गोरखधंधा. थानसिंहडीह में खनन कहीं और, डोजरिंग की जा रही है कहीं और
थानसिंहडीह ओपी क्षेत्र के असुरहड्डी के जंगली क्षेत्रों में पिछले 10 वर्षों से भी अधिक समय से तस्कर बेशकीमती गोमेद, पुखराज, तुरमुल्ली समेत अन्य पत्थरों का अवैध रूप से खनन कर जयपुर तस्करी कर रहे हैं. आश्चर्य की बात तो यह है कि लगातार छापेमारी व वर्ष में कम से कम दो बार प्रशासन द्वारा पत्थर के खदानों को ध्वस्त करने के बाद भी उक्त स्थल पर बेशकीमती पत्थरों का खनन कार्य कभी बंद नहीं हुआ. यह कार्य तस्करों धड़ल्ले से करवा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक इस गोरखधंधे में बिहार और कोडरमा के तीन तस्कर शामिल हैं. तीनों तस्कर असुरहड्डी, डुब्बा, नारोटांड़, असनातरी समेत अन्य गांवों के लोगों से चिह्नित कुछ पहाड़ों पर खनन कार्य करवाते हैं.ऐसे जयपुर भेजे जाते हैं पत्थर
तस्कर मजदूरों से औने-पौने दाम पर बेशकीमती पत्थर खनन करवाके हैं. तस्कर अपना एक सहयोगी गांव में ही छोड़ दिया जाता है. वह पत्थर जमा करता है. इसके बाद एक-दो तस्कर खदान से निकाले गये पत्थरों को आसानी से जयपुर तक ले जाते हैं. सूत्रों के मुताबिक इस कार्य में स्थानीय प्रशासन की भी मिलीभगत होती है. वन विभाग ने कई बार कार्रवाई की है. इसमें कोडरमा के सरयू सिंह, बिनोद यादव और बिहार के नवीन पांडेय के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया है, इसके बाद भी असुरहड्डी के जंगल में लगातार पत्थरों की तस्करी हो रही है. पत्थर माफिया गांव के एक दर्जन से अधिक लोगों को बहला-फुसलाकर और अपने विश्वास में लेकर पहरेदार बनाकर रखा है. सभी नारोटांड़ से असुरहड्डी के खदानों तक निगरानी करते हैं और यदि प्रशासन के आने की सूचना मिलते ही पत्थर माफिया को सतर्क कर देते हैं. सूचना मिलते ही तस्कर वहां से हट जाते हैं और मजदूरों को भी हटा देते हैं. इतना ही नहीं तस्कर खदानों के मुहाने पर लकड़ी का पट्टा रख, ऊपर मिट्टी डाल देते हैं, ताकि यह पता नहीं चल पाता कि यहां पत्थर का खदान है. ऐसे में यदि अधिकारी पहुंचते हैं तो वह बगल के किसी भी खदान को जेसीबी से ध्वस्त कर खानापूर्ति कर चले जाते हैं. दूसरे दिन से वह खदान चालू हो जाता है.होता रहता है खनन, प्रशासन रहता है बेखबर
गांव के ही कुछ लोगों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर प्रभात खबर को बताया कि इस गोरखधंधे में कई सफेदपोश तो शामिल हैं ही. वहीं थानसिंहडीह ओपी से लेकर जिले तक लोग मिले हुए हैं. तभी तो यहां इतने बड़े पैमाने पर अवैध रूप से पत्थरों की तस्करी हो रही है. असुरहड्डी से रोजाना लाखों रुपए की पत्थरों की तस्करी की जा रही हैं. खदान से दो किमी की दूरी पर स्थित नारोटांड़ ओपी को इसकी भनक तक नहीं लग रही है. मालूम रहे कि वर्ष 2019 में तत्कालीन उपायुक्त के आदेश पर डीएफओ कुमार आशीष और एसडीएम रविशंकर विद्यार्थी की अगुवाई में वन व खनन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने असुरहड्डी मे छापेमारी कर कीमती पत्थर के कई अवैध खदानों को ध्वस्त कर दिया गया. बाद में गुप्त सूचना पर डुब्बा गांव के तीन घरों में छापेमारी की गयी, जहां से एक क्विंटल कीमती बैरल पत्थर को बरामद किया गया था. इसके बाद स्थानीय लोगों के बयान पर कई लोगों के खिलाफ पत्थर तस्करी का मामला दर्ज किया गया था. इसकी भनक से ही वैसे अवैध कारोबारियों में हड़कंप मच गया और गिरफ्तारी के डर से कई लोगों ने गांव ही छोड़ दिया था. सभी वापस आ गये हैं उक्त गोरखधंधा में लग गये हैं.15 वर्ष पूर्व पता चला था खदान का पता
असुरहड्डी के जंगलों और पहाड़ों पर बेशकीमती पत्थरों का भंडार है, इसकी जानकारी 15 वर्ष पूर्व लोगों को तब हुईं थी जब यहां जयपुर के कई लोगों को आते-जाते देखा. उस समय भी बाहर से आने वाले गांववालों से पत्थर खनन करवा चोरी-छिपे बाहर ले जाते थे. जब कोडरमा के एक व्यक्ति को इस कार्य से जयपुर वालों ने जोड़ा तो यहां बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन को संचालित किया जाने लगा. धीरे-धीरे इस कार्य में कई गांव के लोगों को जोड़ा जाने लगा, ताकि हल्ला नहीं हो, लेकिन जिन्हें काम हिस्सा नहीं मिला वह इसका विरोध करने लगे. इसके बाद प्रशासन की भी नजर इल पर पड़ी और खदान को ध्वस्त कर दिया. बाद में तस्करों ने फिर से खनन शुरू करवाया. सूत्रों के अनुसार झारखंड और बिहार की सीमा पर अवस्थित तिसरी प्रखंड के असुरहड्डी और गावां प्रखंड के डुमरझारा में बेशकीमती पत्थरों भंडार है. इसके अवैध खनन पर रोक लगाना प्रशासन के लिए भी एक बड़ी चुनौती है.क्या कहते हैं रेंजर
वन विभाग के रेंजर अनिल कुमार ने कहा कि विभाग लगातार छापेमारी कर रही है. कई पत्थर तस्करों के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है. वन विभाग किसी भी सूरत में वनक्षेत्र में कोई अवैध कार्य करने नहीं देगा. वनक्षेत्र को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी. संवाददता- अमरदीप सिन्हाडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है