झारखंड: कांउसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआइएससीइ) के तहत संचालित स्कूलों में अब नौवीं क्लास से ही बच्चों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग, डेटा साइंस और रोबोटिक्स की पढ़ाई करवाई जायेगी. इसी सत्र से इसकी शुरुआत हो रही है. हैदराबाद में हुए नेशनल प्रिंसिपल्स कॉन्फ्रेंस में यह निर्णय लिया गया. साथ ही यह भी तय किया गया है कि अगर कोई स्टूडेंट कंप्यूटर के क्षेत्र में उम्दा प्रदर्शन करना चाहता है तो वह अपनी इच्छा के अनुसार कंप्यूटर साइंस के साथ ही रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के विषय को भी जोड़ कर आगे की पढ़ाई कर सकता है. साथ ही वोकेशनल कोर्स में 10 बैगलेस डे होगा. नेशनल कॉन्फ्रेंस में लिए गये निर्णय के साथ ही लोयोला स्कूल बिष्टुपुर और गुलमोहर हाई स्कूल प्रबंधन ने इसी सत्र से स्कूल में रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की पढ़ाई शुरू करने की घोषणा की. अगले सत्र से केएसएमएस और जेएच तारापोर स्कूल में फिजिकल एजुकेशन की शुरुआत होगी. गुलमोहर हकी प्रिंसिपल प्रीति सिन्हा ने बताया कि हैदराबाद में हुए बोर्ड की बैठक में एआइ और रोबोटिक्स जैसे विषयों पर खास तौर पर तव्वजो दी गयी.
अमेरिकन एक्सेंट में अंग्रेजी बोलना सीख रहे बच्चे
लोयोला स्कूल में तकनीक के जरिए स्कूली बच्चों को अंग्रेजी सिखाई जा रही है. स्कूल में लैंग्वेज लैब की स्थापना की गयी है, जहां तीसरी, चौथी और पांचवीं के बच्चे इंडियन एक्सेंट में इंग्लिश बोलते हैं. जबकि उसी इंग्लिश को अमेरिका में किस प्रकार से बोली जाती है उसे तकनीक के जरिये बताई जाती है. बच्चे खुद अपनी अंग्रेजी को मशीन के जरिये बोलते हैं, उसे रिकार्ड करते हैं. साथ ही उसी शब्द का किस प्रकार से बेहतर उच्चारण किया जाए, उसे कैसे बोला जाए.
बीपीएल के लिए एडमिशन प्रक्रिया शुरू, तीन स्कूलों का चयन कर सकेंगे
जमशेदपुर के प्राइवेट स्कूलों में गरीब एवं अभिवंचित वर्ग की केटेगरी में एडमिशन के लिए गुरुवार से लिंक खोला गया. www.rteeastsinghbhum.com साइट पर जाकर अभिभावकों ने अपने बच्चों के एडमिशन के लिए आवेदन किया. आवेदन करने की अंतिम तिथि 10 फरवरी तय की गयी है. इस बार जिला शिक्षा विभाग की ओर से पहली बार ऑनलाइन आवेदन लिया जा रहा है. अभिभावक अधिकतम तीन स्कूलों की च्वाइस फॉर्म में भर सकेंगे. हालांकि, जिला शिक्षा विभाग की ओर से फॉर्म की स्क्रूटनी करने के बाद अंतिम रूप से स्कूलों का चयन किया जायेगा. बच्चे के पोषक क्षेत्र के स्कूलों में ही उनका दाखिला होगा.