Job Vacancy in Jharkhand: टाटा मोटर्स कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है. कर्मचारी पुत्रों को नौकरी के साथ- साथ कंपनी अपने खर्चे पर डिप्लोमा, बीटेक और एमटेक करायेगी. फरवरी माह में टाटा मोटर्स जमशेदपुर प्लांट में फुल टर्म अप्रेंटिस (एफटीए) के लिए बहाली निकलेगी. इसकी जानकारी यूनियन कार्यालय में टाटा मोटर्स यूनियन के अध्यक्ष गुरमीत सिंह, महामंत्री आरके सिंह ने दी. उन्होंने बताया कि इम्प्लाई वार्ड का रजिस्ट्रेशन विगत 2019-22 के लॉन्ग टर्म सेटलमेंट के अनुसार जारी रहेगा. अप्रेंटिस के उपरांत कंपनी खर्चे पर डिप्लोमा कराया जायेगा. डिप्लोमा के उपरांत नियोजन किया जायेगा. यदि कर्मचारी पुत्र या पुत्री आगे पढ़ना चाहते हैं, तो बीटेक और एमटेक तक की पढ़ाई कंपनी की ओर से की करायी जायेगी. रजिस्टर्ड वार्ड को एफटीए के अंतर्गत ट्रेनिंग देकर उन्हें डिप्लोमा, बीटेक आदि की पढ़ाई की व्यवस्था करके बेहतर प्रशिक्षित मैनपावर को कंपनी में लिया जायेगा. यह कुशल और भविष्य के लिए कर्मचारियों को तैयार करने की रणनीति का हिस्सा है, ताकि अधिक से अधिक बच्चे अत्याधुनिक तकनीकी क्षमता हासिल कर सकें. कंपनी ने कर्मचारियों को कुशल बनाने के लिए अपने कई विश्वविद्यालयों के साथ समझौता किया है, जहां विशेष पाठ्यक्रम भी बनाये गये हैं, जिससे आगे चलकर सुपरवाइजर, एसोसिएट में जाने का रास्ता खुलेगा.
टाटा मोटर्स जमशेदपुर प्लांट में तीन साल में अस्थायी पुल समाप्त हो जायेगा, जब सभी बाइ सिक्स कर्मचारी कंपनी में स्थायी हो जायेंगे. स्थायीकरण कर्मचारियों की वरीयता के अनुसार होगा. वर्तमान में लगभग 2,700 बाइ सिक्स हैं, जो कंपनी में टेंपरोरी पुल में कार्यरत हैं. कंपनी में प्रोडक्शन बढ़ने पर इन्हें ड्यूटी पर बुलाया जाता है और प्रोडक्शन घटने पर बैठा दिया जाता है. टाटा मोटर्स में हर साल 300 से अधिक बाइ सिक्स स्थायी हो रहे हैं. ऐसे में सभी कर्मचारियों को कंपनी के पे-रोल पर बहाल होने में नौ साल लग जाता है. अब यह परेशानी समाप्त हो जायेगी.
रांची से वापस लौटने पर गुरुवार की शाम टाटा मोटर्स कंपनी गेट से लेकर टेल्को लेबर ब्यूरो स्थित यूनियन कार्यालय तक कर्मचारियों ने अध्यक्ष गुरमीत सिंह, महामंत्री आरके सिंह का फूल माला से अभिनंदन किया गया. अबीर गुलाल लगा एक दूसरे को बधाई दी.
झारखंड हाइकोर्ट में 20 मार्च 2023 को टाटा मोटर्स के बाइ सिक्स कर्मी अफसर जावेद ने याचिका दाखिल की थी. 15 जून 2023 को झारखंड हाइकोर्ट में न्यायाधीश अनुभा रावत चौधरी की अदालत ने सुनवाई करते हुए जमशेदपुर उप श्रमायुक्त राकेश प्रसाद को आदेश दिया था कि वे दोनों पक्षों (टाटा मोटर्स) और याचिकाकर्ता को सुनें. हाइकोर्ट के आदेश के बाद उप श्रमायुक्त राकेश कुमार ने दोनों पक्षों (टाटा मोटर्स) और याचिकाकर्ता को अपना-अपना पक्ष रखने को कहा. पांच सितंबर 2023 को टाटा मोटर्स प्रबंधन ने बॉम्बे उच्च न्यायालय की 252 पृष्ठों की आदेश की प्रति लेकर अपना पक्ष रखने के लिए समय लेकर सभी बिंदुओं पर अपना पक्ष रखा. साथ ही अफसर जावेद ने भी 26 सितंबर 2023 को विस्तार से अपना पक्ष रखा.
उप श्रमायुक्त राकेश कुमार ने दोनों पक्षों से जवाब मिलने के बाद विश्लेषण के आधार पर फैसला सुनाया था कि ऑटोमोबाइल उद्योग की प्रकृति, रिक्तियों की संख्या और प्रबंधन की ओर से प्रतिवर्ष स्थायीकरण की दिशा में किये जा रहे प्रयासों को देखते हुए प्रबंधन तीन माह के अंदर बचे हुए सभी अस्थायी कर्मचारियों को यथाशीघ्र स्थायी करने के संबंध में एक योजना, पैकेज प्रस्तुत करें, ताकि अस्थायी कामगार शीघ्र स्थायी हो सकें. यह समय अवधि 31 दिसंबर 2023 तक थी.
उपश्रमायुक्त राकेश कुमार टाटा मोटर्स के लगभग 2700 बाइ सिक्स (अस्थायी) कर्मचारियों के स्थायीकरण को लेकर कंपनी प्रबंधन से प्रस्ताव ( योजना/ पैकेज) 31 दिसंबर तक मांगा था. दो जनवरी को रांची में टाटा मोटर्स के वाइस प्रेसिडेंट विशाल बादशाह, टाटा मोटर्स के प्लांट हेड रवींद्र कुलकर्णी और एचआर हेड मोहन गंटा सहित अन्य वरीय अधिकारियों ने रांची जाकर झारखंड के श्रमायुक्त संजीव कुमार बेसरा को प्रस्ताव सौंपा.
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2700 कर्मचारियों का स्थायीकरण ऐतिहासिक है, लेकिन दुखद बात है कि कुछ लोग नेता बनने की कोशिश में श्रमायुक्त को पत्र लिख उन्हें शामिल नहीं करने पर औद्योगिक विवाद को ट्रिब्यूनल में भेजने की मांग कर रहे हैं. कोर्ट कचहरी में मामला जाने से 2700 कर्मचारियों के भविष्य अंधकारमय हो जायेगा. – प्रवीण सिंह, सलाहकार, टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन
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यूनियन नेतृत्व और प्रबंधन ने कर्मचारियों के हित में बेहतर निर्णय लिया है. इसका फायदा सभी कर्मचारियों को आगे भी मिलता रहेगा. – हरदीप सिंह सैनी,
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प्रत्येक वर्ष 900 अस्थायी कर्मचारियों को स्थाई करने के निर्णय पर प्रबंधन यूनियन एवं श्रम विभाग के त्रिपक्षीय समझौते की सराहना करता हूं. – जम्मी भास्कर, झारखंड प्रदेश इंटक प्रवक्ता
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विपरीत स्थिति में टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन प्रत्येक वर्ष 900 अस्थायी कर्मियों को स्थायी करने, बाहर नहीं भेजने और वार्ड रजिस्ट्रेशन देने का ऐतिहासिक समझौता किया है. – अनिल शर्मा, कार्यकारी अध्यक्ष, टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन
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अस्थाई कर्मियों के हित में लिये गये इस ऐतिहासिक फैसले से पूरे कंपनी सहित शहर का माहौल खुशनुमा हो गया है. यूनियन नेतृत्व ने एक बार फिर से मजदूरों में अपनी विश्वसनीयता को बढ़ाने का काम किया है. – संजीव रंजन, इंटक नेता सह कमेटी मेंबर, टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन
जमशेदपुर के औद्योगिक इतिहास में वर्ष 1990 को हमेशा मजदूरों की जीत के रूप में देखा जाता है. इसकी वजह है कि टाटा स्टील में एक साथ 1990 में करीब 1640 कर्मचारियों का स्थायीकरण हुआ था. ये सारे ठेका मजदूर थे, जिनका स्थायीकरण वर्तमान में मंत्री और झामुमो के आंदोलनकारी चंपई सोरेन के दबाव के कारण हुआ था, जब कंपनी का हुड़का जाम कर दिया गया था. टाटा स्टील कंपनी के आपातकालीन समय 1981 से 1990 तक कार्यरत ठेका मजदूरों का एक साथ स्थायीकरण किया गया था. ज्ञात हो कि 1981 में वामपंथी ट्रेड यूनियन ने टाटा स्टील में हड़ताल की थी, जो करीब 13 दिन चली. इस दौरान आसपास के गांवों से करीब तीन हजार मजदूरों ने कंपनी में 17 फरवरी से तीन मार्च तक लगातार काम किया था. 1990 में कंपनी ने इनमें से 1640 मजदूरों को स्थायी नौकरी दे दी, लेकिन शेष आज तक इंतजार कर रहे हैं.
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