेवाला गिरिडीह के सरिया शहर में कभी देश-विदेश की महान हस्तियां रहा करती थीं. उनकी यादों को अपने दामन में समेटी सरिया की कोठियों के बिकने के साथ ही उनके अवशेष तक खत्म होते जा रहे हैं. इन्हीं में से एक प्रमुख नाम है केशव चंद्र बसु का. स्वतंत्र भारत में पश्चिम बंगाल के पांचवें विधानसभाध्यक्ष (12 मार्च 1962-7 मार्च 1967) रहे केशव चंद्र बसु के बारे में बताया जाता है कि वह 1940 में तत्कालीन हजारीबाग जिले के हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन स्थित सरिया आए थे.
जमींदारों से खरीदी थी 22 बीघा जमीन
साल वृक्षों से भरा यह क्षेत्र शुरू से ही शुद्ध वातावरण के लिए चित्ताकर्षक रहा है. 1965 ई के आसपास केशव चंद्र बसु ने गिरिडीह के सरिया में जमींदारों से 22 बीघा जमीन खरीदी. इसमें दो बीघा क्षेत्र में आलीशान बंगले का निर्माण कर रहने लगे. बंगला के चारों ओर गेंदा, गुलाब, चमेली, बेली, अपराजिता, पारिजात, जीनिया, अड़हुल सहित विभिन्न प्रकार के फूलों तथा तुलसी, एलुवेरा, गिलोय, कढ़ी पत्ता, नीम, करौंज जैसे औषधीय पौधे बंगले की शोभा बढ़ाते रहे. 20 बीघा जमीन में आम, इमली, जामुन, गुलाब, चीकू, बेल, शरीफा जैसे सैकड़ों फलदार वृक्ष लगाये गये थे. ये आज भी लगभग मौजूद हैं. यहां से मौसम के अनुकूल फल तथा फूल बंगाल भेजे जाते थे.
विश्व बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री रहे हैं कौशिक बसु
केशव चंद्र बसु की मृत्यु के बाद उनके बंगले का उत्तराधिकारी उनके पुत्र कौशिक चंद्र बसु हुए. वह भारत के प्रमुख अर्थशास्त्री जाने जाते हैं. फिलहाल कौशिक चंद्र बसु भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण भी देते हैं. इनके परिवार के अन्य सदस्य अमेरिका में रहते हैं. कौशिक चंद्र बसु सन 2009 से 1912 ई. तक भारत सरकार के प्रमुख आर्थिक सलाहकार रहे तथा 2012 से 16 तक विश्व बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष रहे. इनको सन 2008 में भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.
कुछ दिन केयर टेकर के भरोसे रहा बंगला
बताया जाता है कि दुर्गा पूजा तथा बड़ा दिन की छुट्टी में सपरिवार ये लोग सरिया स्थित अपनी कोठी बंगला आया करते थे. बढ़ती व्यस्तता के कारण धीरे-धीरे इस परिवार का सरिया आना-जाना बंद-सा हो गया. सरिया में उनके नजदीकी रहे बलदेव नायक बताते हैं कि उनके बंगला तथा बगीचा की देखरेख के लिए भूटक महतो तथा झरी महतो नामक दो केयरटेकर रहते थे.
मेन गेट के पिलर पर आज भी अंकित है बसु का नाम
कौशिक चंद्र का सरिया आना-जाना कम हो गया तो बंगले का रंग-रोगन भी छूट गया. अंततः वर्ष 2003 में सरिया स्थित अपना आशियाना तथा बगीचा उन्होंने स्थानीय लोगों के हाथों बेच दिये. लीज के अनुसार दोनों केयरटेकर क्रमशः भूटक तथा झरी को एक एक बीघा जमीन उपहार स्वरूप भेंट कर दी. इस बंगले के मुख्य दरवाजे के पिलर में आज भी केशव चंद्र बसु का नाम अंकित है. इस बंगले के खरीदार बलदेव नायक के पास केशव चंद्र बसु की तस्वीर स्मृति के रूप में मौजूद है.
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