गुमला : कोरोना महामारी के बाद लगे लॉकडाउन का एक महीना हो गया. लॉकडाउन ने किसी का रोजगार छीन लिया तो किसी को व्यापार बदलने पर मजबूर कर दिया. कोई आर्थिक संकट से जूझ रहा है. प्रभात खबर की ओर से दुर्जय पासवान ने इस मुद्दे पर अलग-अलग लोगों से बात की. कोरोना महामारी संकट, लॉकडाउन से जीवन पर पड़ रहे असर व लॉकडाउन में रोजी-रोटी कैसे जुगाड़ हो रहा है. इन मुद्दों पर बात की. अधिकांश लोगों का कहना है कि लॉकडाउन से रोजगार छिन गया. परंतु खुशी इस बात की है कि हम सभी जिंदा हैं.
गुमला के लोगों ने कहा
पालकोट प्रखंड के कुम्हार टोली निवासी दीपक महतो पेशे से ट्रैक्टर चालक हैं. परंतु अभी वाहन परिचालन बंद है. जिससे उसके परिवार के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. राशन कार्ड भी नहीं है. घर में सात परिवार हैं. दीपक ने कहा कि किसी प्रकार परिवार का भूख मिटा रहे हैं. दुख में जिंदगी गुजर रही है. परंतु जिंदा रहने की खुशी है. भरनो प्रखंड के दुकानदार अजय प्रसाद केशरी ने कहा कि लॉकडाउन में परिवार चलाना काफी मुश्किल है. किसी तरह बाल बच्चों को पाल रहे हैं. परंतु कोई गम नहीं है. देश हित में हम सभी लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं.
सिसई प्रखंड निवासी कृष्णा केसरी बस एजेंट के साथ चाय पान का दुकान चलाकर परिवार चलाते हैं. लॉकडाउन की वजह से सभी काम धंधा छोड़कर घरों में कैद हैं. घर का चूल्हा बड़ी मुश्किल से जलता है. जिंदगी कष्ट में गुजर रही है. बस इंतजार है, कोरोना महामारी जल्द खत्म हो जाये. घाघरा प्रखंड के देवाकी गांव निवासी रवि उरांव ने कहा कि 30 दिन के इस लॉकडाउन में मजदूरों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी है. सरकार ने कहा था कि मनरेगा के काम शुरू होगा. जीविका चलाने का उपाय निकाला जायेगा. परंतु हमारे गांव में ऐसा नहीं हो रहा है. टेंपो चलाकर कुछ पैसा जमा किये थे. परंतु लॉकडाउन में वह पैसा भी खत्म हो रहा है.
कामडारा प्रखंड के मुरगा गांव निवासी रवि राम ने कहा कि मैं दिहाड़ी मजदूर हूं. राशन कार्ड है. लेकिन परिवार नहीं चलता है. रोज दिन मजदूरी करते हैं. इमली चुनने जाते हैं. तब मजदूरी मिलता है. उसी से घर चलता है. लॉकडाउन में काम नहीं मिला है. राशन कार्ड से चावल मिला था. अब चावल समाप्त हो रहा है. जारी प्रखंड के डुंबरटोली निवासी मदन सिंह पेशे से एक छोटा धान व्यापारी हैं. धान से जो आय होता था. परिवार चलता था. लेकिन लॉकडाउन होने के बाद जीना मुश्किल हो गया. मेरा राशन कार्ड है. लेकिन बेटों के द्वारा राशन के विषय में लड़ाई झगड़ा होते रहता है. इस कारण मैं सभी बेटों को बराबर राशन बांट देता हूं. किसी प्रकार हमारा परिवार इस लॉकडाउन में चल रहा है.
बसिया प्रखंड के ऑटो चालक सहदेव सोनी ने कहा कि लॉकडाउन में जीना मुश्किल हो गया है. ऑटो चलाते थे तो परिवार चलता था. परंतु अब यह बंद हो गया है. बड़ी मुश्किल से परिवार चला रहे हैं. राशन कार्ड नहीं है. जिस कारण राशन नहीं मिला है. बिशुनपुर प्रखंड के फल विक्रेता बैजनाथ महतो ने कहा कि लॉकडाउन में फल का दुकान खुला है. परंतु लोग घरों में कैद हैं. इसलिए कोई खरीदार नहीं आ रहा है. लॉकडाउन से पहले फल मंगाये थे. बिक्री नहीं होने से करीब 10 हजार रुपये का फल सड़ गया. प्रत्येक दिन चार पांच ग्राहक ही आ रहे हैं. इससे व्यवसाय को नुकसान पहुंच रहा है. परिवार को चलाना मुश्किल हो रहा है.