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Good Samaritan Policy 2020 : झारखंड में सड़क हादसे में घायलों की मदद कर बनें लाइफ सेवर और पायें इनाम, अब पुलिस नहीं करेगी परेशान

Good Samaritan Policy 2020, Jharkhand News, रांची न्यूज : झारखंड में अब सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद बेफिक्र होकर कर सकते हैं. पुलिस अब परेशान नहीं करेगी. इतना ही नहीं घायलों की जान बचानेवालों को सरकार सम्मानित भी करेगी और 2000 रुपये का इनाम देगी. इसके लिए झारखंड सरकार ने गुड सेमेरिटन (सड़क दुर्घटना में पीड़ितों की सहायता करने वाला, उसे अस्पताल पहुंचाने वाला व्यक्ति) पॉलिसी 2020 लागू कर दी है. इसका संकल्प स्वास्थ्य विभाग ने नौ फरवरी को जारी कर दिया है.

Good Samaritan Policy 2020, Jharkhand News, रांची न्यूज : झारखंड में अब सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद बेफिक्र होकर कर सकते हैं. पुलिस अब परेशान नहीं करेगी. इतना ही नहीं घायलों की जान बचानेवालों को सरकार सम्मानित भी करेगी और 2000 रुपये का इनाम देगी. इसके लिए झारखंड सरकार ने गुड सेमेरिटन (सड़क दुर्घटना में पीड़ितों की सहायता करने वाला, उसे अस्पताल पहुंचाने वाला व्यक्ति) पॉलिसी 2020 लागू कर दी है. इसका संकल्प स्वास्थ्य विभाग ने नौ फरवरी को जारी कर दिया है.

झारखंड में सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों की मृत्यु दर अधिक है. अक्सर देखने में आता है कि सड़क किनारे कोई दुर्घटना हो जाती है और कोई मदद को आगे नहीं आता. इसकी वजह होती है कि ऐसे मामलों में मदद करनेवाले से पुलिस काफी पूछताछ करती है. अब सरकार ने ऐसे नेक आदमी के संरक्षण के लिए नियम बना दिया है.

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सड़क हादसों में घायल व्यक्तियों की जीवन रक्षा और अंग की हानि कम करने के लिए गोल्डन ऑवर (पहला 60 मिनट) में उपचार सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है. इसके लिए घायल व्यक्ति को गोल्डन ऑवर में निकटवर्ती अस्पताल में ले जाना जरूरी होता है. आम लोग या राहगीर मानवता के आधार पर घायलों को निकटवर्ती अस्पताल पहुंचाने की इच्छा रखते हुए भी मदद नहीं पहुंचा पाते़ कहीं न कहीं पुलिस के सवाल-जवाब एवं कानूनी प्रक्रिया में उलझने का डर, उन्हें अस्पताल ले जाने से रोकता है. अब ऐसा नहीं होगा. सड़क हादसे में जख्मी व्यक्ति की मदद के लिए नेक नागरिक (गुड सेमेरिटन) को प्रेरित करने के उद्देश्य से झारखंड गुड सेमेरिटन पॉलिसी को तीन फरवरी को मंत्रिपरिषद ने मंजूरी दे दी है. यह पॉलिसी नौ फरवरी से लागू भी हो गयी.

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सरकारी कर्मी और जन प्रतिनिधियों पर भी सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद करने की जिम्मेवारी होगी

दुर्घटना के एक घंटे यानी गोल्डन ऑवर में घायल को अस्पताल पहुंचाने पर 2000 रुपये मिलेंगे

दो व्यक्ति अगर किसी घायल को नजदीकी अस्पताल पहुंचाते हैं, तो दोनों को दो- दो हजार देने की योजना

दो से अधिक लोग किसी घायल को अस्पताल पहुंचाते हैं, तो सरकार पांच हजार रुपये देगी, यह राशि सबके बीच समान रूप से वितरित होगी.

दुर्घटना से संबंधित जानकारी लेने के लिए पुलिस को हर पूछताछ के समय मदद करनेवाले नेक नागरिक के बैंक अकाउंट में पहले 1000 रुपये डालना होगा. यदि गवाह बनने के बाद वह व्यक्ति कोर्ट जाता है, तो प्रत्येक सुनवाई पर उस व्यक्ति के अकाउंट में 1000 रुपये डालने होंगे.

पुलिस नेक आदमी को अपनी पहचान बताने के लिए बाध्य नहीं कर सकती है.

मरीज को अस्पताल में पहुंचाने के बाद मददगार व्यक्ति को अनावश्यक रोका नहीं जायेगा. अस्पताल के कर्मी भी उनसे पूछताछ नहीं कर सकते.

गवाही के लिए विशेष परिस्थिति में ही और न्यूनतम बार उन्हें सम्मन जा सकेगा.

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झारखंड में हर वर्ष पांच हजार से अधिक सड़क दुर्घटनाएं और तीन हजार से अधिक मौतें होती हैं. वर्ष 2020 में लॉकडाउन के कारण दुर्घटना और होने वाली मौतों में काफी गिरावट दर्ज की गयी है. वर्ष 2020 में अक्तूबर तक 3366 सड़क हादसे हुए और इनमें 2294 लोगों की मौत हुई है. दुघर्टना में अधिकतर मौत युवाओं की हो रही है. इसको लेकर सरकार संवेदनशील है. सरकार ने संवेदनशीलता का परिचय देते हुए झारखंड गुड सेमेरिटन पॉलिसी लागू की है, ताकि सड़क हादसे में घायलों की मदद के लिए लोग आगे आयें और किसी के जीवन की रक्षा हो सके. अब सरकार घायलों को अस्पताल पहुंचाने वालों को प्रोत्साहन राशि देकर सम्मानित करेगी.

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मददगार व्यक्ति के साथ आदरपूर्वक व्यवहार होगा. राष्ट्रीयता, धर्म, जाति या लिंग के आधार पर किसी भी परिस्थिति में भेदभाव नहीं किया जा सकता.

व्यक्ति पुलिस कंट्रोल रूम या थाने में फोन कर एक्सीडेंट की सूचना देता है, तो उसका नाम, पता, फोन नंबर आदि नहीं पूछा जा सकता.

पुलिस अधिकारी किसी भी परिस्थिति में मदद करनेवाले के नाम, पता का खुलासा नहीं करेंगे.

गवाह बनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.

यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से गवाह बनना चाहता है, तो उसके साथ पुलिसकर्मी आदर के साथ व्यवहार करेंगे.

गवाह बनने के बाद यदि पुलिसकर्मी गवाह की अनुमति से पूछताछ के लिए उनके आवास में जाना चाहते हैं, तो सिविल ड्रेस में जाना होगा.

सुविधा हो, तो वीडियो कॉल के माध्यम से भी पूछताछ कर जानकारी ली जा सकती है.

यदि मददगार आदमी पुलिस स्टेशन जाकर जानकारी देता है, तो एक ही बार में उनसे पूछताछ निर्धारित समय सीमा के भीतर ही की जायेगी.

घायल को अस्पताल पहुंचाने में जो खर्च होता है, उसे डीटीओ द्वारा वापस किया जायेगा.

गुड सेमेरिटन पॉलिसी की निगरानी के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी भी होगी. पॉलिसी के तहत क्या-क्या काम हुए, इसकी एक रिपोर्ट भी कमेटी के समक्ष रखी जायेगी. कमेटी समन्वय का काम भी देखेगी.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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