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लगभग 10 वर्षों से जिले में बालू घाट का नहीं हो सका है टेंडर, चोरी की बालू से लिखी गयी कई इमारतों के निर्माण की गाथा

हर दिन चोरी की बालू के उठाव को लेकर जिले में मच रहा हायतौबा, कई सरकारी इमारतों का निर्माण भी चोरी की बालू किया गया पूरा

गोड्डा जिले में बीते 10 वर्षों से किसी भी बालू घाट का टेंडर नहीं हो सका है. बगैर टेंडर के ही घाटों से बालू का उठाव आये दिन किया जा रहा है. चोरी की बालू को लेकर जिले में कई बार हाय तौबा मची है. बीच-बीच में मामला रेस पकड़ता है, फिर ठंडे बस्ते में चला जाता है. वर्ष 2015 में बालू घाट का अंतिम टेंडर हुआ था, जिसमें जिले के कुल 38 बालू घाटों की नीलामी की गयी थी. नीलामी की प्रक्रिया तत्कालीन डीसी राजेश कुमार शर्मा की देखरेख में पुराने समाहरणालय भवन में पूरी की गयी थी. तभी विभाग को करोड़ों के राजस्व की प्राप्ति भी हुई थी. इस दौरान तीन वर्ष के लिए बालू घाटों का टेंडर किया गया था. हालांकि कई घाटों को पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिलने के बाद चालू तक नहीं कराया जा सका था. वर्ष 2018 के बाद तो एक भी घाट को सरकारी स्तर पर बंदोबस्त नहीं कराया जा सका है. इसका परिणाम यह हुआ कि इन 10 सालों के दौरान जिले के विभिन्न बालू घाटों से चोरी के बालू का उठाव व परिवहन होता रहा. जिले के कई निजी व सरकारी इमारतों की कहानी चोरी के बालू से ही गढ़ी गयी. ऐसे में सरकार को तो राजस्व की क्षति हो ही रही है, साथ ही आमलोगों को भी इसका दंश झेलना पड़ रहा है. घर निर्माण के लिए भी सस्ते दर पर बालू मिलना मुश्किल हो गया है. बालू के लिए आये दिन हायतौबा मच रही है. इसका कारण है कि बालू उठाव में लगे कारोबारियों को चोरी की बालू को उठाने व परिवहन करने में भारी भरकम नजराना चुकाना पड़ता है. ऐसे में चोरी की बालू भी आम लोगों को मिलना अब सस्ता तो दूर भारी मुश्किल हो गया है.

बंदोबस्ती नहीं होने से अवैध कारोबारियों की रही चांदी, अफसरों ने भी काटी मलाई

जिले में बीते 10 सालों से बालू घाटों की बंदोबस्ती नहीं होने से बालू तस्करों की चांदी रही. वहीं अफसरों ने भी खुब मलाई काटी. बगैर बंदोबस्ती के घाटों से बालू उठाव कर रात-दिन अवैध तरीके से परिवहन किया गया. इसमें जहां उठाव करने वालों की चांदी रही, तो इस जुगाड़ में भी लोगों ने मलाई काटने का काम किया. बालू उठाव की छूट दे दी गयी. जिले के कई प्रखंड, जहां आज भी बालू का उठाव किया जा रहा है. बालू उठाव में कई बार हो हंगामा भी हुआ, जिससे जिला प्रशासन की किचकिच हुई है. पूरे मामले में राजनीतिक संरक्षण भी प्रदान किया गया. हाल में बालू के अवैध उठाव व परिवहन में सुंदरपहाड़ी में हायतौबा मची है. सीओ से लेकर थानेदार तक को घंटो बंधक बनना पड़ा है. साथ ही बालू लदे ट्रैक्टर तक छुड़ा ले गये. कई थाना क्षेत्र में तो इस अवैध उठाव को पुलिसिया संरक्षण दिया गया, जिससे बालू कारोबारी का मनोबल बढ़ गया. पथरगामा, पोड़ैयाहाट से लेकर बसंतराय आदि थाना क्षेत्र में तो बालू उठाव में लगे तस्करों ने पुलिस पर कई बार पथराव भी किया है. साथ जबरन ट्रैक्टर भी ले गये. पथरगामा में तो तत्कालीन जिला खनन पदाधिकारी मेघलाल टुटू के वाहन पर पथराव तक कर दिया गया, जिसमें केस दर्ज किया गया था. इस बाबत जिला खनन पदाधिकारी सन्नी कुमार के मोबाइल नंबर 7209176895 पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन श्री कुमार ने फोन नहीं उठाया, जिसके कारण संपर्क नहीं हो सका.

हाल के दिनों में डीसी की सख्ती के बाद अवैध उठाव पर लगा है विराम

इधर हाल में बालू उठाव के मामले में डीसी जिशान कमर द्वारा सख्ती बरती गयी है. अवैध उठाव पर शिकंजा कसने का काम किया गया है. बीते 10-15 दिनाें से अवैध उठाव का कारोबार बंद हो गया है. सीओ व थानेदार को लगातार मॉनिटरिंग कर उठाव पर ब्रेक लगाने को कहा गया है, जिसके बाद अवैध उठाव का कारेाबार बंद है, जिसके कारण बालू के लिए हायतौबा मची है.

16 घाटों से बालू उठाव के लिए की गयी हैं बंदोबस्ती, परंतु अब तक रास्ता साफ नहीं

विभाग के अनुसार इस बार जिले के कुल 16 बालू घाटों को बालू उठाव के लिए बंदोबस्त सरकारी स्तर पर किया गया है. जेएसएमडीसी को बालू उठाव के लिए एजेंसी तय किया गया है, जिसमें सात घाटों से बालू उठाव के लिए एजेंसी द्वारा तय मानक को पूरा नहीं करने पर डिबार कर दिया गया है. कुल नौ बालू घाटों से ही पर्यावरणीय स्वीकृति व एनओसी लेने के बाद जेएसएमडीसी को बालू उठाव की अनुमति प्रदान की जाएगी. जिला स्तर पर सर्वे रिपोर्ट बनने के बाद राज्य सरकार व अन्य एजेंसियों ने उठाव की अनुमति दी है. जिन घाटों से बालू उठाव की अनुमति जेएसएमडीसी को दी गयी है, वे सभी घाट कैटेगरी टू में आते हैं. कैटेगरी वन के सभी बालू घाटों को पंचायत स्तर पर बंदोबस्त किया गया है, जो सीओ की देखरेख में संचालित होता है. बसंतराय का सनौर बालू घाट कैटेगरी वन में ही आता है, लेकिन वहां रात के अंधेरे में हाइवा से ढुलाई हो रही थी. अब इन घाटों को कैटेगरी टू में डाले जाने की कवायद की जा रही है.

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