बड़कागांव.
बड़कागांव में काशी के फूल बरबस लोगों का मन मोह रहा है. काशी के फूल वर्षा ऋतु की विदाई और मां दुर्गा के आगमन का अहसास करा रहे हैं. बड़कागांव के पहाड़ों, वादियों, नदियों के किनारे और खेत की मेढ़ और खाली पड़ी बंजर भूमि में काशी फूल का सफेद मखमली चादर सी लगती है. काशी के फूल का अध्यात्मिक और औषधीय महत्व है, जो झारखंड के जीवन पर सीधा असर डालता है. काशी के फूल व घास करमा पर्व में महत्व बढ़ जाता है. करमा पूजा करने वाली बहनें शिवांगी कुमारी, बड़कागांव मध्य क्षेत्र की जिप सदस्य सुनीता देवी, पश्चिमी पंचायत की पूर्व मुखिया अनीता देवी ने बताया कि करमा पूजा के लिए काशी से कंगना बनाया जाता है जिसे पूजा के दौरान चढ़ाया जाता है. पूजा के दौरान फूल भी चढ़ने की परंपरा है. आयुर्वेद के जानकर माही रंजन प्रसाद चौरसिया और डॉ अरुण प्रसाद का कहना है कि काशी के फूल की रूई से बने तकिया का प्रयोग करने से सिर दर्द का समूल निवारण होता है. इसकी जड़ को पीसकर सेवन करने से पत्थरी नष्ट हो जाती है. जबकि गर्मी में सुखद व ठंड का एहसास भी होता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है