छठा अंगिका द्वितीय राजभाषा दिवस पर गोष्ठी का आयोजन किया गया. अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच के जिलाध्यक्ष डॉ राधेश्याम चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम के दौरान श्री चौधरी ने कहा कि अंगिका को सूबे की दूसरी राजभाषा के रूप में अंगीकृत कराना झारखंड राज्य में अंगिका की सबसे बड़ी जीत है. संतालपरगना सहित अंग प्रदेश की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है. अंगिका झारखंड की नियोजन नीति में शामिल कराये जाने की पूरी जोरशोर से लड़ाई लड़ी जा रही है. अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच के प्रदेश महासचिव डॉ प्रदीप प्रभात ने कहा कि अंगिका को झारखंड में द्वितीय राजभाषा का दर्जा मिलने से अंगिका भाषा संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज होने का रास्ता साफ हो गया है. डॉ मनोज राही ने कहा कि झारखंड सरकार ने अंगिका को नियोजन नीति से फिलहाल हटा दिया है. उच्च न्यायालय में मामला लाने की बातों पर जोर देकर श्री राही ने कहा कि बगैर अदालती रलड़ाई से यह संभव नहीं है. डॉ ब्रह्मदेव कुमार ने कहा कि इस लड़ाई को सभी साहित्यकारों को मिलकर लड़ना होगा. वहीं नवीन कुमार समधि, डॉ अस्मिता शिप्रा आदि ने भी विचार व्यक्त किये.
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