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Jharkhadn News: सिस्टम के मारे घाटशिला के सबर बेचारे, आज भी कुपोषण व पलायन का झेल रहे हैं दंश

पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत घाटशिला क्षेत्र का सबर परिवार आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. आज भी गांव तक जाने के लिए एकमात्र पगडंडी का ही सहारा है. वहीं, उचित भोजन के अभाव में अधिकांश सबर बच्चे कुपोषित हैं. अधिकांश सबर पेंशन से भी वंचित हैं.

Jharkhand News (मो परवेज, गालूडीह, पूर्वी सिंहभूम) : घुटिया के सबर बेचारे सिस्टम का मारे हैं. आज भी गांव तक पहुंच पथ नहीं है. पगडंडी ही एकमात्र सहारा है. यह गांव घाटशिला प्रखंड का है, पर संपर्क जमशेदपुर प्रखंड से है. बीच में सातगुड़म नदी बहती है. उसपर पुल नहीं है. वहां जाने के लिए MGM के नारगा से घूम कर जाना पड़ता है. वह भी पगडंडी रास्ता है.

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सिस्टम की मार से घुटिया सबर बस्ती के 22 सबर परिवार बेहाल हैं. इनतक सरकारी योजनाएं नहीं पहुंच पाती है. सबर नौनिहाल कुपोषण के शिकार हैं. दो वर्षों से स्कूल बंद रहने से सबर बच्चे प्रभावित हुए हैं. स्कूल से MDM का सूखा राशन घरों तक पहुंचाया जाता है. गांव में बेरोजगारी बड़ी समस्या भी है. दर्जनों युवक रोजगार के तलाश में अन्य प्रदेशों में पलायन कर गये हैं.

करीब 50 साल पुराने जर्जर आवासों में सबर परिवार जान जोखिम में डाल कर रह रहे हैं. बरसात में छत से पानी टपकता है. आवासों में दरारें पड़ गयी हैं. छत दरक गयी है. बस्ती के चारों ओर झाड़ी-जंगल से भर गये हैं. जिनके कंधे पर विकास की जिम्मेदारी है, वो ऐसे गांवों में जाना मुनासिब नहीं समझते हैं.

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सबरों के प्रधान रवि सबर ने बताया कि घुटिया में 22 सबर परिवार रहते हैं. सभी 50 साल पुराने जर्जर आवास में जान जोखिम में डाल कर रह रहे हैं. इस वर्ष मात्र 6 सबर (छोटा चैतन सबर, रोहिना सबर, बादल सबर, मिठुन सबर, छुटू सबर, अतुन सबर) के नाम पीएम आवास स्वीकृति हुई है. पिछले वर्ष सिर्फ एक सबर के नाम आवास स्वीकृति हुई थी. वह भी अधूरा है. दरवाजे नहीं लगे हैं. प्लास्टर बाकी है. रवि सबर ने बताया कि अनेक सबरों को पेंशन नहीं मिलती. सरकारी प्रावधान है 18 वर्ष के बाद प्रति माह एक हजार रुपये पेंशन मिलेगी. अधिकांश सबरों के नाम बैंक एकाउंट नहीं खुला है.

जर्जर आवास बनी शराब भट्ठी, होती है महुआ चुलाई

घुटिया के एक जर्जर आवास में शराब भट्ठी बनी है. आवास के अंदर फर्श खोद कर महुआ चुलाई की जाती है. रवि सबर ने बताया कि एक आवास में पहले महुआ चुलाई होती थी. अभी बंद है. इसमें कुछ बाहरी शराब माफिया की संलिप्तता है. इससे प्रशासन और पुलिस अनभिज्ञ है. सबर नशे में डूब रहे हैं. बीमारी के शिकार हो रहे हैं.

10 सबर छात्राएं घर पर, पढ़ने नहीं जातीं

घुटिया सबर बस्ती की 10 छात्राएं गालूडीह कस्तूरबा स्कूल में कक्षा छह से आठवीं में नामांकित हैं. कोरोना काल में स्कूल बंद होने के बाद घर लौटी, फिर स्कूल नहीं गयीं. हालांकि, स्कूल खुलने की खबर मिली. जाने का कोई साधन नहीं होने से छात्राएं स्कूल नहीं गयीं. छात्राएं स्कूल जाने को इच्छुक हैं. उन्होंने कहा कि काली पूजा के बाद स्कूल जायेंगी. उन्हें स्कूल ले जाने के लिए अब तक गांव कोई नहीं पहुंचा है. कक्षा आठवीं में गुरूवारी सबर, सुलोचना सबर, मनीषा सबर, नीलू सबर, पूजा सबर, रवनी सबर, रूपाली सबर और कक्षा 6 में जुलपी सबर, रिना सबर और अंचला सबर कस्तूरबा में नामांकित हैं. छात्राओं के पास एंड्रॉयड फोन नहीं है. इसके कारण दो साल में ऑनलाइन क्लास नहीं कर पायी है.

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Posted By : Samir Ranjan.

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