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झारखंड : मड़ुवा की खेती ने बदली गुमला की तस्वीर, अब मिलेट हब के रूप में पहचाना जा रहा

मड़ुवा की खेती से गुमला की तस्वीर बदल रही है. इस खेती के कारण पूरे देश के आकांक्षी जिलों में गुमला जिला अव्वल स्थान हासिल किया. जल्द ही इस जिले को पीएम अवार्ड मिलने जा रहा है. जिले के करीब सवा डेढ़ लाख किसान रागी की खेती पर आश्रित हैं.

गुमला, जगरनाथ पासवान : लोक प्रशासन में गुमला सबसे बेस्ट जिला है. मड़ुवा (रागी) की खेती के कारण पूरे देश के आकांक्षी जिलों में गुमला जिले ने अव्वल स्थान हासिल किया है. जिसके लिए जिले को इस कोटि में पीएम अवार्ड मिलने जा रहा है. उपायुक्त सुशांत गौरव के जिन प्रयासों ने जिले को श्रेष्ठ प्रशासनिक कार्यों की श्रेणी में लाते हुए झारखंड के लिए एक इतिहास रचा. उन कार्यों की सूची में रागी मिशन भी एक है.

मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने की पहल

रागी मिशन केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश में संचालित किया जा रहा है. जिसमें मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा देने की पहल की गयी है. लेकिन, उपायुक्त सुशांत गौरव ने इस मिशन को एक नया मुकाम दिया और रागी उत्पादकता को जमीनी रूप से बढ़ाया. उन्होंने रागी मिशन से न केवल जिले के किसानों की आर्थिक स्थिति में बदलाव लाने हेतु पहल की, बल्कि रागी मिशन से कुपोषण को भी मात देने की सोची. इतना ही नहीं इस मिशन से रोजगार के नये मार्ग भी प्रशस्त हुए. जिले में लगभग 1.23 लाख छोटे एवं सीमांत किसान है जो खेती पर आश्रित है.

एक वरदान के रूप में रागी मिशन

कम औसत वर्षा वाला यह जिला सूखा प्रवण है. सालों से पारंपरिक खेती की प्रणाली पर आश्रित यहां के किसान सिंचाई के लिए कम पानी की उपलब्धता के कारण कम साल में केवल एक बार की खेती करते रहे. जिस कारण किसानों की आर्थिक स्थिति में अपेक्षित सुधार नहीं देखने को मिल रहा था. जिसके परिणामस्वरूप यहां के किसान पलायन कर रहे थे. सुखाड़ की परिस्थिति से जूझते जिले के लिए रागी मिशन एक वरदान के रूप में सामने आयी. उपायुक्त सुशांत गौरव ने इस स्थिति को समझते हुए पूरे जिले में एक अभियान चलाया एवं रागी मिशन से हर घर के किसानों को जोड़ा.

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कम पानी और कम मेहनत की खेती है रागी

रागी एक ऐसी खेती है जिसमें कम पानी की और कम मेहनत की आवश्यकता पड़ती है. इसकी खेती में नुकसान भी कम देखने को मिलता है. उपायुक्त की पहल से जिले के 5550 महिला किसानों ने रागी मिशन से जुड़कर 10 हजार स्क्वायर फीट भूमि पर रागी की खेती की. जिसमें टाना भगत के किसान भी सम्मिलित थे. इस दौरान जिला प्रशासन की ओर से एनएससी से प्रमाणित 20 हजार किलोग्राम रागी बीज का वितरण किसानों के बीच निःशुल्क किया. जिससे 2022-23 में धान की खेती से रागी की खेती में स्थानांतरित हुए. जिसके परिणाम स्वरूप पिछले पांच साल के औसत की तुलना में 2022-2023 में रागी फसल के उत्पादन में 270 प्रतिशत और शुद्ध बुवाई क्षेत्र में 219 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इसके बाद 17 भंडारण बिंदुओं पर खरीद और सभी महिला एफपीसी द्वारा संचालित रागी प्रसंस्करण केंद्र में रागी की खरीद की गयी. जहां रागी का प्रसंस्करण किया गया.

सखी मंडल की दीदियां रागी लड्डू और स्नैक्स बना रही

यह केंद्र जोहार रागी ब्रांड के तहत रोजाना जेएसएलपीएस की एसएचजी की महिलाओं द्वारा पर्याप्त मात्रा में रागी का आटा, रागी लड्डू के पैकेट और रागी स्नैक्स बनायी गयी. इस पूरी प्रक्रिया की जबरदस्त सफलता ने 2023-24 खरीफ सीजन के लिए जिले की व्यापक भागीदारी को प्रेरित किया. जिसमें 26,000 एकड़ से अधिक (दो साल के भीतर रागी के रकबे में 10 गुना से अधिक की वृद्धि) कृषि भूमि को रागी की खेती के लिए प्रस्तावित किया गया है.

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