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Jamshedpur news. जनसंघी सह भाजपा महानगर के पहले संयोजक सच्चिदानंद राय का निधन

पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी व कैलाशपति मिश्र के काफी करीबी रहे, विजया गार्डन से आज निकलेगी अंतिम यात्रा

Jamshedpur news.

जनसंघी सह भाजपा महानगर के पहले संयोजक सच्चिदानंद राय (82) का शनिवार को टाटा मोटर्स अस्पताल में निधन हो गया. 30 जनवरी को उन्हें सांस लेने की शिकायत के बाद इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों ने निमोनिया की शिकायत बतायी थी. इसके बाद उनकी स्थिति बिगड़ने के बाद चार फरवरी को उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया, जिसके बाद वे स्वस्थ होकर नहीं लौट सके. उनके पार्थिव शरीर को टाटा मोटर्स अस्पताल के शीतगृह में रखा गया है. रविवार को बारीडीह विजय गार्डेन स्थित आवास से अंतिम यात्रा दिन में 10 बजे भुइयांडीह स्थित सुवर्णरेखा बर्निंग घाट के लिए निकलेगी, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा.

बिहार के बक्सर जिला के अर्जुनपुर निवासी थे सच्चिदानंद राय

बिहार के बक्सर जिला के अर्जुनपुर निवासी सच्चिदानंद राय चार भाइयों में सबसे बड़े थे. उनके छोटे भाई अनुग्रह नारायण राय, अभय नारायण राय और रंजीत राय हैं. दो पुत्र ब्रजेश राय और उमेश राय हैं. भाजपा नेता अनिल सिंह ने बताया कि सच्चिदानंद राय जनसंघ काल में सिंहभूम के महामंत्री रहे. इसके बाद जनता पार्टी से होकर जब भाजपा बनी, तो तदर्थ कमेटी के संयोजक बनाये गये. इनके नेतृत्व में हुए संगठन के चुनाव में शिव नारायण चौधरी ने एमपी सिंह को नौ मतों से पराजित किया था. इसके अलावा वे कोल्हान प्रभारी, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य, 86-88. 92-94 में राष्ट्रीय परिषद, बिहार व झारखंड प्रदेश कार्य समिति के सदस्य भी रहे. वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और कैलाशपति मिश्र के काफी करीबी थे. सच्चिदानंद राय के पुत्र ब्रजेश राय ने कहा कि लंबे समय से वे पार्टी और राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहे थे, बावजूद रघुवर दास, अर्जुन मुंडा, अभय सिंह समेत पार्टी के काफी नेताओं ने अस्पताल में आकर हाल जाना और परिवार की सुध ली. श्री राय के निधन के बाद जनसंघ काल के नेताओं की एक पीढ़ी का अंत हो गया.

जमशेदपुर के पहले संयोजक बने थे सच्चिदानंद राय और अभय सिंह सह संयोजक

भाजपा नेता सच्चिदानंद राय को जमशेदपुर महानगर का पहली बार संयोजक अगस्त 1997 में बनाया गया था. संयुक्त बिहार के अध्यक्ष अश्वनी कुमार ने वनांचल प्रदेश के संयोजक बाबूलाल मरांडी और सदस्यता प्रभारी राकेश प्रसाद के नाम उक्ताशय संबंधी नियुक्ति का पत्र भेजा था. यह पत्र भाजपा नेता अभय को मिला था, जिसके बाद वे उसे लेकर रांची गये. रांची से संयोजक के रूप में सच्चिदानंद राय व सह संयोजक रूप में अभय सिंह के नाम की घोषणा की गयी. सच्चिदानंद राय व अभय सिंह के संयोजक काल में 1998 में भाजपा प्रत्याशी आभा महतो ने जीत सुनिश्चित की थी. कैलाशपति मिश्र के कहने पर सच्चिदानंद राय ने आभा महतो के साथ बात की, जिसके बाद वे पार्टी में आने को तैयार हुईं. आभा महतो को एक पत्र लिखने को कहा, जिसे उन्होंने झट से लिख दिया, उससे वे काफी प्रभावित हुए.

1995 में टिकट हो गया था फाइनल, लेकिन किस्मत रघुवर के साथ रही

भाजपा नेता सच्चिदानंद राय का 1995 में पूर्वी जमशेदपुर विधानसभा से प्रत्याशी बनना तय हो गया था. दिल्ली में आयोजित बैठक के दौरान इस पर मुहर भी लग गयी. बैठक के बाहर राष्ट्रीय महामंत्री रहे केएन गोविंदाचार्य से इनकी मुलाकात हुई. उन्होंने पूछा क्या सच्चिदानंद चुनाव लड़ना चाहते हो, इस पर उन्होंने हां में सिर हिलाया और कहा कि अनुशासन के डंडे से डर लगता है, तो उन्हें गले लगा लिया. दोनों काफी भावुक हो गये. इसके बाद उन्हें पटना कार्यालय जाकर सिंबल लेने को कहा. स्वतंत्रता दिवस होने के कारण सच्चिदानंद राय जमशेदपुर आ गये. इसके बाद बिहार पार्टी कार्यालय में खेला हो गया. पूर्वी जमशेदपुर से योगेंद्र शर्मा मुन्ना चुनाव लड़ रहे थे, इसलिए इनका टिकट काट कर रघुवर दास को प्रत्याशी बनाया गया, जिसके बाद वे लगातार पांच बार पूर्वी जमशेदपुर के विधायक रहे. सच्चिदानंद राय को टिकट देने की घोषणा संबंधी खबरें भी कई अखबारों में प्रकाशित हुई थी. स्वदेश प्रभाकर के घर पर वैवाहिक समारोह में मुकुंद प्रधान सरीखे कई नेताओं ने टिकट मिलने की बधाई सच्चिदानंद राय को दी थी.

अटलजी ने देखते ही कहा, क्या हाल है सच्चिदानंद… सत्ता अपनों से दूर कर देती हैसंयुक्त बिहार के दौरान कोल्हान में सच्चिदानंद राय ने देवदास आप्टे समेत अन्य कई नेताओं के साथ मिलकर काफी काम किया. इस दौरान जब भी अटल बिहारी वाजपेयी जमशेदपुर आते, तो सच्चिदानंद राय उनके साथ ही रहते थे. लक्ष्मीनगर में घर टूटने संबंधी मामला लेकर सच्चिदानंद राय बस्ती के कुछ लोगों का प्रतिनिधिमंडल लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिलने के लिए दिल्ली गये. दिल्ली पहुंचने पर उन्हें मालूम चला कि पीएम से मिलना कितना मुश्किल है. उन्हें इस बात का गुमान था कि वे अटलजी के काफी करीबी हैं, इसलिए मुलाकात जल्द हो जायेगी. एक-दो दिन भटकना पड़ा. इसके बाद किसी माध्यम से वे पीएम आवास के अंदर प्रवेश कर गये. यहां उन्हें हॉल में बैठाया गया था. थोड़ी देर में वहां पीएम वाजपेयी आ गये. उन्होंने सच्चिदानंद राय को देखते ही कहा.. क्या सच्चिदा कैसे हो. गले मिले और बोले सत्ता भी कितनी नासुर है, अपनों को ही अपनों से दूर कर देती है. सच्चिदानंद राय बताया करते थे कि अटलजी के साथ जमशेदपुर के कई होटल-दुकानों में जलेबी-मिठाई खाने का अवसर मिला. साकची में ब्रह्मदेव शर्मा की दुकान में बैठकी होती थी.

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