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जमशेदपुर के सेंटर फॉर एक्सीलेंस में आप देख सकते हैं गौरवशाली इतिहास

जमशेदपुर के जुबिली पार्क के बाहर स्थित सेंटर फॉर एक्सीलेंस भारत की औद्योगिक क्रांति के चिन्ह और साक्ष्य यहां मौजूद हैं.

जमशेदपुर, अशोक झा : जुबिली पार्क के ठीक बाहर स्थित सेंटर फॉर एक्सीलेंस भारत की औद्योगिक क्रांति का गौरवशाली इतिहास अपने में समेटे हुए हैं. टाटा स्टील द्वारा संचालित इस सेंटर में कदम रखते ही आप खुद को औद्योगिक क्रांति के जन्म स्थान पर पायेंगे. यहां कई ऐसे साक्ष्य मौजूद हैं, जो हमें भारत का गौरवशाली इतिहास को बताते हैं.

सेंटर में सभी तस्वीरें है संग्रहित

इसमें टाटा स्टील की स्थापना से अब तक की सारी कहानी, टाटा स्टील से जुड़े महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक महत्व के पत्र, तस्वीरें, मानचित्र, चार्ट संग्रहित हैं. यह जानने, समझने और शोध करने का एक अच्छा माध्यम है. इसकी दीवारों के भीतर 15 लाख मूल दस्तावेज सुरक्षित हैं, जो 1890 से 2022 तक कंपनी के विकास की एक आकर्षक झलक पेश करते हैं. इस संग्रह में जेएन टाटा, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और सर एम विश्वेश्वरैया के पत्र हैं. वहीं, भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के दौरे पर उनके द्वारा लिखे गये कथन, नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ मुहम्मद, प्रसिद्ध कलाकार युनूस, पद्मभूषण जतिन दास की विचारों को दर्शाया गया है. ऐतिहासिक रूप से संरक्षित अन्य दस्तावेजों में जब कंपनी पंजीकृत हुई थी, उस समय का टाटा स्टील का प्रॉस्पेक्टस शामिल है. इसके अतिरिक्त डाक टिकट, शुरुआती टाउन प्लानिंग मैप्स, चार्ल्स पेज पेरिन की डायरी और शुरुआती कल्याणकारी योजनाओं से संबंधित जानकारी संरक्षित है. इन अभिलेखीय रत्नों को सावधानीपूर्वक संरक्षित किया गया है, जिनमें से कई डिजिटल भी किये गये हैं, जिससे उन्हें अधिक सुलभ बनाया जा सके.

68 एकड़ में फैले सेंटर फॉर एक्सीलेंस में कई अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद

लगभग 68 एकड़ में फैले सेंटर फॉर एक्सीलेंस में कई अत्याधुनिक सुविधाएं हैं, जिनमें अच्छी तरह से सुसज्जित एक पुस्तकालय, कंप्यूटर लैब, कक्षाएं और अनुसंधान केंद्र शामिल हैं. देश के पहले व्यावसायिक आर्काइव्स में से एक, यह एक रियल टाइम कैप्सूल है, जो टाटा स्टील की उल्लेखनीय यात्रा को संरक्षित करता है. जमशेदपुर के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में स्थित यह संग्रह कंपनी के इतिहास, नवाचार और अग्रणी भावना को संरक्षित करने की स्थायी प्रतिबद्धता का प्रमाण है.

हॉल में देखी जा सकती है भारत के औद्योगिकीकरण की धड़कन

टाटा स्टील आर्काइव्स सिर्फ ऐतिहासिक कलाकृतियों का एक संग्रह मात्र नहीं है, यह कंपनी की अद्वितीय सोच और दूरदर्शिता का जीवंत प्रमाण हैं. इस हॉल में भारत के औद्योगिकीकरण की धड़कन देखी जा सकती है. आयरन और स्टील मेकिंग का विकास, कंपनी के प्रशासन का व्यवसायीकरण और मानव संसाधन नीतियों का विकास, जिसने कॉर्पोरेट भारत के लिए मानक स्थापित किये हैं, अभिलेखों में कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के प्रति टाटा स्टील की दृढ़ प्रतिबद्धता, महिला कर्मचारियों को अवसर प्रदान करने के इसके प्रयासों और इसके द्वारा सेवा प्रदान किये जाने वाले समुदायों के मूल ढांचे को आकार देने में इसकी भूमिका को भी दर्शाया गया है. यह नवाचार, सामाजिक प्रभाव और उत्कृष्टता की निरंतर खोज की कहानी है. एक ऐसी कहानी, जिसने दुनिया भर के प्रसिद्ध विद्वानों और शोधकर्ताओं के मन को मोहित कर लिया है. यह वह जगह है, जहां अतीत और वर्तमान मिलते हैं और भविष्य के बीज बोये जाते हैं.

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