जमीनी हकीकत2013 में 58 लाख की लागत से बना था स्टेडियम , खेलकूद व अन्य लाभ से वंचित हैं खिलाड़ी
खेल को बढ़ावा देने और खिलाडियों की सुविधा के लिए निर्मित स्टेडयिम पहुंच पथ व रख-रखाव के अभाव में बदहाल हो गया है. विभागीय उदासीनता व देखरेख के अभाव में एक ओर जहां स्टेडियम वीरान होता जा रहा है, वहीं चोर-उच्चकों व अराजकतत्वों का यह अड्डा बनता जा रहा है. स्थिति यह है कि सन्नाटे का लाभ उठाकर अराजकतत्वों भवन से खिड़की-दरवाजा, ग्रिल-गेट उखाडकर ले जा रहे हैं. भवन को जगह-जगह भवन, शौचालय समेत आदि को क्षतिग्रस्त कर दिया गया है. मालूम रहे कि कि ग्रामीण क्षेत्र में खेल व खिलाडियों की सुविधा के लिए वर्ष 2013 में भवन प्रमंडल विभाग ने गांडेय में 58 लाख की लागत से स्टेडियम का निर्माण कराया था. विभागीय स्तर पर निर्मित स्टेडियम में चाहरदिवारी, चबुतरा, स्टेज, चेंजिंग रुम, शौचालय से लैस भवन का निर्माण किया गया था. लेकिन, स्टेडियम तक पहुंचने के पथ का निर्माण नहीं कराया गया. वहीं, इसकी देखरेख का जिम्मा भी किसी को नहीं मिला. इसका परिणाम आज यह है कि भवन पूरी तरह उपेक्षित पड़ा हुआ है. स्टेडियम की दुर्दशा से खिलाड़ी भी मायूस हैं.साल में एक बार होता है खेल महोत्सव
जर्जर, बदहाल और क्षतिग्रस्त स्टेडियम में वर्ष में एक बार खेल महोत्सव का आयोजन होता है. राज्य सरकार के निर्देश के आलोक में आयोजित खेल महोत्सव में शिक्षा विभाग को यहां पानी, बिजली, भोजन समेत पंडाल की व्यवस्था करनी होती है. शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें तो स्टेडियम में सिर्फ मैदान बचा है. बाकी सुविधा नगण्य है. यदि यही हाल रहा तो आने वाले समय में स्टेडियम का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है