Jharkhand Foundation Day: गुमला जिले के छात्र शिक्षा के क्षेत्र में ऊंची उड़ान भर रहे. क्योंकि, गुमला में कई बड़े शिक्षण संस्थान खुले हैं. जहां हजारों छात्र शिक्षा ग्रहण कर अपने भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं. यूं, कहा जाये तो झारखंड राज्य गठन के बाद गुमला शिक्षा हब बन गया है. यहां चार बड़ी कॉलेज खुली है. गुमला से तीन किमी दूर चंदाली में पॉलिटेक्निक कॉलेज, जशपुर रोड काली मंदिर गुमला के सामने फिसरी कॉलेज, सदर अस्पताल गुमला परिसर में जीएनएम नर्सिग कॉलेज व गुमला से पांच किमी दूर सिलम घाटी में आइटीआइ कॉलेज है. जहां हजारों छात्र-छात्राएं शिक्षा व रोजगार प्राप्त करने वाले शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.
अब बड़े कॉलेजों में पढ़ रहे हैं मजदूर के बच्चे
झारखंड राज्य बनने के बाद भी काफी संख्या में छात्र दूसरे राज्य पढ़ने जाते थे. इसके लिए गुमला में लगातार बड़े शिक्षण संस्थान खोलने की मांग उठते रही. बदलती सरकारों ने अपने स्तर से कई काम किये. इन्हीं में गुमला में फिसरी कॉलेज, जीएनएम कॉलेज, पॉलिटेक्निक कॉलेज व आईटीआई कॉलेज की स्थापना कराया. जहां आज गांव के बच्चे भी पढ़ रहे हैं. माता-पिता किसान हैं. मजदूरी करते हैं. परंतु, अपने बच्चों को अब गुमला के बड़े कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं. प्रशासन भी लगातार नयी-नयी योजना बना रहा है, ताकि गुमला में शिक्षा के स्तर को और बेहतर किया जा सके.
गुमला में है राज्य का पहला फिसरी कॉलेज
झारखंड राज्य का पहला फिसरी कॉलेज गुमला में है. गुमला शहर के जशपुर रोड काली मंदिर के सामने कॉलेज का भवन बन है. झारखंड गठन के बाद कॉलेज शुरू करने के लिए भवन बनना शुरू हुआ था. परंतु, बीच में ही काम बंद कर दिया गया था. प्रभात खबर ने इसे मुद्दा बनाया. जिसका असर है. सरकार ने इसे गंभीरता से लिया. विधानसभा से लेकर राज्य स्तरीय बीस सूत्री की बैठक में मुद्दा उठा. जिसके बाद तेजी से भवन बनाया गया और अब यहां फिसरी कॉलेज की पढ़ाई शुरू कर दी गयी है. वर्ष 2021 से गुमला में फिसरी कॉलेज चालू है. फिसरी कॉलेज में गुमला के अलावा दूसरे जिले के छात्र भी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.
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राज्य का दूसरा नर्सिंग कॉलेज गुमला में खुला
झारखंड प्रदेश में रांची के बाद गुमला दूसरा जिला है. जहां पर जीएनएम नर्सिग कॉलेज व छात्रावास बना है. यहां ए ग्रेड के नर्सो को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. पहले लड़कियां दूसरे राज्य या फिर रांची पढ़ने जाती थी. परंतु, जब से गुमला में कॉलेज शुरू हुआ है. अब यहीं नर्सिंग की डिग्री प्राप्त कर रोजगार ग्रहण कर रही हैं. सबसे अच्छी बात कि यहां पढ़ने वाली अधिकांश लड़कियां ग्रामीण परिवेश व किसान परिवार की हैं. यहां बता दें कि सदर अस्पताल परिसर गुमला में नर्सिंग कॉलेज है. इस कॉलेज को भी शुरू कराने में प्रभात खबर की भूमिका अहम रही है. भवन का काम रूका तो मुद्दा बनाया गया. भवन बना तो कॉलेज शुरू कराने के लिए लगातार खबर छापी गयी. जिससे कॉलेज शुरू हुआ.
पॉलिटेक्निक कॉलेज में युवा सीख रहे हुनर
गुमला शहर से चार किमी दूर चंदाली के समीप पॉलिटेक्निक कॉलेज है. यहां हॉस्टल भी है. छात्र यहीं रहकर पढ़ते हैं. पॉलिटेक्निक कॉलेज से युवक युवती हुनर सीख रहे हैं. इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्स ग्रहण कर रहे हैं. यहां बता दें कि पॉलिटेक्निक कॉलेज शुरू कराने के लिए लंबा आंदोलन हुआ. भवन बनने के बाद भी कॉलेज शुरू नहीं हो रहा था. इसके लिए लगातार आंदोलन हुआ. कई युवा संगठनों ने आंदोलन किया. इसके बाद कॉलेज की शुरूआत की गयी. यहां सिविल इंजीनियरिंग के लिए 120 सीट, मेकेनिकल इंजीनियरिंग के लिए 60 सीट, माइनिंग इंजीनियरिंग के लिए 60 सीट व इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग के लिए 60 सीट है. पॉलिटेक्निक कॉलेज शुरू होने से गुमला जिले के आदिवासी युवक युवतियों को लाभ मिल रहा है.
यहां समस्या है : फॉर्मेसी कॉलेज शुरू नहीं हुई
झारखंड राज्य में दो राजकीय आयुर्वेदिक फॉर्मेसी कॉलेज है. एक कॉलेज साहेबगंज जिला और दूसरा गुमला जिला में है. गुमला में वर्ष 2007 से कॉलेज संचालित है. परंतु, अबतक यह कॉलेज कागजों में चल रहा है. 2007 में जब गुमला में कॉलेज खोला गया था तो शहर से चार किमी दूर चंदाली स्थित पुराने आइबी भवन में यह संचालित था. उस समय कॉलेज के प्राचार्य भी गुमला में रहते थे. कॉलेज के नाम पर लाखों रुपये के सामग्री की भी खरीद हुई थी. लेकिन उस समय राजकीय आयुर्वेदिक फॉर्मेसी कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों की परीक्षा लेने वाला कौंसिल फंक्शन में नहीं रहने के कारण कॉलेज नहीं शुरू हुआ. वर्ष 2012 से कॉलेज शुरू होने वाला था. परंतु अभी तक कॉलेज शुरू नहीं हुई. कॉलेज के नाम पर सिर्फ पांच एकड़ 34 डिसमिल जमीन उपलब्ध हो पायी है. सिलम घाटी के समीप जिला प्रशासन ने कॉलेज बनाने के लिए जमीन उपलब्ध करा दी है. परंतु अभी तक भवन नहीं बना है. सरकारी फाइलों तक ही कॉलेज सिमटता नजर आ रहा है. अगर यह कॉलेज शुरू हो जाये तो गुमला के युवक युवतियों को लाभ मिलेगा.
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रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.