खोरीमहुआ. विवादित जमीन पर निर्माण कार्य को रोकने गये अंचल कर्मियों और पुलिस अधिकारियों को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा. मामले को लेकर कर्मियों ने उक्त मुखिया समेत अज्ञात करीब पचास महिला पुरुषों पर सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने, अधिकारियों की घेराबंदी करने का आरोप लगाकर पुलिस से कार्रवाई की मांग की है. मामला धनवार अंचल अंतर्गत घोड़थंभा ओपी के कैलपुर गांव का है.
कार्रवाई के खिलाफ उग्र प्रदर्शन :
धनवार के सीआई धनंजय सिंह, राजस्व कर्मी जयदेव राय ने ओपी को दिये आवेदन में बताया कि वे सभी स्थानीय पुलिस के साथ क्षेत्र के कैलपुर गांव में जीएम और रैयती जमीन पर ग्रामीणों द्वारा किये जा रहे कब्जा समेत अवैध निर्माण कार्य को सीओ के आदेशानुसार रोकने तथा नोटिस देने गये थे. इस दौरान निमाडीह मुखिया चंद्रशेखर यादव समेत अन्य लोगों ने उग्र प्रदर्शन करते हुए अधिकारियों की घेराबंदी कर उग्र विरोध करने लगे.
जमीन का आधा हिस्सा जीएम, आधा रैयती :
बताया कि उक्त विवादित जमीन का आधा हिस्सा जीएम और आधा रैयती है. उक्त जमीन पर वर्षों से सरकारी विद्यालय भवन था. इसे बिना किसी सरकारी आदेश के जेसीबी से तोड़कर निजी हित में अवैध निर्माण कार्य हो रहा है. टीम यथास्थिति रखने का संदेश देने तथा अंचल का नोटिस देने गयी थी. लोगों ने इस पहल का विरोध कर दिया. हालात ऐसा हुआ कि कोई भी अप्रिय स्थिति उत्पन्न हो सकती थी. घोड़थंभा ओपी प्रभारी विभूति देव ने कहा कि अंचल कर्मियों से आवेदन मिला है. सरकारी काम में बाधा, सरकारी कर्मियों की घेराबंदी, विरोध प्रदर्शन समेत कई धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है. मामले में आवश्यक कार्रवाई जारी है.
क्या है मामला :
धनवार प्रखंड के कैलपुर गांव में खाता सं 23, प्लॉट सं 789 में वर्षों से सरकारी विद्यालय संचालित था. बाद में कमने पर विद्यालय की समस्या के मद्देनजर शिक्षा विभाग ने उक्त विद्यालय को गांव के पूरब में खाली जमीन पर स्थानांतरित करते हुए दस वर्ष पूर्व नया भवन बनाया. विद्यालय नये भवन में संचालित है, जबकि पुराना भवन खाली हो गया. इधर, बीते गुरुवार को स्थानीय गौरी शंकर यादव ने ओपी में आवेदन देकर मुखिया चंद्रशेखर यादव, विकास यादव समेत करीब छह लोगों पर उक्त जमीन पर खुद के रैयत होने का दावा करते हुए उक्त मुखिया समेत छह पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगा न्याय की गुहार की. पुलिस ने आवेदन पर उसी दिन उक्त जमीन को विवादित मानते हुए निषेधाज्ञा लागू करने की अनुशंसा को लेकर खोरीमहुआ एसडीओ को प्रतिवेदन दिया गया. हालांकि तीन दिन के बाद भी निषेधाज्ञा नहीं लगायी गयी है.