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Jamshedpur news. मानगो एलिवेटेड कॉरिडोर निर्माण को लेकर वन विभाग ने एनएचएआइ से मांगा प्रतिवेदन

एलिवेटेड कॉरिडोर निर्माण का निर्माण 2027 तक होना है पूरा, 2.18 हेक्टर वन भूमि के कारण लटका का है मामला

Jamshedpur news.

मानगो में एलिवेटेड कॉरिडोर निर्माण की मंजूरी मिलने के बाद वनभूमि का पेच केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग का पीछा नहीं छोड़ रहा है. एनएचएआइ की ओर से अधिग्रहित वनभूमि के एवज में 2.18 हेक्टेयर जमीन लौटाई जानी है, लेकिन एनएचएआइ को पूरे झारखंड में जमीन नहीं मिल पा रही है. इससे निर्माण कार्य लटक गया है. ऐसी परिस्थिति में एनएचएआइ ने वन विभाग को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि उसे अपवाद परिस्थिति बताकर वन विभाग मंजूरी दे, ताकि निर्धारित समय पर एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण पूरा किया जा सके. एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण मार्च 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य है.

वन विभाग के उप वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक गज परियोजना जमशेदपुर ने एनएचएआइ जमशेदपुर के महाप्रबंधक परियोजना निदेशक को पत्र लिखकर वन्यजीव वनभूमि अपयोजन प्रस्ताव के लिए पत्र लिखा है.

वन विभाग के क्लीयरेंस के बिना निर्माण संभव नहीं हो पायेगा. पिछले दिनों वन विभाग ने एनएचएआइ को पत्र लिखकर 2.18 हेक्टेयर जमीन हस्तानांतरण करने की मांग की थी. इसमें कहा गया था कि कॉरिडोर के निर्माण के लिए लगभग 2.18 हेक्टेयर जमीन दी गयी है, जिसके एवज में उतनी ही जमीन वन भूमि वापस करनी है. हस्तानांतरित जमीन के एवज में राज्य के किसी भी क्षेत्र में वन विभाग को जमीन दी जा सकती है, लेकिन जमीन लौटने के मामले में एनएचएआइ की तरफ से अब तक कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की गयी है. नियमानुसार वन भूमि हस्तानांतरित करने के बाद ही एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण आरंभ किया जा सकता है.

एनएचएआइ को लिखे पत्र में वन विभाग ने अपयोजन के लिए प्रस्तावित वन भूमि के अनुरूप एनपी दर पर गणना कर संशोधित लागत लाभ विश्लेषण प्रतिवेदन मांगा है. क्षतिपूरक, वनरोपण के लिए गैर वनभूमि उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में वन संरक्षण एवं संवर्धन के दिशा-निर्देश के आलोक में संबंधित राज्य सरकार का प्रमाण पत्र भी समर्पित करने को कहा है. अपयोजन के लिए प्रस्तावित 2.18 हेक्टेयर जमीन वनभूमि में अवस्थित वृक्षों की प्रजातिवार विस्तृत गणना सूची, उद्देश्यवार वनभूमि उपयोग की विस्तृत विवरणी एवं अपयोजन के लिए प्रस्तावित वनभूमि से संबंधित अंचलाधिकारी से सत्यापित प्रतिवेदन की मांग की है. उप वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक ने कहा कि मांगे गये अभिलेख एवं प्रतिवेदन जल्द समर्पित किये जायें, ताकि प्रस्ताव के संबंध में अग्रेतर कार्रवाई की जा सके.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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