प्रदेश सरकार भले ही हर रोज ग्रामीण सड़क को मुख्य धारा से जोड़ने की बात कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. इसका जीता जागता उदाहरण है बसंतराय प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत केवां पंचायत के कासिम अली टिकर गांव की है. आज तक गांव के ग्रामीणों को एक अदद पक्की सड़क नसीब नहीं है. गांव वासियों के चेहरे पर पक्की सड़क नही होने का दर्द साफ महसूस किया जा सकता है. मालूम हो कि प्रखंड मुख्यालय से महज चार किलोमीटर दूरी पर स्थित कासिम अली टिकर गांव है, जो कि पूरी तरह से अति पिछड़ा गांव है. गांव की आबादी लगभग दो हजार की है. बावजूद किसी भी जनप्रतिनिधि का ध्यान उस ओर नहीं गया है. बरसात के मौसम में किसी महिला को प्रसव पीड़ा हो, तो उसके लिए खाट पर लिटा कर मुख्य मार्ग तक लाना पड़ता था. स्थानीय ग्रामीण फारुक खां, शमशाद खां, सेराज खां, रिजवान खान, लक्ष्मन मांझी, मोहन मांझी, मोइन अंसारी, जोगी मांझी, समीम अंसारी, अकबर खां, इरशाद खां, बीबी रुबिना, अकबर मांझी आदि ने बताया कि लगभग दो साल पूर्व जमीन की समस्या का निदान कर श्रमदान के बाद मुख्य मार्ग तक लगभग डेढ़ किलोमीटर सड़क ग्रामीणों ने मिलकर बनाया. बताया की बरसात के दिनों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बरसात में जब कच्ची सड़क पर कीचड़ हो जाता है तो काफी परेशानियों का सामना कर जरूरत का सामान खरीदने बाजार और बच्चे पढ़ने स्कूल जाते है. वहीं बरसात के मौसम में दो पहिया वाहन हो या चार पहिया, मुख्य मार्ग पर ही छोड़ कर गांव जाना पड़ता है. इस संबंध में कई बार पंचायत प्रतिनिधि से लेकर प्रखंड प्रशासन तक से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि ने अब तक पक्की सड़क बनाने की दिशा में ध्यान नहीं दिया है. सबों ने डीसी से इस दिशा में ध्यान देने की मांग की है.
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