जयनगर. पपीता एक ऐसा फल है जो हमारे पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है. यह सालों भर बाजार में उपलब्ध रहता है़ पपीता खाने से शरीर में रक्त का संचार बढ़ता है़ शुगर के मरीज को इसके सेवन से नुकसान हो सकता है, लेकिन वे कच्चे पपीता की सब्जी व सलाद खा सकता है़ं वहीं किसान यदि इसकी खेती करते है, तो उन्हें अच्छा मुनाफा होगा़ पपीता का बीज लगाने का समय जुलाई से सितंबर तक है़
प्लास्टिक की थैली में बीज लगायें : रूपेश
कृषि विज्ञान केंद्र जयनगर कोडरमा के टेक्निकल ऑफिसर सह एग्रोफोरेस्टी ऑफिसर रूपेश रंजन ने बताया कि प्लास्टिक की थैली में पपीता का बीज लगाये. इसके लिए 200 गेज और 20×15 सेंटीमीटर आकार की थैलियों की जरूरत होती है, जिसमें छेद कर देना है और उसमें खाद, गोबर, मिट्टी भर देना है़ प्रत्येक थैली में दो या तीन बीज डालना है और उचित ऊंचाई पर खेत में रख देना है़ पौध लगाने के बाद तुरंत सिंचाई करें, मगर तना के पास पानी नहीं भरने दे़ं एक हेक्टेयर के लिए 500 ग्राम बीज उपयुक्त है. पौधरोपण के लिए 45x45x45 सेंटीमीटर आकार का गढ़ढा, दो मीटर की दूरी पर तैयार करें. प्रत्येक गड्ढे में दस किलो गोबर का खाद, 500 ग्राम जिप्सम, 50 ग्राम क्यूनाल फॉस डालें. जब पौधा 8-10 सेंटीमीटर का हो जाये, तो उसे क्यारी से पॉलिथीन में स्थानांतरित कर दे़ं जब पौधे पांच सेंटीमीटर के हो जाये, तो उसमें 0.3 फफूंदी नाशक घोल का छिड़काव करे़ंपपीता की किस्म और उनकी खासियत
रेड लेडी नस्ल के पौधों का फल 1.5-2 किलोग्राम का होता है़ स्वादिष्ट होने के साथ-साथ इसमें 13 प्रतिशत शर्करा पाया जाता है़ जो रिंग स्पॉट वायरस के प्रति सहनशील है़ वहीं कुसा मैजेस्टी सूत्र कृमि के लिए सहनशील है़ 10 से 13 माह बाद पपीते का फल तोड़ने लायक हो जाता है़ फल का रंग हरा से पीला हो जाता है़ प्रत्येक पेड़ से 40-70 किलो पपीता का उत्पादन होता है़डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है