Jamshedpur News : कोल्हान की धरती पर 15 सितंबर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आ रहे हैं.कुड़मी समाज को उनके आगमन पर खुशी है: वे उनका तहेदिल से स्वागत व अभिनंदन करते हैं. लेकिन यह खुशी कुड़मी समाज के चेहरे पर हमेशा के लिए रह जाता, यदि उन्हें उनका संवैधानिक पहचान दिया जायेगा.कुड़मी समाज लंबे समय से एसटी की सूची में शामिल करने व सरना धर्म को मान्यता देने की मांग कर रहे हैं. लेकिन अभी उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया है.कुड़मी समाज पीएम नरेंद्र मोदी से मांग करते हैं कि वे जमशेदपुर लौहनगरी के आगमन पर कुड़मी समाज को एसटी की सूची में शामिल करने व आदिवासियों को अलग धर्म कोड देने की घोषणा करे. यह बातें झारखंड आंदोलनकारी सह कुड़मी नेता हरमोहन महतो ने गुरूवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी. उन्होंने बताया कि झारखंड समेत बंगाल व ओडिशा के कई जिलों में कुड़मी समाज की अच्छी खासी आबादी है. ये अपनी मातृभाषा कुड़माली में ही बोलचाल करते हैं. इसलिए कुड़मी समाज की मातृभाषा कुड़माली को भी अविलंब भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाये. साथ ही जल्द से जल्द झारखंड में जाति आधाररित जनगणना कराने की घोषणा करें.
तीन राज्यों में किया था रेल टेका आंदोलन
उन्होंने कहा कि कुड़मी समाज द्वारा 25 सितंबर 2023 को झारखंड, बंगाल व ओडिशा राज्य में संयुक्त रूप से रेल टेका आंदोलन किया था. आंदोलन के उपरांत तत्कालीन जनजातीय मंत्री भारत सरकार के अर्जुन मुंडा ने बयान जारी कर कहा था कि भारत सरकार के पास कुड़मी को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने संबंध मांग विचाराधीन नहीं है. जो कि 23 नवंबर 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री की हैसियत से अर्जुन मुंडा कुड़मी को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने संबंधी अनुशंसा करके भारत सरकार को भेजे थे.
टीआरआइ रिपोर्ट के आधार पर सौंपा था मांग पत्र
वर्ष 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास जनजाति शोध संस्थान के रिर्पोट के आधार पर कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने संबंधी मांग को खारिज कर चुके हैं. 2023 में कुड़मी समाज का एक प्रतिनिधिमंडल जिसमें शीतल ओहदार, हरमोहन महतो, दानी सिंह महतो, सपन महतो, थानेश्वर महतो ने मिलकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एवं झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को ज्ञापन सौपाथा. लेकिन भारत सरकार ने आज तक कुड़मियों के हित में कोई उचित निर्णय नहीं लिया.