कोडरमा बाजार :
पुलिस ने साइबर ठगी के मामले का खुलासा करते हुए नौ अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है. इन्हें तिलैया थाना क्षेत्र के गांधी स्कूल रोड की अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तार सभी अभियुक्त पश्चिम बंगाल और बिहार राज्य के अलग-अलग जगहों के हैं और ये फाइनेंस कंपनी का अधिकारी बन कर लोगों से ऑनलाइन ठगी करते थे़ गिरफ्तार आरोपियों में सलाहपुर सिवान बिहार निवासी रामबाबू यादव (पिता स्व शिव दयाल यादव), उत्तर 24 परगना पश्चिम बंगाल निवासी तारकेश्वर कुमार (पिता चिंता महतो) व सूर्यकांत शर्मा (पिता उपेंद्र शर्मा), कतरीसराय जिला नालंदा बिहार निवासी संजीत कुमार शर्मा (पिता जगदीश ठाकुर), सियरभुक्का जिला गया निवासी उद्देश्य कुमार (पिता रामजन्म साव), सुंदरपुर कतरीसराय जिला नालंदा बिहार निवासी भूषण कुमार (पिता राजेंद्र यादव), भवानी बिगहा नवादा बिहार निवासी संतोष कुमार यादव (पिता बालेश्वर यादव), सहसराय जिला नालंदा बिहार निवासी मो फारुख (पिता नौशाद) व हीरापुर जिला पश्चिम वर्द्धमान पश्चिम बंगाल निवासी सन्नी रजक उर्फ आदित्य रजक (पिता टुनटुन रजक) शामिल हैं.
यह जानकारी जानकारी पुलिस अधीक्षक अनुदीप सिंह ने सोमवार को प्रेस वार्ता में दी. एसपी ने बताया कि गिरफ्तार अभियुक्तों के पास से 27 मोबाइल, 12 एटीएम, छह सिम कार्ड, नकद 35625, रजिस्टर 19 पीस, कई बैंकों के पासबुक समेत अन्य कागजात बरामद किये गये हैं. एसपी ने बताया कि गुप्त सूचना मिली थी कि झुमरीतिलैया शहर में साइबर अपराधियों का गिरोह सक्रिय है, जो अलग-अलग जगहों में रह कर ऑनलाइन ठगी का काम कर रहा है. सूचना के आलोक में तिलैया थाना प्रभारी विनोद कुमार के नेतृत्व में टीम गठित कर गांधी स्कूल रोड की तीन अलग-अलग जगहों पर छापामारी कर अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया़ प्रेसवार्ता में तिलैया थाना प्रभारी विनोद कुमार, पुलिस निरीक्षक राम नारायण ठाकुर, एसआई आनंद मोहन, सुमित साव आदि मौजूद थे.
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पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पकड़े गये अभियुक्तों ने पूछताछ में अपना अपराध स्वीकार करते हुए बताया कि गिरोह के सदस्य अलग-अलग जगहों पर किराये के मकान में रहते थे. वे बजाज फिन सर्व व धनी फाइनेंस कंपनी का फर्जी पदाधिकारी और कर्मचारी बन कर जाली कागजात तैयार कर लोगों को लोन स्वीकृत कराने का झांसा देकर ऑनलाइन ठगी करते थे.
एसपी ने बताया कि पुलिस कार्रवाई के दौरान जब्त रजिस्टर से यह प्रतीत होता है कि पकड़े गये साइबर अपराधी देश के कई राज्यों में साइबर क्राइम करते थे़ इनलोगों द्वारा पहले लोन लेने वाले लोगों की जानकारी प्राप्त की जाती थी़ इसके बाद ऐसे लोगों को फोन के माध्यम से फाइनेंस कंपनी का पदाधिकारी बन कर लोन स्वीकृत कराने का झांसा दिया जाता था़ झांसे में आने वाले व्यक्ति से लोन स्वीकृत हो जाने के नाम पर प्रोसेसिंग फीस के नाम पर ऑनलाइन ठगी की जाती थी़ उन्होंने कहा कि जिन दो फाइनेंस कंपनियों का नाम आया है, उनकी भी जांच की जायेगी़ पुलिस को आशंका है कि इस गोरखधंधे में फाइनेंस कंपनी का कोई कर्मी तो शामिल नहीं है़ उन्होंने बताया कि गिरोह के कुछ लोग अभी भी फरार हैं. पुलिस जल्द ही फरार आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लेगी.