रणजी ट्रॉफी के 88 वर्ष के इतिहास में पहली बार किसी महिला को पुरुषों के मैच में अंपायरिंग सौंपी गयी है. झारखंड व छत्तीसगढ़ के बीच कीनन स्टेडियम में खेली जा रही रणजी ट्रॉफी के दूसरे राउंड के मुकाबले में दिल्ली की 43 वर्षीय गायत्री वेणुगोपालन मुख्य अंपायर की भूमिका निभा रही हैं. इससे पहले वह बीसीसीआइ की ओर से आयोजित जूनियर क्रिकेट में अंपायरिंग कर चुकी हैं. वह रणजी ट्रॉफी में फोर्थ अंपायर की भूमिका भी निभा चुकी हैं.
‘कंधे की चोट ने तोड़ा सपना’
गायत्री वेणुगोपालन एक पेशेवर क्रिकेटर बनना चाहती थीं, लेकिन कंधे की चोट ने उनका सपना चकनाचूर कर दिया. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपना कॉरपोरेट करियर छोड़ बीसीसीआइ की अंपायरिंग परीक्षा पास की. 2019 में वह अंपायर के तौर पर चयनित हुईं. वेणुगोपाल के अलावा एक और महिला अंपायर जननी नारायण सूरत में मंगलवार से रेलवे व त्रिपुरा के बीच खेले जा रहे रणजी मैच में अंपायरिंग कर रही हैं. आपको यह भी बता दें कि बीसीसीआइ ने इस सीजन से महिला अंपायरों को शामिल किया है.
मेरे जीवन का बड़ा दिन- वेणुगोपालन
गायत्री वेणुगोपालन ने बताया कि यह हमारे जीवन का सबसे बड़ा दिन है. भारत के सबसे बड़े घरेलू टूर्नामेंट में मुख्य अंपायर की भूमिका निभाने का मौका मिल मिल रहा है. यहां तक पहुंचने में उनके परिवार का बहुत बड़ा योगदान रहा. क्रिकेट छोड़ने के बाद परिवार ने उन्हें इस खेल से जुड़े रहने के लिए प्रेरित किया.
पैनल में 150 अंपायर इसमें तीन महिलाएं
बीसीसीआइ ने पुरुषों के घरेलू टूर्नामेंट में महिला अंपायरों को शामिल किया है. रणजी ट्रॉफी के इस सीजन में गायत्री वेणुगोपालन व जननी नारायण को अंपायरिंग का मौका मिला है. वहीं, मुंबई की वृंदा राठी स्कोरर की भूमिका में हैं. अभी बीसीसीआइ के पैनल में कुल 150 अंपायर हैं. इसमें तीन महिला ऑफिसियल्स हैं. महिला अंपायर्स की मैच फीस पुरुषों के ही बराबर है. बोर्ड ग्रेड के अनुसार पेमेंट करता है.