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धूल फांक रहे करोड़ों के गुमला के सामुदायिक शौचालय

स्थानीय लोगों के अनुसार शौचालय बनने के बाद से खुला ही नहीं है. वार्ड नंबर दो में आधा किमी के अंतराल में एक नहीं, बल्कि दो शौचालय बने हैं. परंतु दोनों शौचालयों का उपयोग नहीं होने के कारण बेकार पड़ा है.

जगरनाथ पासवान, गुमला:

गुमला शहर में नगर परिषद द्वारा शौचालय निर्माण में खूब लूट-खसोट किया गया है. स्वच्छ भारत अभियान के तहत सामुदायिक शौचालय बनाये गये हैं. जहां पर नहीं थी जरूरत, वहां कमीशन खाने के फेर में शौचालय बना दिया. नया शौचालय बना, पर उपयोग नहीं हुआ और जर्जर हो गया. पुन: जर्जर भवन की मरम्मत कर सरकारी राशि को बर्बाद कर दिया. अभी भी कई सामुदायिक शौचालय बेकार पड़े हैं. करोड़ों रुपये की लागत से विभिन्न जगहों पर बने सामुदायिक शौचालय धूल फांक रहे हैं. यह भी कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि उक्त बेकार पड़े शौचालय सरकारी राशि के दुरुपयोग की कहानी बयां कर रहा है. बताते चले कि हाल के सालों में ही नप द्वारा शहर में एक नहीं, बल्कि कई जगहों पर सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया है, जिसमें कुछ शौचालयों को तो सुचारू रूप से चलाया जा रहा है. परंतु अधिकांश शौचालयों में ताला जड़ा हुआ है.

स्थानीय लोगों के अनुसार शौचालय बनने के बाद से खुला ही नहीं है. वार्ड नंबर दो में आधा किमी के अंतराल में एक नहीं, बल्कि दो शौचालय बने हैं. परंतु दोनों शौचालयों का उपयोग नहीं होने के कारण बेकार पड़ा है. एक शौचालय को दुंदुरिया के नीचे बस्ती की ओर खुले में बनाया गया है. उक्त शौचालय का मुख्य प्रवेश द्वार के दरवाजा को छोड़ कर अंदर के सभी 14 कमरों के 14 दरवाजे गायब हैं. संभवत: सभी दरवाजों की चोरी कर ली गयी है. शौचालय की खिड़कियों का शीशा भी टूटा हुआ है. साथ ही अंदर में यूरिनल के कई पैन गायब हैं और दीवारों का टाइल्स भी टूटा है. शौचालय के बाहर मुख्य प्रवेश द्वार पर झाड़ियां उगी हुई है. उसके कुछ दूरी पर एक और सामुदायिक शौचालय बना है.

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उक्त शौचालय के आसपास घर हैं, परंतु शौचालय में ताला लगे रहने से स्थानीय लोग उसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. वहीं वार्ड नंबर एक में टुकुटोली में सड़क किनारे चट्टान के नीचे सामुदायिक शौचालय बना हुआ है. वहां भी ताला लटक रहा है. इस प्रकार स्टेडियम पार्ट टू में भी एक सामुदायिक शौचालय है. उक्त शौचालय की दीवार पर लिखा हुआ है कि सुबह छह बजे से रात 10 बजे तक शौचालय खुला रहता है. परंतु हकीकत यह है कि उक्त शौचालय हमेशा बंद रहता है.

पूर्व पार्षदों ने कहा :

नि:वर्तमान वार्ड पार्षद केके मिश्रा कहते हैं कि जिस उद्देश्य के साथ शौचालयों को बनाया गया है. शौचालय के बंद रहने से वह उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है. पहले तो शौचालय को बनाने में पैसा खर्च किये गये. उसके बाद मरम्मत में भी लाखों रुपये खर्च किये गये. इसके बावजूद शौचालय बेकार पड़ा हुआ है. वहीं वार्ड नंबर एक के पूर्व वार्ड पार्षद अतुल बाड़ा कहते हैं कि टुकूटोली शौचालय की चाबी नप कार्यालय में है. शौचालय को बनाने में और मरम्मत करने में दो बार पैसे खर्च किये गये हैं. इसके बावजूद शौचालय बंद है. इस कारण आमजन शौचालय का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं.

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