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Prabhat Khabar Special: झारखंड में विलुप्त हो रही बृजिया जनजाति, सरकारी सुविधाओं से आज भी है महरूम

झारखंड में बृजिया जनजाति विलुप्त होने के कगार पर है. गुमला के टुटुवापानी गांव में निवास करने वाले कई जनजातियों को सरकारी सुविधा भी नसीब नहीं हो पा रही है. मूलभूत सुविधाओं का अभाव आज भी है. इसके बावजूद कोई इसकी सुध नहीं ले रहा है.

Prabhat Khabar Special: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज (Netarhat Field Firing Range) के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाला गुमला जिला अंतर्गत बिशुनपुर प्रखंड के टुटुवापानी गांव (Tutuvapani Village) के विकास से सरकार और प्रशासन मुंह मोड़े हुए है. यह वही गांव है जहां 23 और 24 मार्च को जल, जंगल एवं जमीन का आवाज गूंजती है. प्रशासन के अलावा हिंडाल्को कंपनी (Hindalco Company) भी इस क्षेत्र में सीएसआर (CSR) के तहत सुविधा देने में नाकाम है. जबकि इस क्षेत्र से हिंडाल्को कंपनी करोड़ों रुपये कमा रही है. इसके बावजूद इस क्षेत्र की जनता सरकारी सुविधाओं के लिए तरस रही है.

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विलुप्त के कगार पर बृजिया समेत अन्य जनजाति

नरमा पंचायत स्थित टुटुवापानी गांव बिशुनपुर प्रखंड में आता है, जो जंगल एवं पहाड़ों के बीच अवस्थित है. इस गांव में करीब 70 परिवार है. जिसमें विलुप्त प्राय: आादिम जनजाति बृजिया, मुंडा व उरांव परिवार है. इस गांव में रहने वाले बृजिया जनजाति अब विलुप्त के कगार पर हैं. क्योंकि गरीबी और सरकारी सुविधा नहीं मिलने के कारण आदिम जनजाति अपना धर्म बदल लिए हैं. दूसरी जनजाति भी धीरे-धीरे धर्म बदल रहे हैं. इसकी जानकारी गुमला प्रशासन को है. जनप्रतिनिधियों को भी है, लेकिन इसपर रोक लगाने की पहल नहीं हो रही है.

मूलभूत सुविधाओं का अभाव

टुटुवापानी गांव में शौचालय नहीं बना है. जिस कारण लोग खुले में शौच करने जाते हैं. यहां तक कि महिलाओं को भी खुले खेत में जाना पड़ता है. स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं है. लोग झोलाझाप डॉक्टर से इलाज कराते हैं. या तो फिर अपनी सुविधा पर बनारी और बिशुनपुर इलाज कराने जाना पड़ता है. गांव में गरीबों को प्रधानमंत्री आवास नहीं मिला है. सभी लोगों का घर कच्ची मिटटी का है. बरसात में घर गिरते रहता है. जिसे लोग मरम्मत कर दोबारा उसी घर में रहते हैं. गांव की सड़कें भी कच्ची है. बरसात का पानी सड़क पर जमा रहता है. गांव में जलमीनार बना है. परंतु बरसात के दिनों में जलमीनार से पानी नहीं मिलता है. कारण धूप नहीं निकलने से सोलर चार्ज नहीं होता है. इस कारण लोग कुआं व दाड़ी का पानी पीते हैं. बृजिया सामुदाय के लोगों को एक किमी दूर से पानी लाना पड़ता है.

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बिरसा आवास है अधूरा, बिजली और मोबाइल नेटवर्क भी नहीं

टुटुवापानी में बृजिया जनजाति के लोग रहते हैं. आदिम जनजाति होने के कारण सरकार ने इन्हें बिरसा आवास दी है. लेकिन, अभी तक बृजिया जनजाति के कई घरों में आवास पूरा नहीं हुआ है. यहां तक कि इनके घरों में भी शौचालय नहीं है. वहीं, टुटुवापानी गांव में बिजली पोल और तार लगा हुआ है, लेकिन बिजली नहीं है. गांव में मोबाइल नेटवर्क भी नहीं है. बिजली और मोबाइल नेटवर्क नहीं रहने के कारण बच्चों को पढ़ाई करने में दिक्कत हो रही है.

क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीण लाजरूस टोप्पो ने कहा कि गांव में बिजली नहीं रहने से परेशानी हो रही है. कई बार बिजली बहाल करने की मांग किया. परंतु किसी ने नहीं सुना. गांव की सड़कें भी पक्की नहीं है. जिससे बरसात में दिक्कत होती है. वहीं, ग्रामीण लीबनियुस टोप्पो ने कहा कि हमलोग सरकारी सुविधाओं से महरूम हैं. लेकिन प्रशासन हमारे गांव की समस्याओं को दूर करने का प्रयास नहीं कर रही है. बॉक्साइड माइंस में मजदूरी कर जीविका चला रहे हैं. जबकि ग्रामीण मीना मिंज ने कहा कि गांव के कई घरों में शौचालय नहीं है. महिलाएं खेत में शौच करने जाती है. अगर शौचालय बन जाता तो हमें खुले स्थान पर जाना नहीं पड़ता. प्रशासन गांव में शौचालय बनवा दें.

रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.

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