गुमला, जगरनाथ पासवान: झारखंड के गुमला जिले से 20 किमी दूर कोटेंगसेरा गांव के किसान जैविक खेती कर रहे हैं. यह सांसद एग्री स्मार्ट विलेज है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के लिए कोटेंगसेरा गांव का चयन किया है. 27 अगस्त के एपिसोड में प्रधानमंत्री इस गांव की चर्चा करेंगे. कोटेंगसेरा मुरकुंडा पंचायत में आता है. सांसद सुदर्शन भगत ने एग्री स्मार्ट विलेज के रूप में इसका चयन किया है. आज से छह साल पहले तक यह इलाका नक्सल प्रभावित था. माओवादी, पीएलएफआइ व पहाड़ी चीता गिरोह के उग्रवादी व अपराधी आए दिन लोगों की हत्या व लूटपाट जैसी घटनाओं को अंजाम देते थे. नक्सलवाद पर नकेल के बाद ग्रामीणों ने खेती की ओर ध्यान दिया. अब जैविक खेती से ये गांव सुर्खियों में है. मुरकुंडा पंचायत के रघुनाथपुर, कोलांबी, कोटेंगसेरा व कुटमा गांव के करीब 200 किसान 80 एकड़ में जैविक खेती कर रहे हैं. यहां मल्टी लेयर (मचान विधि) से एक ही खेत में एक साथ चार से पांच प्रकार की सब्जी की खेती की जा रही है. किसानों की सोच ने गांव की तस्वीर बदल दी है.
ग्रामीणों में उल्लास
सांसद सुदर्शन भगत की पहल पर पीएमओ ने इस गांव का चयन मन की बात के लिए किया है. कोटेंगसेरा सहित रघुनाथपुर, कोलाम्बी, कुटवा गांव के 200 से ज्यादा किसान जैविक खेती करते हैं और स्वरोजगार से जुड़े हैं. पीएम मन की बात के लिए गांव का चयन होने पर सरपंच फकीरचंद भगत, रोपना राम बड़ाइक, तुला उरांव, नाथू उरांव, विष्णु तिर्की, ज्योति सहित अन्य लोगों ने हर्ष व्यक्त किया है.
प्रभात खबर ने प्रकाशित की थी जैविक खेती की खबर
जानकारी के अनुसार कोटेंगसेरा गांव के दो किसान पीएम किसान निधि का लाभ 13 बार मिलने को लेकर 15 अगस्त को दिल्ली में सम्मानित हो चुके हैं. जिला परिषद उपाध्यक्ष संयुक्ता देवी ने कहा कि यह हमारे सांसद सुदर्शन भगत के प्रयास का परिणाम है. कोटेंगसेरा गांव विकास के पथ पर अग्रसर है. किसानों के साथ महिला दीदी लगातार जीविकोपार्जन के लिए जैविक खेती कर रही हैं. आपको बता दें कि 10 अगस्त 2022 को प्रभात खबर ने जैविक खेती को लेकर इस गांव की खबर प्रकाशित की थी. इसके बाद से यह गांव सुर्खियों में आया है.
मल्टी लेयर विधि से भी होती है खेती
गुमला शहर से 20 किमी दूर मुरकुंडा पंचायत के रघुनाथपुर, कोलांबी, कोटेंगसेरा व कुटमा गांव के किसान नक्सल के बादल छंटे तो पलायन से मुंह मोड़ अब जैविक खेती कर रहे हैं. खेती-बारी से आजीविका चला रहे हैं. बच्चों को अच्छी शिक्षा दे रहे हैं. इन चार गांवों के करीब 200 किसान 80 एकड़ में जैविक तरीके से खेती कर रहे हैं. यहां मल्टी लेयर (मचान विधि) से एक ही खेत में एक साथ चार से पांच प्रकार की सब्जी की खेती की जा रही है. किसानों की सोच ने गांव की तस्वीर बदल दी है.
गांव में ऐसे आ रहा बदलाव
आज से छह साल पहले तक यह इलाका नक्सल प्रभावित था. माओवादी, पीएलएफआइ व पहाड़ी चीता गिरोह के उग्रवादी व अपराधी आए दिन लोगों की हत्या व लूटपाट जैसी घटनाओं को अंजाम देते थे, परंतु गुमला पुलिस की लगातार दबिश व अभियान से कई उग्रवादी पकड़े गये. कुछ उग्रवादी मारे गये. कई उग्रवादियों ने पुलिस की पहल व ग्रामीणों की सार्थक सोच से सरेंडर किया. जबतक उग्रवाद रहा. ग्रामीण डर से दूसरे राज्य गोवा, दिल्ली में जाकर मजदूरी करते थे, परंतु उग्रवाद कम हुआ तो ग्रामीणों ने गांव में रहकर खेती करनी शुरू की. बगल में मरदा व दक्षिणी कोयल नदी सहित कई छोटी नदियां हैं. जिससे किसान खेत तक पानी ले जाकर खेती कर रहे हैं.
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सांसद ने लिया कोटेंगसेरा को गोद
सांसद सुदर्शन भगत कोटेंगसेरा गांव को गोद लेकर एग्री स्मार्ट विलेज के रूप में कृषि को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं. सांसद की पहल पर गांव में कृषि के कई कार्य हुए हैं. सांसद ने जैविक खेती पर विशेष फोकस किया है. सांसद प्रतिनिधि भोला चौधरी ने कहा कि किसान पलायन न करें. गांव में रहकर खेती करें. इसके लिए सांसद ने एग्री स्मार्ट विलेज के रूप में कोटेंगसेरा का चयन किया है.
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