शकील अख्तर, रांची: बजट के दौरान किसानों की आमदनी दोगुना करने का वायदा करनेवाला कृषि विभाग जनवरी तक सिर्फ 18.32 प्रतिशत राशि ही खर्च कर पाया है. सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष (2023-24) के दौरान विकास योजनाओं के लिए बजट में निर्धारित राशि अनुपूरक के माध्यम से बढ़ायी. हालांकि जनवरी तक सिर्फ 54 फीसदी राशि ही खर्च हो पायी है. इस स्थिति को देखते हुए वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन विकास मद में खर्च की जानेवाली निर्धारित राशि में से 16500.00 करोड़ रुपये के सरेंडर होने का अनुमान है.
झारखंड सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए कुल 116418.00 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया था. इसमें से विकास योजनाओं पर 70973.00 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनायी गयी थी. इस राशि में से 54534.58 करोड़ राज्य योजना मद और 16438.41 करोड़ रुपये केंद्रीय योजनाओं पर खर्च करना था. सरकार ने अनुपूरक बजट के सहारे विकास योजनाओं के निर्धारित राशि में 11154.70 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान किया. इससे विकास योजनाओं पर खर्च करने का लक्ष्य 70973.00 करोड़ रुपये से बढ़कर 82127.87 करोड़ रुपये हो गया. हालांकि सरकार जनवरी तक विकास योजनाओं पर सिर्फ 44546.65 करोड़ रुपये की खर्च कर पायी है.
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यह कुल योजना आकार का सिर्फ 54.24 प्रतिशत है.विकास योजनाओं पर खर्च के मामले में सबसे खराब स्थिति किसानों की आमदनी दो गुना करने का वायदा करनेवाले कृषि व संबद्ध विभाग का है. कृषि,पशुपालन, मत्स्य व सहकारिता विभाग ने योजना आकार के मुकाबले सिर्फ 18.32 प्रतिशत ही खर्च किया है. वहीं कृषि,पशुपालन,सहकारिता और मत्स्य के लिए कुल 3988.35 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. हालांकि इसमें से जनवरी तक सिर्फ 730.85 करोड़ रुपये ही खर्च हो पाये. उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग के अलावा रोजगार उपलब्ध कराने के लिए चल रहे कौशल विकास योजना के मामले में भी में भी सिर्फ 24.74 प्रतिशत राशि खर्च करने में कामयाबी मिली है.
उच्च,तकनीकी व कौशल विकास के लिए कुल 1092.62 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित योजनाओं पर भी खर्च की स्थिति संतोषजनक नहीं है. बजट में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के लिए 5470.58 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसके मुकाबले सिर्फ 2472.31 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं , जो योजना आकार के मुकाबले 54.19 प्रतिशत है. कल्याण विभाग ( आदिवासी,अनुसूचित जाति,पिछड़ा वर्ग ) के लिए 3325.13 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. इसके मुकाबले सिर्फ 994.31 करोड़ रुपये ही खर्च किये जा सके हैं. यह आदिवासी,अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्गों के कल्याण के निर्धारित राशि का सिर्फ 29.90 प्रतिशत है.