23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

एनसीएलटी में जमशेदपुर के केबुल के कर्मियों की लेनदारी खारिज

नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की कोलकाता बेंच में जमशेदपुर के केबुल कर्मचारियों की देनदारी को खारिज कर दिया है. जमशेदपुर के लगभग दो हजार कर्मचारियों का लगभग 350 से 400 करोड़ रुपये बकाया है.

कमला मिल्स, पेगासस, ट्रापिकल बेंचर के दावों को सत्यापित करने का आदेश, वेदांता का रेजोल्यूशन प्लान को संशोधित करने का आदेश

वरीय संवाददाता जमशेदपुर .

नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की कोलकाता बेंच में जमशेदपुर के केबुल कर्मचारियों की लेनदारी को खारिज कर दिया है. जमशेदपुर के लगभग दो हजार कर्मचारियों का लगभग 350 से 400 करोड़ रुपये बकाया है. जबकि कोलकाता के मजदूरों के दावे को स्वीकार कर रेजोल्यूशन प्रोफेशनल को सत्यापित करने को कहा है. एनसीएलटी कोलकाता बेंच ने 8 जनवरी 25 को पारित अपने आदेश में इंकैब जमशेदपुर के मजदूरों के प्रतिनिधि भगवती सिंह की ओर से दायर सभी आवेदनों को बिना कारण बताये खारिज कर दिया है. साथ ही जमशेदपुर के केबुल मजदूरों की लेनदारी को भी बिना कोई कारण बताये खारिज कर दिया है.

आदेश के खिलाफ अपील दायर करेंगे भगवती सिंह

केबुल कंपनी से सेवानिवृत्त कर्मचारियों की ओर से याचिका दायर करने वाले भगवती सिंह ने कहा कि वे इस आदेश के खिलाफ अपील दायर करने पर विचार कर रहे हैं. केबुल कंपनी से सेवानिवृत्त कर्मचारियों की ओर से भगवती सिंह ने कोलकाता एनसीएलटी द्वारा 7 फरवरी 2020 को पारित इंकैब के परिसमापन आदेश के खिलाफ एनसीएलएटी, दिल्ली में अपील दायर कर परिसमापन आदेश को रद्द करते हुए लेनदारों की समिति सहित रेजोल्यूशन प्रक्रिया को अवैध करार दिया था. एनसीएलएटी के उक्त आदेश को सर्वोच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था. एनसीएलटी ने एनसीएलएटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के आलोक में पंकज टिबरेवाल को नया रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (आरपी) बनाया और नये रेजोल्यूशन प्रोफेशनल को सभी लेनदारों की लेनदारी को सत्यापित करने के बाद लेनदारों की नयी कमेटी बनानी थी. नये रेजोल्यूशन प्रोफेशनल ने रमेश घमंडीराम ने पुरानी लेनदारों की कमेटी को ही बरकरार रखा. उसी कमेटी से वेदांता का रेजोल्यूशन प्लान का अनुमोदन करा लिया.

कमला मिल्स, पेगासस, ट्रापिकल बेंचर के दावों को फिर से सत्यापित करने का आदेश

एनसीएलटी, कोलकाता की न्यायिक सदस्य विदिशा बनर्जी की बेंच ने रेजोल्यूशन प्रोफेशनल को आदेश दिया कि वह कमला मिल्स लिमिटेड, पेगासस एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी और ट्रापिकल बेंचर के दावों को फिर से सत्यापित करे. लेनदारों की समिति को अवैध घोषित नहीं किया. लेनदारों के बहुत से फैसलों को बदलाव के साथ स्वीकार कर लिया. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 6 जनवरी 2016 के अपने आदेश में सिर्फ बैंकों की लेनदारी का जिक्र किया था. उसमें बैंकों द्वारा कमला मिल्स, फस्क्वा, पेगासस एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी और ट्रापिकल बेंचर को एनपीए बेचने का कोई जिक्र नहीं था. एनसीएलटी, कोलकाता ने रेजोल्यूशन प्रोफेशनल को कमला मिल्स, पेगासस एसेट रिकंस्ट्रक्शन आदि को बैंकों द्वारा बेचे गये एनपीए के डीड ऑफ असाइनमेंट को सत्यापित करने को कहा है.

वेदांता का रेजोल्यूशन प्लान को एनसीएलटी ने संशोधित करने को कहा

इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड (केबुल कंपनी) के पुनरूद्धार को लेकर वेदांता ग्रुप की ओर से दाखिल रेजोल्यूशन प्लान को एनसीएलटी, कोलकाता बेंच ने संशोधित करने को कहा है. रेजोल्यूशन प्लान को एनसीएलटी, कोलकाता बेंच में कुल 22 आवेदन दायर किए गये थे. इसमें कुछ आवेदनों को निपटाया गया. कुछ आवेदन निस्तारित किए गये और कुछ खारिज कर दिए गये. विशेष रूप से, समाधान योजना की मंजूरी के आवेदन को कर्मचारियों और श्रमिकों के भविष्य निधि और ग्रेच्युटी से संबंधित मुद्दों को ध्यान में रखते हुए सीओसी को पुनर्विचार के लिए वापस भेज दिया गया.

राम विनोद सिंह की याचिका भी खारिज

द इंडियन केबुल वर्कर्स यूनियन के महामंत्री रामविनोद सिंह की ओर दायर याचिका को भी एनसीएलटी ने खारिज कर दिया है. राम विनोद सिंह ने एनसीएलटी में एक आवेदन दायर कर कहा था कि भगवती सिंह को नहीं सुना जाये. उनकी जगह उनकी याचिका को सुना जाये. एनसीएलटी ने उनके आवेदन को अवैध करार देते हुए खारिज कर दिया. अप्रैल 2000 से बंद है केबुल कंपनी

अप्रैल 2000 से बंद है केबुल कंपनी

साल 1920 में केबुल कंपनी स्थापित हुई थी. 1988 में इसका नाम इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड हो गया. कंपनी का 26 फीसदी शेयर काशीनाथ तापुरिया ने खरीदा. इसके बाद पूरा प्रबंधन उनके हाथ में आ गया. करीब तीन साल तक उन्होंने कंपनी चलायी. 1991-92 में कंपनी के आर्थिक हालात काफी कमजोर हो गये. इस साल घाटा दिखाया गया. लेकिन इससे पहले यह कंपनी न्यूनतम दो करोड़ रुपये की आमदनी करती रही. इसके बाद काशीनाथ तापुरिया ने हाथ खींच लिया. 1996-97 में केबुल कंपनी को मलेशियाई कंपनी लीडर यूनिवर्सल ने अधिग्रहण कर लिया. वाइस चेयरमैन पीके सर्राफ की देखरेख में उत्पादन शुरू हुआ. वर्ष 1999 में उन्होंने अपना इस्तीफा सौंपा. इसके बाद मलेशियाई कंपनी ने भी हाथ खींच लिया. फिर पी घोष होलटाइम डायरेक्टर बने. 1999 के दिसंबर में कंपनी का कामकाज पूरा ठप हो गया. तब से लेकर आज तक कंपनी बंद है. फैक्ट फाइल

बंद होने के समय कर्मचारी : 1450

वर्तमान में जमशेदपुर में कर्मचारी : लगभग1292

रिटायर कर्मचारियों के बाद शेष : लगभग 900

पुणे में कर्मचारियों की संख्या : 180

कोलकाता में कर्मचारी : 60

भारत में अन्य कर्मचारी : 60

कुल अनुमानित संपत्ति बंदी के समय (जमशेदपुर) : 120 करोड़

वर्तमान कीमत : लगभग 500 करोड़

मजदूरों का बकाया : लगभग 350 से 400 करोड़

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें