समाजसेवी आर्यन चंद्रवंशी ने निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाये जाने की मांग की है. श्री चंद्रवंशी ने कहा है कि निजी स्कूलों के संचालकाें की सांठगांठ किताब, पोशाक व स्टेशनरी विक्रेताओं से है. उनके पास बच्चों के पठन-पाठन सामग्री के क्रय आदि के लिए भेजा जाता है. वहां से इन स्कूलों के संचालकों को मोटी रकम मिल जाती है. यहां कमीशनखोरी का धंधा चलता है, जिससे आम लोग व अभिभावक सभी परेशान हैं. निजी स्कूल की व्यवस्था में आम आदमी की कमर टूट चुकी है. व्यवस्था के नाम पर बढ़चढ कर पैसा वसूला जाता है. ज़िले में निजी विद्यालयों ने राइट टू एजुकेशन की धज्जियां उड़ा रखी है. बहुत सारे निजी विद्यालयों में राइट टू एजुकेशन के अनुसार 25% जरूरतमंद बच्चों को निशुल्क पढ़ाई नहीं की जाती, जो की सरकार की गाइड लाइन के खिलाफ है. ज़िले के बहुत से निजी स्कूल का अपना रजिस्ट्रेशन भी नहीं है. परीक्षा के समय बच्चों को किसी और स्कूल के नाम से परीक्षा दिलवाने का काम करते हैं. जिस जिले के बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है, इसको लेकर श्री चंद्रवंशी ने डीसी से निवेदन करते हुए कहा कि जल्द से जल्द इस मामले की जांच की जाये. इसके साथ ही सभी निजी स्कूल को आरटीई का पालन करने का सख्त निर्देश दिया जाये, नहीं तो पूरे मामले को लेकर सड़क पर उतरने के लिए बाध्य होंगे.
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