समाहरणालय लिपिक अपनी नौ सूत्री मांगों को लेकर पिछले 22 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. मांगों के समर्थन में कर्मचारी अशोक स्तंभ पर धरना पर बैठे और नारेबाजी की. संघ के जिला मंत्री मुजाहिदुल इस्लाम ने कहा कि वर्ष 2014 में सरकार ने लिखित समझौता किया था कि उच्चस्तरीय समिति जो अनुशंसा करेगी, उसे लागू किया जाएगा. वर्ष 2014 में ही उच्च स्तरीय समिति ने उनकी मांगों के पक्ष में अनुशंसा की है. लेकिन अब तक उक्त अनुशंसा को सरकार द्वारा लागू नहीं किया गया है. दस वर्षों से उच्च स्तरीय समिति की अनुशंसा लागू होने का इंतजार किया गया है. कई बार सरकार से पत्राचार करके अनुशंसा को जल्द लागू कराने की मांग भी की गयी. विगत दो वर्षों से सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने हेतु सक्रिय आंदोलन संघ द्वारा चलाया जा रहा था. सरकार के द्वारा कोई पहल नहीं किये जाने के कारण हमें विवश होकर हड़ताल में आना पड़ा है. पांच दिन बीत गये लेकिन सरकार द्वारा वार्ता हेतु अब तक आमंत्रित नहीं किया गया है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. सभी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर दृढ़ता से हड़ताल में डटे हुये हैं. जब तक मांगें पूरी नहीं होती अथवा सम्मानजनक समझौता राज्य सरकार नहीं करती, तब तक हड़ताल जारी रहेगा. धरना में दिनकर ठाकुर, आरती झा, रंजित कुमार, नर्मदेश्वर पंडित, अनिता किस्कू, दीपिका हंसदा, पूनम हंसदा, पूनम मरांडी, बिंदु सोरेंग, विनीता कुमारी, अनुराधा कुमारी, आलोक कुमार, राकेश कुमार झा, नसीम अख्तर, प्रिंस कुमार, सबीना मुर्मू, फ्रांसिस मुर्मू, शमशाद आलम, मनोज किस्कू, मनोज कुमार, सुनील शास्त्री आदि शामिल रहे.
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