गोड्डा. शहर से सटे कझिया नदी के पूरब दिशा में है कनवारा गांव. गांव में नाग बासुकी के मंदिर में शनिवार को हजारों भक्तों ने पूजा की. गोड्डा समेत संताल परगना जिलों से भक्त पहुंचे थे. नाग देवता की पूजा दूध व लावा चढ़ाकर करने के बाद प्रसाद लेकर वापस आये. हर वर्ष 07 जुलाई को कनवारा नाग मंदिर में मेला को लेकर पूरी तैयारी की जाती है. नाग बासुकी मंदिर में करीब सौ से अधिक वर्षों से लगातार पूजा-अर्चना की जा रही है. स्थानीय प्रदीप सिंह के घर पर ही बने मंदिर में उनके कई पीढियों के लोग नाग बासुकी की पूजा करते आ रहे हैं. मंदिर की स्थापना नोनीहाट के पास सुकजोरा नामक स्थान के नाग बासुकी मंदिर के सिंदूर लाकर कनवारा गांव में मंदिर की स्थापना की गयी थी. दोनों मंदिर में लगभग एक ही दिन सात जुलाई को ही पूजा के साथ बलि व मेला का आयोजन किया जाता रहा है. विशेषता यह है कि नोनीहाट के सुकजोरा का मंदिर भी नदी के किनारे है. गोड्डा का कनवारा गांव का नाग मंदिर भी कझिया नदी के किनारे है. 15 दिनों तक नाग बासुकी को चढ़ाया जाता है जल व दूध मंदिर में जून माह से लगातार प्रतिदिन दूध व जल से नाग बासुकी की पूजा की जाती है. अंतिम पूजा सात जुलाई को करने के बाद जोरदार मेले का आयोजन किया जाता है. पुजारी अशोक कुमार मांझी ने बताया कि 15 दिनों तक गांव के लोग शाकाहारी भोजन करते हैं. नाग देवता को बलि के प्रसाद ग्रहण करने के बाद लोगों के घर मांस मछली बनता है. शनिवार को मंदिर में करीब पांच क्विंटल दूध से बना महाप्रसाद नाग देवता को चढ़ाया गया. इस दौरान जानकारी में पूजा के आयोजक प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि खीर का भोग लगने के बाद कुंवारी व ब्राह्मण भोजन के बाद लोगों को प्रसाद के रूप में दिया गया. क्षेत्र की करीब तीन सौ कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया गया. आठ सौ से जयादा लोगों ने खीर का प्रसाद खाया. सैकड़ों बच्चों का तांता दिन भर प्रसाद लेने को लगा रहा. आयोजन को सफल बनाने में पुजारी अशोक मांझी, प्रदीप सिंह, परमानंद साह, अशोक कापरी, जयनारायण मांझी, घनश्याम माझी समेत ग्रामीण लगे थे.
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