Jharkhand News: झारखंड के गुमला जिले के गुमला प्रखंड की कतरी पंचायत स्थित चुहरू अहीरपुरवा गांव के वृद्धों ने कहा कि हुजूर, जिंदा रहते पेंशन दिलवा दीजिये, ताकि हम अच्छी जिंदगी जी सकें. मरने के बाद कौन पूछता है. वृद्ध हो चुके इन लोगों को अब तक पेंशन स्वीकृत नहीं हुई है. कई बार पंचायत सेवक को आवेदन दिया, परंतु पेंशन स्वीकृत नहीं हुई. वृद्धों का आरोप है कि बिना घूस लिये कोई काम नहीं होता है, लेकिन उनके पास पैसे नहीं हैं. यही हाल नि:शक्तों का भी है.
झारखंड के गुमला जिले के गुमला प्रखंड की कतरी पंचायत स्थित चुहरू अहीरपुरवा गांव में 60 वर्ष से ऊपर के वृद्धों को वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिल रही है. इस कारण ये लोग लाचारी की जिंदगी जी रहे हैं. ये बताते हैं कि शरीर अब काम भी नहीं करता कि मजदूरी कर सकें. इन लोगों ने प्रशासन से वृद्धावस्था पेंशन दिलवाने की मांग की है. 60 वर्षीया भिनसरिया देवी ने कहा कि हमारे गांव में कोई काम सही से नहीं हो रहा है. किसी भी योजना के लिए घूस देना पड़ता है. घूस नहीं देने के कारण ही हम गरीबों को पेंशन नहीं मिल पा रही है.
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63 वर्षीया शांति देवी ने कहा कि वृद्धावस्था पेंशन मिलती तो कम से कम कुछ जरूरत की चीजें खरीद सकते थे. बुढ़ापे में पेंशन ही सहारा है, परंतु प्रशासन की बेरुखी के कारण पेंशन नहीं मिल रही है. अब तो जैसे-तैसे जिंदगी कट रही है. 63 वर्षीया सुकरा उरांव ने कहा कि पेंशन बुढ़ापे का सहारा होती है. इसलिए सरकार ने हम जैसे वृद्धों के लिए पेंशन योजना शुरू की, परंतु हम गरीबों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. 66 वर्षीया बिरसो देवी व 60 वर्षीया गीता देवी ने कहा कि प्रशासन हम गरीब वृद्धों को पेंशन दे, ताकि हम अपने बच्चों पर बोझ न बन सकें. ऐसे भी हमलोग गरीबी में जी रहे हैं.
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रति उरांव के 13 वर्षीय पुत्र मोहित उरांव नि:शक्त है. वह बोल नहीं पाता. शरीर भी नि:शक्त है. कई बार दिव्यांग पेंशन के लिए परिवार के लोगों ने प्रयास किया, परंतु हर जगह घूस की मांग होने के कारण पेंशन स्वीकृत नहीं हो पायी. रति ने कहा कि अब थक हारकर पेंशन मांगना ही छोड़ दिये हैं. ननकू महली की 10 वर्षीया बेटी रूपा कुमारी एक हाथ से नि:शक्त है. उसे भी पेंशन नहीं मिलती.
रिपोर्ट: जगरनाथ/अंकित