बसिया, कमलेश साहू: जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को सीआरपीएफ के काफिले में हुए आतंकी हमले में शहीद फरसामा गांव के लाल हवलदार विजय सोरेन की शहादत को चार वर्ष पूरे हो गये. लेकिन आज भी शहीद का गांव उपेक्षित है. परिजनों ने कहा कि पहले कई घोषणाएं की गयीं, लेकिन वक्त के साथ सभी भूल गये. न तो गांव का विकास हुआ और न पेयजल की ही सुविधा उपलब्ध हुई.
फरसामा गांव को आदर्श गांव बनाने की घोषणा की गयी थी. लेकिन अब तक किसी तरह की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करायी गयी. विजय सोरेन 1993 में सेना में भर्ती हुए थे. 1995 में एसपीजी में कमांडो दस्ते में थे. शहीद विजय सोरेन की माता लक्ष्मी देवी व पिता बिरिश सोरेन को अपने बेटे की शहादत पर गर्व है.
पिता बिरिश ने बताया कि बेटे के शहीद हुए चार साल हो गये. परंतु आज भी यह महसूस होता है कि बेटा कहीं से वापस घर लौट आयेगा. उन्होंने कहा कि मैं खुद फौज की नौकरी से रिटायर कर चुका हूं. देश की सेवा में बेटे के शहीद होने से खुद को मैं फर्क महसूस करता हूं. मां लक्ष्मी सोरेन ने कहा कि बेटे से बिछड़ने का अफसोस है, पर गर्व भी है कि मेरा बेटा देश की सेवा में शहीद हुआ है.
शहीद के पिता बिरिश ने प्रशासन से मांग की है कि कुम्हरी तालाब चौक को विजय चौक बना कर वहां प्रतिमा स्थापित की जाये. शहीद के नाम से स्टेडियम का निर्माण व शहीद के घर तक आनेवाली सड़क बनें. उन्होंने बताया कि ग्रामीणों के सहयोग से शहीद विजय सोरेंग की एक नयी प्रतिमा बनवायी गयी है, जिसे कुम्हारी तालाब चौक में बीच चौराहे पर लगाने के लिए प्रशासनिक स्वीकृति हेतु गये थे.
लेकिन प्रशासन ने नये सड़क सुरक्षा नियम के कारण प्रतिमा को सड़क किनारे लगाने व उसके लिए जमीन उपलब्ध कराने की बात कही थी. बिरिश ने बताया कि बेटे के शहीद होने के बाद रांची के एक फ्लैट निर्माता कंपनी ने परिजनों को रांची में एक फ्लैट देने की घोषणा की थी. इसके लिए हमें जमीन दिखाये गये, पर अब तक फ्लैट नहीं दिया गया. उन्होंने बताया कि बीसीसीएल व सीसीएल ने अपनी घोषणा के अनुसार पांचों बच्चों को 16-16 लाख रुपये दिये हैं.