Jharkhand News: झारखंड में देश के पहले अंडरग्राउंड कोल गैसीफिकेशन के पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई है. इस परियोजना के तहत खदान में कोयले से कई तरह की गैसों का उत्पादन होगा. अलग-अलग उद्योगों में इनका इस्तेमाल किया जाएगा. ईसीएल ने सीएमपीडीआई रांची और कनाडा की एक कंपनी के साथ मिलकर इस परियोजना की शुरुआत की है.
कोयला खदान में ही होगा कई महत्वपूर्ण गैसों का उत्पादन
माना जा रहा है कि कोल इंडस्ट्री में यह एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा. कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा है कि खदान में मौजूद कोयले से मीथेन, हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाई-ऑक्साइड जैसी गैसों का उत्पादन किया जाएगा. इन गैसों का इस्तेमाल अलग-अलग उद्योगों में होगा.
जामताड़ा के कास्ता गांव से हुई पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत
ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) के एक सीनियर अफसर ने बताया कि कोयला मंत्रालय की निगरानी में झारखंड के जामताड़ा जिले में इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत हो रही है. जिले के नाला प्रखंड अंतर्गत कास्ता गांव से इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत हो रही है.
इन गैसों का खदान में किया जाएगा निर्माण
ईसीएल के अधिकारी के मुताबिक, कोयला मंत्रालय का यह क्रांतिकारी कदम है. इसके जरिए कोयले से खदान में ही कई महत्वपूर्ण गैस बनाए जाएंगे. मीथेन, हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाईऑक्साइड जैसे गैसों का इस्तेमाल सिंथेटिक नैचुरल गैस, ईंधन के लिए केमिकल फीडस्टॉक्स, फर्टिलाइजर, विस्फोटक और अन्य औद्योगिक कार्यों के लिए किया जाएगा.
अंडरग्राउंड कोल गैसीफिकेशन प्रोजेक्ट के फायदे
अंडरग्राउंड कोल गैसीफिकेशन के फायदे गिनाते हुए कोयला मंत्रालय ने कहा कि अंडरग्राउंड कोल गैसीफिकेशन का महत्व उस वक्त बढ़ जाता है, जब पारंपरिक तरीके से कोयला निकालना आर्थिक रूप से फायदेमंद नहीं होता. इस पायलट प्रोजेक्ट के शुरू होने से कोल इंडिया लिमिटेड और उसकी सब्सिडियरी कंपनियां दुनिया की उन अग्रणी माइनिंग कंपनियों में शुमार होगी, जिसने कोल गैसीफिकेशन टेक्नोलॉजी की अत्याधुनिक तकनीक को अपना लिया है.
कोयला और लिग्नाइट बहुल इलाकों में परियोजना को दी गई मंजूरी
कोयला मंत्रालय ने दिसंबर 2015 में ही कोयला और लिग्नाइट वाले क्षेत्रों में इस महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी दे दी थी. इसकी शुरुआत के लिए कोल इंडिया ने सबसे पहले झारखंड के जामताड़ा जिले के नाला ब्लॉक में मौजूद कास्ता कोयला खदान को चुना. कोल इंडिया का कहना है कि खनन के दृष्टिकोण से इस परियोजना की शुरुआत के लिए यहां की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखकर ही इस खदान का चयन किया गया.
सीएमपीडीआई रांची और कनाडा की कंपनी करेगी ईसीएल की मदद
ईसीएल ने सीएमपीडीआई रांची और कनाडा की अर्गो एक्सर्जी टेक्नोलॉजीज इनकॉर्पोरेशन (ईईटीआई) के साथ मिलकर इस परियोजना की शुरुआत की है. ईसीएल ने कहा है कि इस परियोजना को 2 साल में और 2 चरणों में पूरा किया जाएगा.
22 जून 2024 को हुई प्रोजेक्ट के पहले चरण की शुरुआत
पहले चरण की शुरुआत 22 जून 2024 को हुई. इसमें बोरहोल ड्रिलिंग और कोर टेस्टिंग के आधार पर टेक्निकल फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की जाएगी. दूसरे चरण में कोल गैसीफिकेशन के पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. इस महत्वाकांक्षी परियोजना को कोल इंडिया लिमिटेड के रिसर्च एंड डेवलपमेंट बोर्ड की मंजूरी मिल चुकी है.
भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में अहम होगी परियोजना
झारखंड के जामताड़ा में शुरू हुए इस पायलट प्रोजेक्ट की सफलता देश में कोयला के इस्तेमाल और ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त करेगा. यही वजह है कि कोयला मंत्रालय कोयला के क्षेत्र में लगातार नए-नए प्रयोग और नई-नई तकनीक को बढ़ावा दे रहा है.
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