गालूडीह.
गालूडीह की गायत्री गेस्ट हाऊस में कनानिया परिवार की ओर से आयोजित भागवत कथा का रविवार को पूर्णाहुति के साथ समापन हुआ. अंतिम दिन कथावाचक गोपाल शरण महाराज ने कहा कि सच्ची मित्रता से न तो कोई छोटा होता है और न ही कोई बड़ा. मित्रता का गुण ही है, जो बड़े-छोटे के भेद को खत्म कर देता है. सुदामा की तरह हर जीव के सच्चे मित्र भगवान श्रीकृष्ण हैं. भगवान श्रीकृष्ण में ही मन लगाना चाहिए. आप सुदामा की तरह समर्पित होंगे, तभी श्रीकृष्ण जैसे मित्र मिलेंगे. उन्होंने दत्तात्रेय संवाद की कथा का वर्णन किया.खुद को भगवान को अर्पित कर देना ही भागवत धर्म
गोपाल शरण ने कहा कि खुद को भगवान को अर्पित कर देना ही भागवत धर्म है. जीव अपने मन से, वाणी से और इंद्रियों से जो भी काम करे. उसे भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में अर्पित कर देना ही भागवत धर्म है. उन्होंने कृष्ण और सुदामा की निश्छल मित्रता का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे बिना याचना के कृष्ण ने गरीब सुदामा का उद्धार किया. मित्रता निभाते हुए सुदामा की स्थिति को सुधारा. कथा के समापन पर महाआरती और प्रसाद का वितरण हुआ. समापन के दिन सुदामा चरित्र की झांकी भी प्रस्तुत की गयी. जिसकी लोगों ने सराहना की.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है