प्रतिनिधि, झुमरीतिलैया
जिले में कई जगहों पर भव्य तरीके से दुर्गा पूजा होती है, पर नगर पर्षद क्षेत्र अंतर्गत गुमो का दुर्गा पूजा कई मायनों में खास होता है़ मंदिर के मुख्य पुजारी और पूजा समिति से जुड़े लोगों का दावा है कि यहां 600 वर्षों से दुर्गा पूजा का आयोजन हो रहा है़ दुर्गा पूजा में पूरे नवरात्र के दौरान कलश स्थापना से लेकर नवमी तक पूरे नौ दिनों तक यहां बलि देने की प्रथा है़ गुमो दुर्गा मंडप के मुख्य पुजारी दशरथ पांडेय व बुजुर्गों के अनुसार, 1300-1400 ई में गुमो में राजा रतन साईं और मर्दन साई का राज था़ राजा द्वारा ही गुमो में दुर्गा पूजा की शुरुआत की गयी थी़ इनकी मानें, तो 1700 ई के आसपास देश में अंग्रेजों के अत्याचार से परेशान होकर राजा परिवार ने गुमो में स्थित अपना राजा किला छोड़ कर जाने का निर्णय लिया.
इस दौरान गुमो के ब्राह्मण समाज को राजा ने अपनी जमींदारी सौंप कर राजा परिवार द्वारा राजा गढ़ में शुरू की गयी दुर्गा पूजा को नियमित तौर पर जारी रखने का आग्रह किया था़ शुरुआती दौर में राजा गढ़ पर ही दुर्गा पूजा का आयोजन होता था़ इसके बाद राजा किला ध्वस्त होने पर 150 वर्षों से राजा गढ़ से 500 मीटर की दूरी पर बने दुर्गा मंडप में दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है़ फिलहाल पूजा समिति अन्य लोगों के सहयोग से दुर्गा मंडप परिसर को भव्य और आकर्षक रूप दिया जा रहा है़ यहां पूजा को सफल बनाने में समिति के अध्यक्ष अशोक पांडेय, उपाध्यक्ष दिनेश सिंह, शिवशंकर पांडेय, सचिव उमाकांत पांडेय, सह सचिव मनोज पांडेय, संजय पांडेय, कोषाध्यक्ष सुनील पांडेय, सह कोषाध्यक्ष राजन पांडेय के अलावा कार्यकारिणी सदस्य रतन पांडेय, विवेक पांडेय, नवकुमार पांडेय, उज्ज्वल पांडेय, मुरली पांडेय, इंद्रजीत पांडेय, अभिजीत पांडेय, पंकज पांडेय, पंचम पांडेय, अशोक राय, बच्चू पांडेय, सोमनाथ पांडेय, पंकज पांडेय, पप्पू पांडेय, संरक्षक त्रिवेणी पांडेय, मोतीलाल पांडेय, दशरथ पांडेय, सीताराम पांडेय, अजय पांडेय, भारत लाल पांडेय, अनिल पांडेय, सत्यदेव राय, दिलीप वर्मा, शशिकांत पांडेय, दीनानाथ पांडेय, मनोहर राम, राम नरेश पांडेय, विजय, शक्तिकांत आदि लगे हैं
पुजारी दशरथ पांडेय ने बताया कि समय के साथ राजा का किला खंडहर में तब्दील होकर मिट्टी में मिल गया़ हालांकि, गुमो में राजा किला का स्थान आज भी मौजूद है, जो गुमो में सबसे ऊंचा स्थान है़ दुर्गा पूजा में कलश स्थापना के दौरान सबसे पहली पूजा के साथ बकरे की बलि राजा गढ़ में दी जाती है़ इसके बाद गुमो के दुर्गा मंडप में कलश स्थापना से लेकर नवमी तक पूरे नवरात्र बकरे की बलि दी जाती है़ नवरात्र के पहले दिन यहां करीब 100 बकरे की बलि होती है, जो पूरे नवरात्र जारी रहता है और नवमी के दिन सुबह चार बजे से छह बजे तक राजा गढ़ में बकरे की बालि होती है़ इसके बाद सुबह 10 बजे तक दुर्गा मंडप प्रांगण में बकरे की बलि दी जाती है़ इस दिन करीब 500 बकरे की बाली होती है़ मुख्य पुजारी ने बताया कि पूरे नवरात्र के दौरान तीन हजार से अधिक बकरे की बाली यहां पर होती है़ बलि के साथ ही लोग बड़ी संख्या में अपने बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराते हैं