लातेहार. झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ (झासा) के सदस्यों ने लंबित मांगों को लेकर गुरुवार को काला बिल्ला लगाकर सरकारी कार्यों का निष्पादन किया. संघ के अध्यक्ष सह डीडीसी सुरजीत कुमार सिंह ने कहा कि झारखंड प्रशासनिक सेवा का सेवा पुनर्गठन के नाम पर बिहार प्रशासनिक सेवा का हू-ब-हू मॉडल थोपा जा रहा है. संघ झारखंड प्रशासनिक सेवा का पुनर्गठन चाहता है, परंतु बिहार मॉडल पर आधारित सेवा पुनर्गठन उन्हें मंजूर नहीं है. उन्होंने कहा कि सेवा संरचना को सुधार कर उसे बेहतर बनाने के स्थान पर राज्य सरकार द्वारा गैर राज्य असैनिक सेवा के पदाधिकारी को भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रोन्नति देने की अर्हता को समाप्त किया गया है, जो गलत है. उन्होंने कहा कि संघ कैबिनेट के निर्णय को निरस्त करने की मांग भी करती है. इन सेवाओं के पदाधिकारी अब मात्र 17 वर्ष में भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रोन्नत हो पायेंगे, जबकि राज्य प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी को यह मुकाम पाने में 25 वर्षों से भी अधिक का समय लग जाता है. इन परिस्थितियों से सेवा के पदाधिकारी स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. इसके अलावा झारखंड प्रशासनिक सेवा को प्रीमियर सेवा घोषित करते हुए संपूर्ण कैडर संरचना को पुनर्गठित किया जाये. उन्होंने कहा कि वर्ष में दो बार नियमित रूप से विभागीय प्रोन्नति समिति की बैठक की जाये, ताकि प्रोन्नति हेतु योग्य पदाधिकारी को समय पर प्रोन्नति दी जा सके समेत कई मांग शामिल है. उन्होंने कहा कि संकेत के रूप में काला बिल्ला लगा कर कार्य किया गया है, इसके बाद भी सरकार इसे गंभीरता से नहीं लेती है तो आगे चरणबद्ध आंदोलन किया जायेगा. इस अवसर पर परियोजना निदेशक आइटीडीए प्रवीण गगराई, अनुमंडल पदाधिकारी अजय कुमार रजक, डीएसओ रश्मि लकड़ा, प्रभात रंजन चौधरी, उदय कुमार, अनिल मिंज, श्रेयांश, मेरी मड़की समेत कई पदाधिकारी उपस्थित थे.
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