देवरी. देवरी प्रखंड की जमखोखरो पंचायत के किसगोगढ़ स्थित दुर्गा मंदिर में 427 वर्षों से यानी मुगलकाल से दुर्गापूजा हो रही है. मंदिर प्रांगण में लगाये गये शिलापट्ट में 1597 से पूजा आयोजन का उल्लेख है. इसमें बताया गया है कि सर्वप्रथम यहां पर बाबूराम रतन सिंह ने क्षेत्र में में अमन चैन व खुशहाली के लिए वर्ष 1597 में दुर्गा पूजा शुरू की थी. पीढ़ी पर दर पीढ़ी अनवरत रूप से पूजा जारी है. वर्तमान समय में बाबू रामरतन सिंह की 19वीं पीढ़ी के सदस्य टिकैत कामाख्या नारायण सिंह के नेतृत्व में पूजा का आयोजन किया जा रहा है. पूर्व में यहां बकरा के साथ-साथ भैंसा की बलि देने का प्रचलन था. लेकिन, वर्ष 1973 से भैंसा की बलि पर रोक लगा दी गयी. हालांकि, बकरे की बलि देने की प्रथा अभी भी कायम है. नवरात्र के बाद महानवमी व विजयादशमी के अवसर पर बकरे की बलि दी जाती है. वर्तमान समय में आचार्य डॉ रामानंद पांडेय के नेतृत्व में प्रतिदिन में दुर्गा चंडी पाठ किया जा रहा है. मंदिर प्रांगण की आकर्षक साज-सज्जा की जा रही है. पूजा के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.
आस्था का प्रतीक है दुर्गा मंदिर
किसगो स्थित दुर्गा मंदिर के प्रति लोगों में गहरी आस्था है. लोगों का कहना है कि इस मंदिर में मांगी गयी सभी मनोकामना पूरी होती है. मनोकमना पूरी होने पर श्रद्धालु मां दुर्गा का अनुष्ठान, प्रतिमा निर्माण से लेकर साज सज्जा, डाक का खर्च वहन करते हैं. इस बार डाक का खर्च पांडेयडीह गांव सुखदेव पांडेय वहन कर रहे हैं.
2061 तक मां की सजावट को ले श्रद्धालुओं की सूची तैयार
आस्था का प्रतीक किसगोगढ़ दुर्गा मंदिर में मां दुर्गा के साज सज्जा के लिए श्रद्धालुओं की कतार लगी है. जानकारी के मुताबिक यहां पर वर्ष 2061 तक साज – सज्जा (डाक चढ़ाने) बुक है. आयोजन को सफल बनाने में अध्यक्ष टिकैत कामाख्या नारायण सिंह, नकुल सिंह, रामकृष्ण सिंह, जितेंद्र शर्मा, मदन मोहन सिंह, देवानंद पांडेय, सारंगधर गुप्ता, अभिषेक शर्मा, विश्वनाथ सिंह, विपिन सिंह आदि सक्रिय हैं.
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