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गुमला में जैविक खेती को लेकर किसानों का बढ़ रहा क्रेज, 2000 एकड़ भूमि पर हो रहा उत्पादन

गुमला में जैविक खेती का क्रेज बढ़ने लगा है. हर साल किसानों की संख्या में इजाफा हो रहा है. वर्तमान में तीन हजार किसान इस खेती से जुड़े हैं. वहीं, पांच हजार से अधिक किसानों को इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जिले के दो हजार एकड़ भूमि पर इसकी खेती हो रही है.

गुमला, जगरनाथ : गुमला जिले में जैविक खेती के प्रति किसानों का क्रेज बढ़ रहा है. जिले में हर साल जैविक पद्धति से विभिन्न प्रकार के सब्जियों एवं फलों की खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है. जैविक पद्धति से जीरा फूल, आलू, बैगन, टमाटर, मटर, पत्तागोभी, फूलगोभी, मिरचा, फरसबीन, शिमला मिर्च, भिंडी, करेला समेत विभिन्न प्रकार की सब्जियों व फलों की खेती की जा रही है.

जैविक सब्जियों और फल की बढ़ी डिमांड

जैविक पद्धति से उत्पादित होने वाली विभिन्न प्रकार की फसले सब्जियां एवं फल उम्दा और गुणवत्तापूर्ण रहती है. इसके सेवन के एक नहीं, बल्कि अनेकों फायदे हैं. हालांकि, रासायन युक्त फसलों की अपेक्ष जैविक पद्धति से उत्पादित होने वाली फसलों की कीमत अधिक होती है. इसके बावजूद जानकार लोग जैविक पद्धति से उत्पादित होने वाली सब्जियां और फल ही लेना पसंद करते हैं.

तीन हजार किसान जैविक खेती से जुड़ें

दो साल पहले तक जिले में लगभग दो हजार किसान जैविक खेती कर रहे थे. इसके बाद जैविक खेती करने वालों और एक हजार किसानों की संख्या बढ़ गयी है. इसमें प्राण संस्था का सहयोग रहा है. अब जिले में लगभग तीन हजार से भी अधिक किसान जैविक खेती कर रहे हैं. वहीं अब जिला प्रशासन द्वारा भी जैविक खेती पर फोकस कर काम शुरू कर दिया गया है. इसके लिए उपायुक्त ने आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किया है. जिसके तहत जिले के किसानों को जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. साथ ही वैसे किसान जो खेतीबारी में रासायन का उपयोग करते हैं. उन्हें जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. ताकि जिले में उत्पादित होने वाले फसले उम्दा और गुणवत्तापूर्ण हो. वर्तमान में जिले भर में लगभग तीन हजार किसान जैविक पद्धति से खेती कर फसलों का उत्पादन कर रहे हैं. परंतु अब जैविक खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है.

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जिले के पांच हजार से अधिक किसानों को मिल रहा प्रशिक्षण

उपायुक्त के निर्देशन पर जिले के पांच हजार से भी अधिक किसानों को प्राण संस्था द्वारा जैविक पद्धति से खेती करने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसमें महिला किसानों की संख्या अधिक है. प्रशिक्षण में किसानों को जैविक खेती करने से उसके फायदों तथा रसायन के उपयोग से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दिया जा रहा है. बताया जा रहा है कि रसायन युक्त खेती से उत्पादित होने वाली फसलों के सेवन से लोग जानलेवा बीमारी का सामना करना पड़ रहा है. उदाहरण के तौर पर पंजाब एवं दक्षिणी भारत के लोगों द्वारा अत्याधिक रसायन युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. वहीं प्रशिक्षण के बाद किसानों को जैविक खेती में सहायता भी प्रदान किया जायेगा.

जैविक खेती को महिला किसान कर रही लीड

रिपोर्ट के मुताबिक, जिले में जैविक खेती को महिलाएं लीड कर रही हैं. जैविक खेती करने वाले किसानों में पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या अधिक है. इसे ध्यान में रखते हुए गांवों में विभिन्न महिला मंडली से जुड़ी महिलाओं को विलेज रिसोर्स पर्सन बनाया गया है. विभिन्न प्रखंडों से लगभग 30 महिला विलेज रिसोर्स पर्सन को चिह्नित किया गया है. जिनके द्वारा किसानों के समूह का गठन करते हुए समय-समय पर उन्हें सहायता प्रदान की जा रही है. प्राण संस्था द्वारा उन्हें गोबर, सब्जी के छिलके, सुखे पत्ते आदि की सहायता से खाद्य बनाना एवं नीम के पत्तों से कीटनाशक बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है.

जिले में दो हजार एकड़ भूमि पर की जा रही है जैविक खेती

जिले में वर्तमान में लगभग दो हजार एकड़ भूमि पर जैविक पद्धति से जीरा फूल, आलू, बैगन, टमाटर, मटर, पत्तागोभी, फूलगोभी, मिरचा, फरसबीन, शिमला मिर्च, भिंडी, करेला समेत विभिन्न प्रकार की सब्जियों व फलों की खेती की जा रही है. बता दें कि पूर्व में एक हजार से 12 सौ एकड़ भूमि पर जैविक पद्धति से सब्जियों व फलों की खेती जा रही थी. लेकिन, किसानों की संख्या बढ़ने के साथ ही अब जैविक खेती में भूमि का दायरा भी बढ़ गया है. अब लगभग दो हजार एकड़ भूमि पर जैविक पद्धति से खेती की जा रही है.

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