पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से एल्युमिनियम और पीतल के बर्तन से पश्चिम बंगाल में पयला और सेर बनाया जा रहा है. पश्चिम बंगाल के बाकुड़ा जिला के रामपुर से एक दर्जन से अधिक लोग बोरा में एल्युमिनियम और पीतल से बने बर्तन लेकर शुक्रवार को फूलडुंगरी बस स्टैंड पहुंचे थे.
घर में पीतल और एल्यूमीनियम गलाकर बनाते हैं पयला व सेर
रामपुर से आये राहुल मलाकार, रानू मतली और राजीव माहली ने बताया कि पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा और रामपुर में कई समुदाय के लोग इस व्यापार से जुड़े हैं. जो अपने घर में ही एल्युमिनियम और पीतल को गला कर 250 ग्राम, 500 ग्राम, एक किलो और डेढ़ किलो का पयला और सेर बनाते हैं व इसकी बिक्री करते हैं.
बंगाल-झारखंड के सीमावर्ती इलाकों में है इसकी मांग
बांकुड़ा और रामपुर से आये लोगों ने बताया कि पश्चिम बंगाल और झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी बड़े पैमाने पर बिक्री होती है. अधिकांश महिलाएं मुढ़ी, धान, चावल के अलावे अन्य सामग्री अभी भी पयला और सेर से वजन कर बिक्री करती हैं. ऐसे वजन के हिसाब से एल्युमिनियम व पीतल से बने पयला और सेर 200 रुपये किलो की दर से बिक्री होती है. घाटशिला के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में एक सप्ताह रह कर बिक्री कर बाकुड़ा लौट जाते हैं.