सांस्कृतिक संगम का दिखा अनूठा नजारा
Jamshedpur News :
सांस्कृतिक विविधता और धरोहर का उत्सव, संवाद-ए-ट्राइबल कॉन्क्लेव का 11वां संस्करण शुक्रवार को बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में नगाड़ों की ध्वनि से गूंज उठा. कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्र, टाटा स्टील के उपाध्यक्ष चाणक्य चौधरी, धाड़ दिशोम देश परगना बैजू मुर्मू, हो समाज के पीढ़ मानकी गणेश पाठ पिंगुवा, जुगसलाई ताेरोफ परगना दशमत हांसदा, भूमिज समाज के प्रधान उत्तम सिंह सरदार, सोमरा खड़िया व शेखर मांडी ने प्रकृति में जीवन व सुख- समृद्धि का प्रतीक जावा का अनावरण कर किया.नगाड़ों की थाप ने वातावरण में एक अद्वितीय उल्लास का संचार किया, जैसे धरती की गूंज को स्वर्ग से मिलाने वाली कोई आवाज हो. इस सांस्कृतिक संगम के आरंभ में, धाड़ दिशोम बैजू मुर्मू, हो समाज के पीढ़ मानकी गणेश पाठ पिंगुवा, जुगसलाई के दशमत हांसदा, भूमिज समाज के प्रधान उत्तम सिंह सरदार और अन्य सामाजिक नेतृत्वकर्ता एकत्र हुए, जिन्होंने इस आयोजन को न केवल प्रारंभ किया, बल्कि इसके माध्यम से जनजातीय संस्कृति के अटल अस्तित्व को भी प्रस्तुत किया.इस संवाद कार्यक्रम में भारत की 168 जनजातियों के लगभग 2500 प्रतिनिधि उपस्थित थे, जिन्होंने अपनी अनमोल परंपराओं, कला और संस्कृति का प्रदर्शन किया. धरती आबा बिरसा मुंडा की जयंती पर आयोजित इस अनूठे जनजातीय सम्मेलन ने न केवल इतिहास के पन्नों से जुड़ी महाकविता की याद दिलायी, बल्कि जनजातीय समुदाय की मौलिकता, संघर्ष और आत्मनिर्भरता की आवाज को भी उच्चारित किया. यह आयोजन उस अदृश्य धारा को प्रकट करता है, जो सशक्त होकर जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करती है.कलर्स ऑफ झारखंड में दिखी विविधता व संस्कृति की अनुपम छंटा
कलर्स ऑफ झारखंड कार्यक्रम में विविधता और संस्कृति की अनुपम छंटा दिखी. इस आयोजन में राज्य के विभिन्न जनजातीय समुदायों ने अपने दिलचस्प गीत-संगीत और नृत्य से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. प्रत्येक प्रस्तुति में झारखंड की सांस्कृतिक विविधता का अद्वितीय मिश्रण था, जो एक साथ मिलकर समृद्धता और एकता का परिचायक बन रहा था. मांदर और नगाड़े की थाप पर नृत्य करती हुई लोक कलाओं ने उत्सव की शान बढ़ायी.शहर के लोगों ने चखा ट्राइबल फूड का स्वाद
गोपाल मैदान में आयोजित संवाद- ए ट्राइबल कॉन्क्लेव में आदिवासी संस्कृति की झलक देखते ही बन रही है. यहां लगे 45 स्टॉल्स में से ट्राइबल फूड स्टॉल विशेष आकर्षण का केंद्र बना. शहरवासियों ने 100 से अधिक वेरायटी के आदिवासी पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद चखा. डुसका, गुड़ पीठा, जील सोड़े, लेटो, पत्तल पोड़ा चिकन जैसे स्वादिष्ट व्यंजनों की मांग चरम पर रही. इसके अलावा, देसी जड़ी-बूटियों और पारंपरिक उपचार की जानकारी प्रदान करने वाले ट्राइबल हीलर्स के स्टॉल भी लोगों को खूब आकर्षित कर रहे हैं. यहां खरीदारों ने न केवल औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों के बारे में जानकारी ली, बल्कि इन्हें बड़े उत्साह के साथ खरीदा भी. यह आयोजन आदिवासी खान-पान और चिकित्सा परंपराओं के संरक्षण और प्रसार की दिशा में एक अनूठी पहल है.जीवनगाथा पर आधारित वीर बिरसा नाटक का किया मंचन
रांची के कलाकारों ने धरती आबा बिरसा मुंडा की जीवनगाथा पर आधारित नाटक वीर बिरसा का प्रभावशाली मंचन किया. इस नाटक ने बिरसा मुंडा के अदम्य साहस, उनके संघर्ष और देशभक्ति के अप्रतिम उदाहरण को जीवंत किया. कहानी के माध्यम से दर्शकों को बताया गया कि कैसे बिरसा मुंडा ने खूंटी, उलीहातू और डोमबारी बुरू के क्षेत्रों में अंग्रेजों के अन्यायपूर्ण शासन के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका. उनकी कुशल नेतृत्व क्षमता और साहस ने जनजातीय समाज को संगठित कर स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया. नाटक ने उस काले अध्याय को भी उजागर किया, जिसमें अंग्रेजों की साजिश के तहत बिरसा को कैद कर जेल के भीतर ही उनकी हत्या कर दी गयी. इस नाटक ने दर्शकों के मन में बिरसा मुंडा के प्रति सम्मान और प्रेरणा का भाव जागृत किया. गहन अभिनय, सजीव प्रस्तुति और देशभक्ति के भाव से ओतप्रोत यह नाटक हर आयु वर्ग के दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है