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‘मेरी बेटी ने पूरे झारखंड का नाम रौशन किया है’ सुप्रीति की जीत पर मां ने कुछ यूं किया खुशी का इजहार

सुप्रीति के पिता रामसेवक का निधन हो चुका है. जबकि, मां बालमती देवी स्वास्थ्य विभाग में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी हैं. सुप्रीति ने जनवरी में हुए ‘खेलो इंडिया’ एथलेटिक्स प्रतियोगिता में 3000 मीटर की रेस नेशनल रिकॉर्ड अपने नाम किया था. पहले ये रिकॉर्ड 10:05 मिनट का था, जिसे तोड़ते हुए सुप्रीति ने 10:00 मिनट का नया रिकॉर्ड बनाया था.

Gold Medal : भारतीय एथलेटिक्स संघ और पंजाब एथलेटिक्स संघ के संयुक्त तत्वावधान में चंडीगढ़ में आयोजित 55वीं क्रॉस कंट्री रेस में झारखंड के गुमला की रहनेवाली सुप्रीति कच्छप (17 वर्ष) ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया है. उसने बालिका अंडर-18 आयु वर्ग की चार किमी दौड़ महज 14:40 मिनट में तय की. लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रही सुप्रीति का दो महीने के अंदर ये पांचवां राष्ट्रीय पदक है. क्रॉस कंट्री रेस में स्वर्ण हासिल करनेवाली सुप्रीति झारखंड की पहली बेटी है.

सुप्रीति के पिता रामसेवक का निधन हो चुका है. जबकि, मां बालमती देवी स्वास्थ्य विभाग में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी हैं. सुप्रीति ने जनवरी में हुए ‘खेलो इंडिया’ एथलेटिक्स प्रतियोगिता में 3000 मीटर की रेस नेशनल रिकॉर्ड अपने नाम किया था. पहले ये रिकॉर्ड 10:05 मिनट का था, जिसे तोड़ते हुए सुप्रीति ने 10:00 मिनट का नया रिकॉर्ड बनाया था.

इससे पहले जूनियर नेशनल में चार किमी की क्रॉस कंट्री रेस में भी इस खिलाड़ी ने स्वर्ण पदक जीता था. इसके अलावा सुप्रीति ने 2021 में जूनियर फेडरेशन कप के 3000 और 5000 मीटर में कांस्य पदक भी जीता है.

बेहतर ट्रेनिंग के लिए तीन साल पहले भोपाल गयी थी : सुप्रीति ने बताया : गुमला में मुझे बेहतर ट्रेनिंग नहीं मिल पा रही थी. तीन साल पहले मैं भोपाल में आयोजित कैंप में आयी. उस समय यहां साइ का ट्रायल चल रहा था, जिसमें मेरा सेलेक्शन हो गया. इसके बाद मेरे प्रदर्शन में सुधार आया. मैंने राष्ट्रीय स्तर पर रिकॉर्ड बनाया और पदक भी अपने नाम किया. मेरा सपना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर देश और राज्य के साथ अपनी मां का नाम रोशन करूं.

  • बालिका अंडर-18 की चार किमी की दौड़ 14:40 मिनट में तय की

  • खेलो इंडिया में 3000 मीटर की रेस में बनाया है नेशनल रिकॉर्ड

  • पिता का हो चुका है निधन, मां चतुर्थवर्गीय कर्मचारी हैं

मेरी बेटी ने न सिर्फ मेरा और गुमला का, बल्कि पूरे झारखंड का नाम रोशन किया है. धावक बनना उसका सपना था, जिसे पूरा करने के लिए वह जी-जान से लगी हुई है. मैं बहुत खुश हूं.

– बालमति देवी, सुप्रीति की मां

Posted by: Pritihs Sahay

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