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लोहरदगा : बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त, फसल को नुकसान की संभावना

ग्रामीण इलाकों से अपने काम कराने के लिए जिला मुख्यालय या अन्य कार्यालय में पहुंचने वाले लोगों की उपस्थिति भी नगण्य रही. मंगलवार का दिन बारिश एवं ठंड का दिन रहा. फरवरी माह में इस तरह की हो रही बारिश से लोगों की परेशानी बढ़ गयी है.

लोहरदगा : लोहरदगा जिले में सोमवार की रात से ही बादल की गड़गड़ाहट के साथ हो रही बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. मंगलवार की सुबह से लगातार हो रही बारिश से तापमान में कमी आयी है. लोग हो रही बारिश के कारण अपने घरों में दुबकने को विवश हैं. चौक चौराहों एवं सड़कों में सन्नाटा पसरा हुआ है. फरवरी माह में इस तरह की हो रही बारिश के कारण लोग अपने घरों में दुबकने को हैं. बारिश होने के कारण ठंड में बढ़ोतरी हुई है. लोग जरूरी काम के लिए भी मंगलवार को अपने घरों से नहीं निकल सके. विद्यालयों में भी बच्चों की अनुपस्थिति कम रही. कुछ बच्चे बेमौसम बारिश के कारण भीगते स्कूल जरूर पहुंचे लेकिन मौसम को देखते हुए अधिकांश बच्चे स्कूल नहीं पहुंचे.

सरकारी कार्यालयों में भी उपस्थिति कम देखी गयी. ग्रामीण इलाकों से अपने काम कराने के लिए जिला मुख्यालय या अन्य कार्यालय में पहुंचने वाले लोगों की उपस्थिति भी नगण्य रही. मंगलवार का दिन बारिश एवं ठंड का दिन रहा. फरवरी माह में इस तरह की हो रही बारिश से लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. बुजुर्गों ने बताया कि माघ महीने में पहले भी बारिश होती थी और इस बारिश के बाद ठंड काफी बढ़ जाता था. यह महीना वृद्ध, असहाय एवम बुजुर्गों के लिए काफी परेशानी भरा महीना होता था. किंतु इधर कुछ वर्षों से मौसम में बदलाव आया था और फरवरी माह में ठंड का प्रकोप समाप्त हो जाता था. लेकिन इस बार पुनः प्रकृति अपने पुराने रूप को अपनाया है. माघ महीने में बारिश होने से ठंड में इजाफा तो होता ही है लेकिन इससे खेती किसानी के काम में काफी लाभ होता है. खेतों में लगी गेहूं, चना, अरहर ,मसूर,सरसों सहित अन्य दलहन एवं सब्जी की खेती को काफी लाभ होता है.

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इस बारिश के बाद इन फसलों का दाना पुष्ट होता है. इस बारिश के बाद गेहूं सहित अन्य तेलहनी फसलों में उत्पादकता में वृद्धि होगी. इधर जिले में सब्जी की खेती बड़े पैमाने पर किया जाने लगा है. इस बारिश से सब्जी की खेती को नुकसान होगा.टमाटर के फूल और फल झड़ सकते हैं. फफूंद रोग की संभावना बढ़ जाती है. वैसे किसानों को अपने खेतों का पटवन कई हफ्तों तक करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इससे उन्हें आर्थिक लाभ तो होगा ही परेशानी से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा जलस्तर में भी सुधार की संभावना बढ़ गई है. जानकार बताते हैं कि फरवरी के अंतिम सप्ताह तक ठंड पड़ने से गर्मी से भी राहत मिलता है इसके अलावा फरवरी माह में हुई बारिश से जलस्तर भी भी मेंटेन रहता है. गर्मी पहुंचते ही कुओं के सूखने की शिकायत नहीं रहती.

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