महागामा के महुवारा में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन महारास लीला और रुक्मणी विवाह की कथा सुनायी गयी. इस दौरान कथा वाचिका अनिता देवी ने कहा कि प्रभु की कृपा के लिए भक्ति की आवश्यकता है. मनुष्य अपने जीवन में अच्छे व बुरे कर्म करने को तो स्वतंत्र है, परंतु उसके किये कर्म के अनुरूप परिणाम का भोग भी इसी जन्म में भोगना पड़ता है. कथा वाचिका अनिता देवी ने भगवान श्री कृष्ण के दिव्य महारास लीला का वर्णन करते हुए कहा कि गोपियों ने भगवान श्री कृष्ण से उन्हें पति के रूप में पाने की इच्छा प्रकट किया था. भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों की इस कामना को पूरी करने का वचन दिया था. अपने वचन को पूरा करने के लिए भगवान ने शरद पूर्णिमा की रात को यमुना तट पर महारास किया. कथा के दौरान भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी के विवाह की कथा सुनकर भक्तजन भाव विभोर हो गये. इस दौरान मनोरम झांकी के माध्यम से जीवंत विवाह प्रसंग प्रस्तुत किया गया. जैसे ही भगवान का विवाह शुरू हुआ भक्तजन खुशी से झूम उठे. महिलाएं मंगल गीत गाकर नृत्य करने लगी तथा संगीतमय भजनों ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. कथा के दौरान पंडाल में मौजूद भक्तजनों द्वारा लगाये गये राधे-राधे के जयघोष से माहौल भक्तिमय हो गया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है