Jharkhand News, Gumla News, गुमला (जगरनाथ/महीपाल) : झारखंड के गुमला शहर से 25 किमी दूरी पर पालकोट वन्य प्राणी आश्रयणी क्षेत्र (Wildlife Shelter Area, Palkot) है. बहुत कम ही लोग जानते हैं कि इस क्षेत्र में जंगली जानवरों का बसेरा है. यहां प्रवासी पक्षी यदा- कदा आते रहते हैं. वन्य प्राणी आश्रयणी क्षेत्र 183.18 वर्ग किमी तक फैला है. चारों ओर घने जंगल है. पहाड़ है.
वन विभाग के अनुसार, इस क्षेत्र में करीब 1500 बंदर है, जबकि 60 से अधिक भालू है. इसके अलावा वन्य क्षेत्र में लकड़बग्घा, जंगली सूअर, मोर भी काफी संख्या में है. जिसे पालकोट के कुछ इलाकों में देखा जा सकता है. बंदर व जंगली सूअर तो अक्सर दिख जाते हैं. इस क्षेत्र में हाथियों का भी डेरा है, लेकिन हाथी प्रवासी हैं. धान की फसल कटने के बाद हाथी आते हैं और कुछ महीना रहने के बाद वापस चले जाते हैं. जंगली जानवरों की संख्या बढ़ाने के लिए वन विभाग प्रयासरत है.
पालकोट प्रखंड वन्य प्राणी आश्रयणी 121 साल का हो गया. वर्ष 1900 ईस्वी को पालकोट वन्य प्राणी आश्रयणी क्षेत्र घोषित किया गया था. उस समय अंग्रेजों का शासन था और इस क्षेत्र में जमींदारी प्रथा थी. गुमला व सिमडेगा के सीमावर्ती इलाके में जंगली जानवरों को विचरण करते हुए देखकर अंग्रेज शासनकाल में इस क्षेत्र का वन्य प्राणी आश्रयणी क्षेत्र के रूप में विकसित किया गया. वन्य प्राणी क्षेत्र में 79 राजस्व ग्राम को शामिल किया गया है. 183.18 वर्ग किलोमीटर में फैला यह वन्य प्राणी आश्रयणी सिमडेगा जिला के पाकरडांड़ प्रखंड से लेकर गुमला जिला के रायडीह प्रखंड स्थित सुरसांग, लौकी जमगाई, बसिया प्रखंड के तेतरा पंचायत के गांव वन्य प्राणी आश्रयणी में आते हैं. इधर, वन्य प्राणी आश्रयणी क्षेत्र के कुछ इलाकों में और बढ़ोतरी हुई है. जंगल का फैलाव लगातार बढ़ता जा रहा है.
Also Read: बड़कागांव के चोरका नदी पर पुल निर्माण में लापरवाही, ग्रामीणों ने विरोध में काम कराया बंदवनक्षेत्र पदाधिकारी महेश प्रसाद गुप्ता ने बताया कि पालकोट प्रखंड ओपेन है. जानवरों को खाने पीने के नाम से कोष का प्रवधान नहीं है. साथ ही जंगल जानवरों के घूमने फिरने वाले स्थानों को ट्रेस करने के लिए कहीं कैमरा नहीं लगाया गया है. यहां जंगली जानवर कहीं भी कभी भी घूम सकते हैं. जानवरों को पानी पीने के लिए वाटरहॉल, चैकडेम बनाया गया है. सत्र 19-20 में छह चैकडेम, सात वाटरहॉल वन विभाग के द्वारा जगह जगह में बनाया गया है. जिसमें पालकोट, पोजेंगा, झीकीरीमा सिजांग व रायडीह प्रखंड के लोधमा, कोटाटोली, रमजा, लौकी में वाटरहॉल. वहीं रायडीह के सनयाकोना, पालकोट के रोकेडेगा, केराटोली, सेमरा, पोजेंगा, लोटवा में चेकडैम बना है.
पालकोट प्रखंड के गोबरसिल्ली पहाड़ के समीप व सुरसांग में कटहल, जामुन, आंवला, गुलमोहर, कदम का पौधा लगाया गया है. साथ ही मिट्टी कटाव को रोकने के लिए गड्ढा पालकोट व बघिमा में खोदा गया है. इसके साथ वन्यप्राणी आश्रयणी क्षेत्र के अंतर्गत कहीं भी खनन कार्य नहीं करना है. इस दौरान जो पकड़े जाते हैं, उसके खिलाफ केस दर्ज किया जाता है. पालकोट प्रखंड के दतली जलाशय में दिसंबर, जनवरी महीने में प्रावासी पक्षी साइबेरियन आते हैं.
Posted By : Samir Ranjan.