जमशेदपुर. नवगीत की हस्ताक्षर शांति सुमन का शनिवार को देहावसान हो गया. टीएमएच बिष्टुपुर में इलाज के दौरान शाम 7:22 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. इसलिए तीन दिनों से वेंटिलेटर पर रखा गया था. वह 80 वर्ष की थीं. वह अपने पीछे एक पुत्र, पुत्रवधू, पुत्री और नाती-पोतों से भरापूरा संसार छोड़ गयीं. रविवार को पार्वती घाट बिष्टुपुर में उनका अंतिम संस्कार होगा. पुत्र अरविंद कुमार वर्मा मुखाग्नि देंगे. गत नौ नवंबर को ही उन्हें मान बहादुर सिंह लहक सम्मान मिला था, लेकिन तबीयत ठीक नहीं रहने के कारण वह कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पायी थीं. उनकी ससुराल बिहार के अररिया जिला अंतर्गत फारबिसगंज के भतरेश्वर में है. मायके सुपौल जिला अंतर्गत कासिमपुर है. इंटर से लेकर एमए तक की पढ़ाई उन्होंने मुजफ्फरपुर में की. यहीं पीएचडी की. मुजफ्फरपुर में ही महंत दर्शन दास महिला महाविद्यालय में प्राध्यापक रहीं. सेवानिवृत्ति के बाद जमशेदपुर आ गयीं. ओ प्रतीक्षित, परछाई टूटती, सुलगते पसीने, पसीने के रिश्ते, मौसम हुआ कबीर, तप रहे कचनार, भीतर-भीतर आग, पंख-पंख आसमान, चुने हुए एक सौ एक गीतों का संग्रह, एक सूर्य रोटी पर, धूप रंगे दिन, नागकेसर हवा, मेघ इन्द्रनील (मैथिली गीतों का संग्रह), लय हरापन की, समय चेतावनी नहीं देता, सूखती नहीं वह नदी, जल झुका हिरन, लाल टहनी पर अड़हुल, सानिध्य, ””मध्यवर्गीय चेतना और हिंदी का आधुनिक काव्य””, कामायनी का मैथिली में अनुवाद आदि उनकी प्रमुख कृतियां हैं.
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