प्रतिनिधि, नारायणपुर नारायणपुर शैक्षणिक अंचल के सरकारी विद्यालयों की स्थिति बेहद दयनीय और चिंताजनक है. यहां के विद्यालयों का संचालन मानो भगवान भरोसे ही हो रहा है. समय-समय पर इन विद्यालयों की अनियमितताओं की खबरें सुर्खियां बनती रहती हैं. ऐसा लगता है कि इन स्कूलों का अपना एक अलग ही नियम-कायदा है, जो विभागीय और सरकारी निर्देशों से मेल नहीं खाता. गुरुवार को नारायणपुर के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय कठडाबर में सुबह करीब 11:40 बजे विद्यालय में एक अलग ही नजारा देखने को मिला. बच्चे विद्यालय के बाहर इधर-उधर खेलते नजर आये. कुछ बच्चे बरामदे में तो कुछ चापाकल के पास खेलकूद कर रहे थे. वहीं कुछ लड़कियां बिना सीढ़ी के छत पर चढ़कर खतरनाक स्टंट कर रही थीं. यह जोखिम भरा खेल कभी भी बड़ी दुर्घटना में बदल सकता था. इस बीच विद्यालय के एकमात्र शिक्षक अब्दुल रहमान विद्यालय से सटे मैदान में बैठे धूप सेंकते हुए कागजी काम में व्यस्त थे. जब उनसे बात की गयी, तो उन्होंने बताया कि विद्यालय में 252 बच्चे नामांकित हैं, लेकिन उस दिन केवल 83 बच्चे उपस्थित थे. अब्दुल रहमान ने बताया, कि मैं अकेला शिक्षक हूं. इतने सारे बच्चों को पढ़ाना और संभालना बेहद मुश्किल है. कई बार विभाग को शिक्षकों की कमी के बारे में जानकारी दी गयी, लेकिन कभी कोई समाधान नहीं हुआ. विद्यालय में चहारदीवारी का भी अभाव है, जिससे खतरा बना रहता है. स्थिति ऐसी है कि इस विद्यालय में पढ़ाई सिर्फ नाममात्र की होती है. बच्चों को मिड-डे मील (एमडीएम) खिलाना ही मुख्य कार्य बनकर रह गया है. समीप के रसोईघर में रसोइया दाल, चावल और सब्जी बनाने में व्यस्त दिखीं. यह समस्या केवल कठडाबर विद्यालय तक सीमित नहीं है. नारायणपुर शैक्षणिक अंचल के कई अन्य सरकारी विद्यालय भी शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं. इन स्कूलों में बच्चों को शिक्षा देने की बजाय केवल एमडीएम खिलाने पर ही ध्यान दिया जा रहा है. सीआरपी और प्रशासन की उदासीनता: विद्यालयों की निगरानी के लिए नियुक्त सीआरपी का कार्य जमीनी स्तर पर कहीं नजर नहीं आता. लोग अब यह सवाल उठाने लगे हैं कि नारायणपुर के इन बदहाल सरकारी विद्यालयों की स्थिति कब सुधरेगी. फोन नहीं उठाते शिक्षा विभाग के पदाधिकारी: जब इस विषय पर शिक्षा विभाग के प्रखंड और जिला स्तर के पदाधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने फोन उठाना भी जरूरी नहीं समझा. इससे स्पष्ट है कि प्रशासन भी इस मुद्दे को लेकर उदासीन है. नारायणपुर के सरकारी विद्यालयों की यह स्थिति एक गंभीर समस्या है. शिक्षा व्यवस्था, जो देश के भविष्य की नींव होती है, यहां पूरी तरह से उपेक्षित है. शिक्षकों की कमी, प्रशासन की लापरवाही, और बुनियादी सुविधाओं का अभाव इन स्कूलों की दुर्दशा के मुख्य कारण हैं. ——————————————————————— नारायणपुर के स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था बदहाल, बच्चों का भविष्य अंधेरे में
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