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आंजनधाम सहित इन चार स्थलों के लिए 6.50 करोड़ रुपये का प्रस्ताव, जल्द शुरू होगा विकास कार्य

पर्यटक व धार्मिक स्थलों के विकास के लिए प्रभात खबर द्वारा लगातार चलाये गये मुहिम व पहल का असर हुआ है. जिला प्रशासन गुमला जिले के प्राचीन धार्मिक स्थलों एवं पर्यटन स्थलों के समुचित विकास के लिए रणनीति बनाकर काम कर रहा है.

गुमला, जगरनाथ पासवान. पर्यटक व धार्मिक स्थलों के विकास के लिए प्रभात खबर द्वारा लगातार चलाये गये मुहिम व पहल का असर हुआ है. जिला प्रशासन गुमला जिले के प्राचीन धार्मिक स्थलों एवं पर्यटन स्थलों के समुचित विकास के लिए रणनीति बनाकर काम कर रहा है. ऐसे तो पूर्व के समय में जिले के प्राचीन धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों पर प्रशासनिक स्तर पर सरकारी फंड से योजना बनाकर काम किया गया है. लेकिन अब जिला प्रशासन धार्मिक एवं पर्यटनों स्थलों के विकास के लिए फोकस करते हुए विकास का खाका तैयार कर काम कर रहा है. इस निमित जिला प्रशासन द्वारा गुमला जिले के चार प्राचीन धार्मिक स्थलों एवं पर्यटन स्थलों के समुचित विकास का खाका तैयार किया गया है.

प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा

जिलांतर्गत प्राचीन धार्मिक स्थल डुमरी प्रखंड का टांगीनाथ धाम, सदर प्रखंड में प्रकृति की गोद में बसा आंजनधाम, पर्यटन स्थल पालकोट का गोबरसिल्ली व सिसई प्रखंड के नवरत्नगढ़ के विकास का खाका तैयार किया है. उपरोक्त चारों स्थानों के विकास के लिए जिला प्रशासन द्वारा 6.50 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा गया है. उपायुक्त सुशांत गौरव ने बताया कि जिलांतर्गत धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों के विकास के लिए फोकस कर काम किया जा रहा है.

सुंदरीकरण में खर्च किया जायेगा पैसा

फिलहाल धार्मिक स्थल डुमरी प्रखंड का टांगीनाथ धाम, सदर प्रखंड के आंजनधाम तथा पर्यटन स्थल पालकोट का गोबरसिल्ली व सिसई प्रखंड के नवरत्न गढ़ के विकास के लिए योजना बनाकर सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. 6.50 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है. उक्त राशि को उपरोक्त चारों धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों के सुंदरीकरण में खर्च किया जायेगा. बतातें चले कि गुमला जिलांतर्गत प्रकृति की गोद में एक नहीं, बल्कि अनेकों धार्मिक एवं पर्यटन स्थल है. जिसपर जिला प्रशासन ने फोकस कर काम शुरू कर दिया है.

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नवरत्नगढ़

यह सिसई प्रखंड में है. सिसई से पांच, गुमला से 32 व रांची से 65 किमी दूर है. यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है. डोइसागढ़ तक जाने के लिए पक्की सड़क है. आसपास गांव है. यह नागवंशी राजाओं की धरोहर है. राजा दुर्जन शाह ने नवरत्नगढ़ की स्थापना किया था.

गोबरसिल्ली

पालकोट गुमला से 25, रांची से 100 व सिमडेगा जिला से 55 किमी दूर है. यह नेशनल हाइवे से एक किमी दूर है. यह प्रकृति का अदभुत बनावट है. इसे कुछ लोग झूलता पहाड़ भी कहते हैं. इस पहाड़ को देखने दूर दूर से लोग आते हैं. संतुलन का अदभुत नजारा है.

आंजनधाम

आंजनधाम गुमला से 21 किमी दूर है. गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क है. गांव के बाद मुख्य मंदिर तक जाने के लिए भी सड़क बन गयी है. कहा जाता है कि आंजन गांव के घने जंगल व पहाड़ की चोटी पर माता अंजनी के गर्भ से बालक हनुमान का जन्म हुआ था.

टांगीनाथ धाम

यह डुमरी प्रखंड से 10 किमी, गुमला शहर से 75 किमी, सिमेडगा से 160 किमी, लोहरदगा से 125 किमी व रांची से 175 किमी दूर है. यह सातवीं व नौवीं शताब्दी का बताया जाता है. यह धार्मिक स्थल है. यहां त्रिशूल है, जो जमीन पर गड़ा है पर जंग नहीं लगता है.

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